Haryana News
- उत्तराखंड में आर्मी कैंप पर बादल फटने से हुई थी मौत
- गांव कुर्थला के रहने वाले थे 19 वर्षीय समय सिंह
- सेना ने सात अगस्त को परिवार को दी थी लापता होने की सूचना
नूंह। उत्तराखंड में हर्षिल आर्मी कैंप पर बादल फटने से लापता हुए हरियाणा में नूंह के गांव कुर्थला निवासी 21 वर्षीय अग्निवीर समय सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार को गांव पहुंचा। जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। सेना के कमांडिंग ऑफिसर ने सात अगस्त को परिवार को समय सिंह के लापता होने की सूचना दी थी। हादसे के दो माह चार दिन बाद जवान का शव गांव पहुंचा। उत्तराखंड के हर्षिल आर्मी कैंप के पास 5 अगस्त 2025 को बादल फटने और भयंकर बाढ़ में लापता हुए 19 वर्षीय अग्निवीर समय सिंह का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक गांव कुर्थला पहुंचा।
पिता बोले, देश के लिए भेजा था बेटा
अग्निवीर समय सिंह के पिता दलबीर सिंह ने भावुक होकर कहा कि बेटे को देश की सेवा के लिए भेजा था, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने अग्निवीर योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि केवल छह महीने की ट्रेनिंग के बाद जवानों को इतने कठिन क्षेत्रों में तैनात करना उचित नहीं है। उन्होंने सरकार से इस योजना पर पुनर्विचार करने और इसे समाप्त करने की अपील की। दलबीर सिंह ने यह भी कहा कि गरीब परिवारों के बच्चे ही मजबूरी में अग्निवीर योजना में शामिल हो रहे हैं, जबकि नेताओं के बच्चे इस सेवा से दूरी बनाए रखते हैं। उन्होंने युवाओं के घटते मनोबल का जिक्र करते हुए कहा कि इस योजना ने देश के युवाओं का उत्साह कम किया है। अंतिम संस्कार में 14 राइफल राज यूनिट के मेजर तिवारी, राजपूताना राइफल्स दिल्ली कैंट, गुरुग्राम और मानेसर एनएसजी कमांडो यूनिट के अधिकारियों के साथ – साथ जिला सैनिक बोर्ड और उजीना गांव की पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन ने हिस्सा लिया। उजीना गांव के रिटायर्ड सैनिक करण सिंह ने बताया कि समय सिंह के लापता होने की खबर के बाद कई टीमें खोजबीन में जुटी थीं। डीएनए जांच के बाद उनके शव की पहचान हुई और परिजनों को सूचना दी गई। करण सिंह ने यह भी मांग की कि अग्निवीर योजना के तहत शहीद होने वाले जवानों के परिजनों को मिलने वाले मुआवजे में बढ़ोतरी की जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान पीड़ित परिवार की मांगें उनके समक्ष रखी जाएंगी। कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने शहीद समय सिंह की शहादत को मेवात की मिट्टी में रची – बसी देशभक्ति का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि परिवार का इकलौता बेटा देश के लिए कुर्बान हुआ, इसलिए सरकार को जल्द से जल्द अधिकतम मुआवजा देना चाहिए। मुख्यमंत्री के कोऑर्डिनेटर मुकेश वशिष्ठ ने भी शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी
शहादत को देश के लिए गौरवपूर्ण बताया।
बता दें कि कुर्थला गांव का इतिहास शौर्य और बलिदान से भरा है। मार्च 2015 में गांव की बहू लेफ्टिनेंट किरण शेखावत सैन्य अभ्यास के दौरान शहीद हुई थीं, जिनकी शहादत पर मेवात को आज भी गर्व है। समय सिंह की शहादत ने इस गौरवशाली परंपरा को और मजबूत किया है। उनका अंतिम संस्कार शहीद किरण शेखावत पार्क में पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। गांव वासियों ने कहा कि किरण दीदी की तरह समय भी अमर हो गया। हमारा गांव हमेशा देश के लिए कुर्बान होता रहेगा। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 5 अगस्त को हुई इस प्राकृतिक आपदा ने कम से कम 5 लोगों की जान ली और 50 से अधिक को लापता कर दिया। बादल फटने या ग्लेशियर झील के फटने से ट्रिगर हुई बाढ़ ने हर्षिल के आर्मी कैंप को बुरी तरह प्रभावित किया। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमें दिन – रात सर्च ऑपरेशन में जुटी थीं। समय सिंह की शहादत ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे मेवात को गहरे शोक में डुबो दिया, लेकिन उनकी देशभक्ति और बलिदान की कहानी हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।