Haryana
- भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारे थे कई रणनीतिकार
- शपथ ग्रहण दशहरे के बाद 15 अक्टूबर से पहले संभव
- भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, देश के पीएम मोदी औऱ केंद्रीय गृह मंत्री ने लगाई थी हरियाणा को लेकर खास लोगों की खास टीम
चंडीगढ़। सूबे में भाजपा की हैट्रिक के पीछे हाईकमान के विशेष दूत काम कर गए हैं। लोकसभा में पांच सीटें गंवा देने के बाद में भाजपा हाईकमान ने कुछ खास लोगों की ड्यूटी लगाई थी, केंद्र के इन दूुतों ने जहां हरियाणा में कमल खिलाने का काम किया है, वहीं भाजपा में बूथ और पन्ना स्तर की रणनीति भी कारगर रही है। लोकसभा में पांच सीटें जीतने के बाद अपनी लहर को लेकर आश्वस्त हुए कांग्रेसियों को अतिआत्मविश्वास मार गया है। अब नए मंत्रिमंडल में कौन-कौन चेहरे होंगे इस पर दिल्ली में मंथन शुरु हो गया है। इसके साथ ही यह भी साफ गया है कि शपथ ग्रहण का समारोह विजयदशमी के बाद ही होगा।
क्या कहते हैं सूत्र
भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि हरियाणा में भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए पहले चंडीगढ़ राजभवन में कार्यक्रम रखने की तैयारी थी लेकिन अब पंचकूला खुले में कार्यक्रम रखने की तैयारी है। सूत्रों का कहना है कि यह कार्यक्रम मनोहरलाल सरकार पार्ट वन की तरह से पंचकूला में कार्यक्रम रखा जाएगा।
भाजपा हाईकमान की रणनीति
भाजपा हाईकमान की ओर से सूबे में लोकसभा चुनावों के ठीक पहले राज्य में दस साल की सत्ता विरोधी लहर को शांत करने की तैयारी कर ली थी। इस नीति पर मुहर लोकसभा चुनावों में पांच सीट हारने के बाद लगी। इस क्रम में 10 साल की सरकार की एंटी इंकम्बेंसी और किसान, जवान और पहलवान से जुड़े तमाम मुद्दों पर गंभीरता से मंथन किया गया और भाजपा के दिग्गजों ने इनको लेकर भी जनता में स्पष्ट मैसेज देने की तैयारी की।
ये थे भाजपा के खास दूत
प्रदेश के नेताओं के साथ साथ में शीर्ष नेतृत्व,. प्रदेश के नेताओं के अलावा बात करें, तो चार प्रमुख इस तरह के नेता थे, जो हाईकमान के खास दूत के तौर पर काम कर गए। कहा तो यहां तक जा रहा कि पर्दे के पीछे धमेंद्र प्रधान हरियाणा प्रभारी और केंद्रीय मंत्री, सहप्रभारी विप्लब देव दो प्रमुख नाम तो सबसे पहले हैं। इसके अलावा हरियाणा को लेकर खुद जेपी नड्डा भी बेहद गंभीर थे, और दिल्ली में बैठकर भी एक एक सीट को जीतने का गणित बैठाने में लगे हुए थे। इन नामों के अलावा भी कुछ अन्य चेहरों को हरियाणा की माटी पर उतारा गया था। भाजपा की रणनीति ही काम आई और हरियाणा के चुनाव परिणाम ने राजनीतिक विश्लेषकों और एग्जिट पोल को गलत साबित करके रख दिया।
ऐसे बनाई रणनीति
रणीति का ही हिस्सा था कि सात महीने पहले सीएम खट्टर को पद से हटाने से लेकर चुनाव के लिए ओबीसी चेहरो को सीएम बनाने का कदम उठाया गया। एक-एक उम्मीदवार चुनने और मुद्दों पर काम करने को लेकर भी पार्टी गंभीर थी। विप्लव देव की बात करें, तो चार नामों में यह नाम दो साल पहले विनोद तावड़े की के स्थान पर हरियाणा का प्रभारी बनाया था। जिसके बाद उन्होंने वहां की सरकार और राजनीतिक स्थिति को समझा और पिछले 7-8 महीने में सरकार हुए बड़े बदलाव के सूत्रधार बने। लंबा अनुभव रखने वाले विप्लव देव ने सटीक रणनीति तैयारी की। इस क्रम में सुरेंद्र नागर राज्यसभा सांसद सुरेंद्र को इसी साल हरियाणा का सह-प्रभारी बनाया था और वो पार्टी आलाकमान द्वारा दिए गए असाइनमेंट को भी पूरा करने में महारत रखते हैं। विप्लव देव के साथ मिलकर उन्होंने यहां बीजेपी की जीत की कहानी लिखी। सुरेंद्र नागर का गुर्जर बिरादरी में बड़ा कद है, जिसका फायदा भी बीजेपी को मिला।
प्रधान ने गंभीरता से लिया
धर्मेंद्र प्रधान भी हरियाणा में आने के बाद गंभीरता के साथ एक एक कदम उठाते देखे गए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विप्लव देव के साथ मिलकर बड़ा दांव चला, जिससे विरोधी चारों खाने चित हो गए। हरियाणा दौरे, फीडबैक और रऱणनीति को अमलीद जामा पहनाने में देरी नहीं की। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अवगत कराते हुए उनकी सलाह पर कई बड़े निर्णय भी लिए गए, जो बाद में जीत के रूप में निकलकर सामने आए।
सतीश पुनिया को बड़ी जिम्मेदारी
सतीश पुनिया जाट नेता सतीश पुनिया को प्रदेश प्रभारी बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी गई। राजस्थान में अध्यक्ष रहते हुए बीजेपी को जीत दिलाने के बाद उन्होंने हरियाणा में पार्टी का झंडा बुलंद किया, उन्होंने हारते दिख रहे हरियाणा को भाजपा की झोली में डालने को लेकर काफी मदद की। हाईकमान के दूतों ने दलितों को अपने पाले में लाने के लिए विशेष रूप से काम किया।सैलजा की नाराजगी को अपने पक्ष में भुनाया. सीएम पद से खट्टर को हटाने का फैसला भी सही रहा।
बीजेपी की जीत के कारण :
- -पोलस्टर्स ने अनुसुचित जाति दलित समाज का वोट, जिनकी कुल आबादी हरियाणा में लगभग 22.50% है, को कांग्रेस के खाते में दिखाया था।
- -हालांकि परिणामों में बिल्कुल उल्ट हुआ। कुल 22.50% में से केवल 8.50% वोट, जिनको रैगर, जाटव, रविदासी कहा जाता है, उनका वोट भाजपा, कांग्रेस, इनेलो-बसपा, आसपा-जजपा जैसे सभी दलों को गया।
- -वंचित अनुसुचित जाति, जिनका वोट 14% है, उनको हरियाणा की भाजपा सरकार ने डीएससी डिप्राइड शैडयूलड कास्ट (वंचित) कानाम दिया था। उनका लगभग सारा वोट भाजपा के कमल चिन्ह को चला गया। हरियाणा में भाजपा को छोड़कर सभी दल वर्गीकरण के खिलाफ हैं। समाज के मंचों से ऐलान किए गए, नेताओं ने समाज में अभियान चलाकर भाजपा को मजबूत किया
- हरियाणा के 2024 विधानसभा चुनाव में 67.90% वोटिंग हुई, जो लगभग 2019 के 67.94% जितनी ही है. लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव से 3.1% अधिक है, जब वोटिंग परसेंट सिर्फ 64.8% था. इन 3.1% मतदाताओं में अधिकांश संभवतः भाजपा के वो समर्थक थे, जिन्होंने लोकसभा में किसी कारण से वोट नहीं डाला था।
- अंत में हरियाणा में एक बड़ा शांत और साइलेंट वर्ग था, जो कांग्रेस और भूपेंद्र हुड्डा की अराजक सरकार वापस नहीं चाहता था, जिसने कांग्रेस को साफ कर दिया।
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