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Haryana congress : ओबीसी व जाटों को एक साथ साधेगी कांग्रेस, राव नरेंद्र प्रदेशाध्यक्ष और भूपेंद्र हुड्डा बन सकते हैं सीएलपी लीडर

Haryana congress

  • ओबीसी चेहरे भजनलाल के बाद कांग्रेस ने लगातार चार एससी नेताओं को सौंपी प्रदेश कांग्रेस की कमान
  • राव नरेंद्र का चेहरा आगे कर ओबीसी विशेषकर अहीरवाल पर कांग्रेस की नजर
  • जाटों का साथ बनाए रखने के लिए हुड्डा को सीएलपी की जिम्मेदारी देने की तैयारी

हरियाणा में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की कमान अहीरवाल से कांग्रेस के ओबीसी नेता राव नरेंद्र सिंह को मिल सकती है। हालांकि नेता प्रतिपक्ष पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा का विकल्प कांग्रेस को फिलहाल मिलता नहीं दिख रहा है। राव नरेंद्र सिंह को प्रदेशाध्यक्ष व भूपेंद्र हुड्डा को सीएलपी लीडर की जिम्मेदारी सौंपकर कांग्रेस जाटों को साथ रखने के साथ ओबीसी मतदाताओं को अपनी तरफ खींचना चाह रही है। 2014 में प्रदेश की सत्ता में आई भाजपा ने 2025 तक पंजाबी समुदाय से आने वाले मनोहर लाल और 2025 में मनोहर लाल की जगह ओबीसी चेहरे नायब सैनी को प्रदेश में अपना चेहरा बनाया। जिसकी काट के लिए कांग्रेस भी हुड्डा के जाट पहले से ही मजबूती से कांग्रेस के साथ खड़े हैं तो अब ओबीसी को लुभाने के लिए एससी चेहरे की बजाय ओबीसी चेहरे राव नरेंद्र सिंह को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंप सकती है। जिसका संकेत सीडब्ल्यूसी का मैंबर न होते हुए भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा व राव नरेंद्र सिंह को बुधवार को बिहार में होने वाली सीडब्ल्यूसी की बैठक के लिए आमंत्रित कर इसका संकेत दे दिया है। जिससे प्रदेश की सियासत में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएलपी लीडर व राव नरेंद्र को प्रदेशाध्यक्ष मिलने की चर्चाएं एकाएक होने लगी हैं।

भजनलाल के बाद हो सकते हैं दूसरे ओबीसी चेहरा

कांग्रेस ने 2005 का विधानसभा चुनाव भजनलाल की अगुवाई में लड़ा। चुनाव में बहुमत मिलने के बाद कांग्रेस ने भजनलाल की अनदेखी कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बना दिया था। इसके बाद कांग्रेस ने फुलचंद मुलाना, अशोक तंवर, कुमारी सैलजा व उदयभान के रूप में चार एससी प्रदेशाध्यक्ष दिए। 2025 का चुनाव भूपेंद्र हुड्डा के नजदीकी रहे उदयभान के नेतृत्व में लड़ा और 37 सीटों पर जीत दर्ज की। अब एक बार फिर कांग्रेस सीएलपी लीडर की जिम्मेदारी भूपेंद्र सिंह हुड्डा को देने के साथ प्रदेशाध्यक्ष पद पर ओबीसी चेहरे को आगे कर दें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

यह हो सकता है मुख्य कारण

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रदेश का जाट मतदाता इनेलो से छिटकर कांग्रेस के साथ खड़ा हो गया था। जो आज भी मजबूती के साथ न केवल हरियाणा में कांग्रेस के साथ खड़ा है, बल्कि कांग्रेस द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों पर भी देशभर में कदम ताल करता दिखाई देता है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक में इनेलो द्वारा चौ. देवीलाल की जयंती पर रैली करना और जाटों मतदाताओं को फिर से अपने साथ जोड़ने के लिए इनेलो नेता अभय चौटाला की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए कांग्रेस हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा को पीछे कर जाट मतदाताओं का खोने का जोखिम नहीं उठाना चाहती। अपने साथ जाटों की मजबूती को देखते हुए ही कांग्रेस अब बीजेपी की ओबीसी काट के लिए राव नरेंद्र सिंह को प्रदेशाध्यक्ष बनाना चाह रही है।

सैलजा व रणदीप भी होंगे शामिल

कांग्रेस ने हरियाणा से हुड्डा विरोधी कुमारी सैलजा व रणदीप सुरजेवाला को सीडब्ल्यूसी में शामिल किया हुआ है। 2005 में मुख्यमंत्री की कमान मिलने के बाद भूपेंद्र हुड्डा ने पहली बार सीडब्ल्यूसी से बाहर किया था। जिसे हुड्डा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था। अब अचानक कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी मैंबर न होते हुए भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा व राव नरेंद्र सिंह को मीटिंग के लिए बुलावा भेजकर एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस में पॉवर की सियासत को हवा दे दी है। कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कुमारी सैलजा गुट के बीच चली आ रही तनातनी के चलते विधानसभा चुनाव के 10 माह बाद भी अभी तक नेता प्रतिपक्ष नहीं चुना जा चुका है।

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