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Feature : धावक फ़िल्म मेरा पहला सपना था : योगेश भारद्वाज

योगेश भारद्वाज एक फिल्म के दृश्य में। योगेश भारद्वाज एक फिल्म के दृश्य में।

Feature

  • इस क्षेत्र को व्यवसाय बनाने से पहले सही जानकारी लेना बहुत ज़रूरी
  • योगेश भारद्वाज बॉलीवुड में एक उभरता हुआ नाम
  •  ‘कड़क सिंह’ फिल्म के जरिये दिखाए जौहर
  • एक नाटक ‘अणु’ भी प्रस्तुत किया


डॉ तबस्सुम जहां
  विशेष रिपोर्ट

डॉ तबस्सुम जहां
  विशेष रिपोर्टFeature : योगेश भारद्वाज बॉलीवुड में एक उभरता हुआ नाम हैं। वर्ष 2023 में, योगेश की फिल्म ‘लॉस्ट’, ‘कड़क सिंह’ हिंदुस्तानी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता पंकज कपूर और यामी गौतम और पंकज त्रिपाठी के साथ रिलीज़ हुई। उन्होंने एक नाटक ‘अणु’ भी प्रस्तुत किया, जो उनके द्वारा ही लिखा, निर्देशित और प्रस्तुत किया गया था और इसे बड़ी सफलता मिली। उसी वर्ष उनका पहला कविता संग्रह “रास्ते ही मंजिल हैं” प्रकाशित हुआ और पाठकों ने उन्हें एक लेखक के रूप में दिल से स्वीकार कर लिया। बतौर एक्टर डायरेक्टर उनकी ‘धावक’ फ़िल्म की शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी है। यह फ़िल्म उनका सबसे पहला सपना था। जिसकी स्क्रिप्ट का पहला ड्राफ्ट उन्होंने 2016 में लिखा था। उस समय हरियाणा में फ़िल्मों के नाम पर बिल्कुल सूखा पड़ा था। ऐसे माहौल में प्रोड्यूसर का मिलना बहुत मुश्किल था। पर फिर भी वह समय समय पर स्क्रिप्ट के ऊपर कुछ ना कुछ काम करते रहे। फ़िल्म में यशपाल शर्मा, गीता, जोगी मलंग जैसे दिग्गज जुड़े हुए हैं।

सफल कवि और कहानीकार

बॉलीवुड के उभरते कलाकार योगेश भारद्वाज एक सफल एक्टर होने के साथ साथ कवि और कहानीकार भी हैं। इनका जन्म रोहतक (हरियाणा) के एक छोटे से गांव ‘बसाना’ में हुआ। चूँकि इन्हें बचपन से ही गाने और भजन लिखने का शौक था उनके इस शौक ने उन्हें बहुत बड़ी जागरण पार्टी के साथ जुड़ने का मौक़ा दिलाया। बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद रोहतक शहर के जाट कॉलेज में पढ़ने गए तो युवा महोत्सव के बारे में पता चला। एक नाटक करते हुए सिनेमा जगत के प्रसिद्ध अभिनेता जयदीप अहलावत से उनका मिलना हुआ। उन्होंने उनकी प्रतिभा को देखते हुए कहा कि तुम इस क्षेत्र में अच्छा कर सकते हो। उनसे मैं इतना ज़्यादा प्रभावित हुआ कि मैंने अभिनय को अपनी जिंदगी बनाने का फ़ैसला कर लिया। साल 2012 में योगेश रोहतक स्थित फ़िल्म संस्थान में अभिनय की पढ़ाई करने चले गए। वहाँ उन्हें समझ आया कि उनकी भूख ‘प्रसिद्धि’ की नहीं बल्कि ‘सिद्धि’ की है। वहाँ से पासआउट होने के बाद उन्होंने तीन हरियाणवी फिल्मों में काम करने के साथ कुछ म्यूजिक एल्बम में निर्देशन भी किया।

Feature : योगेश भारद्वाज
Feature : योगेश भारद्वाज

मुंबई में मिले नए अवसर

2017 में मुंबई आने के बाद योगेश भारद्वाज को काम के नए- नए अवसर प्राप्त हुए। 2019 में योगेश भारद्वाज की एक के बाद एक तीन बॉलीवुड फिल्में रिलीज़ हुई- ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’, ‘S P चौहान’, ‘सैटेलाइट शंकर’। इन फिल्मों के साथ ही योगेश बॉलीवुड जगत में पहचान बना चुके हैं। फ़िल्म ‘छिपकली’और ‘कॉलेज कांड’ वेब सीरीज़ की सफलता ने योगेश भारद्वाज को सिनेमा जगत में एक मँझे हुए कलाकार के रूप में स्थापित कर दिया है। योगेश भारद्वाज बताते हैं कि उन्हें व्यक्तिगत और अभिनेता के तौर पर ऐसी फ़िल्में ज़्यादा पसंद आती हैं जो भरपूर मनोरंजन के साथ समाज की किसी छुपी हुई और ज़रूरी सच्चाई से भी दर्शकों को अवगत कराती हो। जिनके नायक आम जनमानस के जीवन की बात करते हों।

छिपकली फ़िल्म में काम किया

छिपकली फ़िल्म में काम करने के विषय में योगेश बताते हैं कि “मेरे पसंदीदा अभिनेता और  गुरु रहे सुप्रसिद्ध बॉलीवुड एक्टर डायरेक्टर यशपाल शर्मा के साथ उनकी पहली निर्देशित फ़िल्म दादा लखमी” में काम कर रहा था तो एक दिन उन्होंने कहा- ‘तुझे किसी बड़ी फ़िल्म में बड़ा रोल मिलना चाहिए।’ पर कोविड काल आया तो सब रुक गया। ऐसे में मेरी लेखनी ने मुझको बचाए रखा। कविताएं और कहानियां लिखता रहा। कोविड के बाद वापस मुंबई पहुंचा। एक दिन यशपाल सर का फोन आया और उन्होंने मिलने बुलाया। बोले कि तुझे बड़ी फ़िल्म में बड़ा रोल मिल रहा है। इस तरह छिपकली बॉलीवुड में मेरी पहली लीड रोल वाली फ़िल्म बनी।” छिपकली बाक़ी फ़िल्मों से अलग इसलिए है क्योंकि अभी तक हम सस्पेंस थ्रिलर तो बहुत सुन और देख चुके, पर यह पहली फिलोसिफिकल थ्रिलर है जो एक मर्डर मिस्ट्री सुलझाने के साथ ना जाने कितने सामाजिक मुद्दों और विज्ञान की बात करती है। योगेश भारद्वाज को मुंबई आने के बाद ज़्यादा संघर्ष करने की ज़रूरत नहीं पड़ी। यहां आते ही उन्हें काम मिलना शुरू हो गया था। उनके अनुसार “मेरा संघर्ष बाहर की बजाए आंतरिक ज़्यादा रहा है कि मुझे बाहर के काम के साथ-साथ अपनी कला के माध्यम से अपनी बात भी ज़रूर कहनी है जो एक कलाकार होने के नाते मैं समाज को कहना चाहता हूँ।

मील का पत्थर साबित हुई दादा लखमी

हरियाणा सिनेमा जगत के लिए मील का पत्थर साबित हुई दादा लखमी फ़िल्म के विषय में योगेश का मानना है कि निःसंदेह दादा लखमी अब तक की हरियाणा की सबसे बड़ी और मजबूत फ़िल्म है। इस फ़िल्म ने हरियाणवी संस्कृति को देश के हर प्रदेश और विश्व पटल पर दर्शाया है। यह सिर्फ़ फ़िल्म नहीं हरियाणवी सिनेमा की धरोहर है। अब हरियाणा में अगर किसी को विश्व स्तरीय सिनेमा बनाना है तो उसको दादा लखमी के मापदंडों से आगे का काम करना पड़ेगा। बॉलीवुड के बड़े कलाकारों के साथ अपने काम के अनुभव को सांझा करते हुए योगेश भारद्वाज कहते हैं कि सभी के साथ लाजवाब अनुभव रहा। अभिनय की पढ़ाई करते वक्त जिन कलाकारों को अपना आदर्श माना था, उनके साथ काम करना उपलब्धि जैसा था। वह सब दिग्गज अभिनेता हैं, उनके साथ काम करके बहुत कुछ नया सीखने को मिला और एक अभिनेता के तौर पर ख़ुद को ज़्यादा परिपक्व महसूस किया। अंत में योगेश सिनेमा जगत में अपने प्रशंसको व जो लोग नए हैं उनको संदेश देते हैं कि इस क्षेत्र को अपना व्यवसाय बनाने से पहले इसके बारे में सही जानकारी लेना बहुत ज़रूरी है। पता लगाना ज़रूरी है कि यह सिर्फ़ आपका शौक़ मात्र है या आप इसी में अपना सर्वश्रेष्ठ काम दे सकते हैं।

https://vartahr.com/feature-runner-f…-yogesh-bhardwaj/

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