Fasting
- व्रत करते समय रखें ध्यान, वरना हो सकते हैं बीमार
- intermittent fasting अध्ययन की रिपोर्ट ने गंभीर सवाल
- सिर्फ वजन कम करने के लिए नहीं करें ज्यादा फास्टिंग
Fasting : आजकल देखने में आ रहा है कि लोग खासकर महिलाएं अपना वजन कम करने के लिए फास्टिंग यानी व्रत करते हैं। सप्ताह में एक या दो व्रत तक तो ठीक है, लेकिन इससे अधिक फास्टिंग आपकी सेहत सुधारने की बजाय बिगाड़ सकती है। ऐसे में ध्यान रखने की जरूरत है कि हद से ज्यादा उपवास न करें। वजन घटाने, कोलेस्ट्रॉल-शुगर को कंट्रोल रखने के लिए दुनियाभर में कई तरह की फास्टिंग का चलन बढ़ा है। बड़ी संख्या में लोग ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ (intermittent fasting) का रुख कर रहे हैं। ये उपवास का ऐसा तरीका है, जिसमें निश्चित समय के दौरान पौष्टिक चीजों का सेवन करना होता है। उदाहरण के लिए अगर आप ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ कर रहे हैं तो 24 घंटे के दौरान 16 घंटे उपवास करने और करीब 8 घंटे में कुछ हल्का खाने की सलाह दी जाती है। हालांकि सभी के लिए ऐसी फास्टिंग फायदेमंद हो ऐसा जरूरी नहीं है।
अध्ययन में यह दावा
intermittent fasting को लेकर शोधकर्ताओं ने बड़ा दावा किया है। शोध में वैज्ञानिकों ने कहा, वैसे तो ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ को कई प्रकार से लाभकारी माना जाता रहा है, हालांकि यदि आपको हृदय रोग है और आप इस तरह का उपवास करते हैं तो ये जानलेवा जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है कि खुद से ही किसी प्रकार की फास्टिंग न शुरू करें। सेहत को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर की सलाह पर ही किसी उपवास विधि को अपनाना चाहिए।
intermittent fasting : क्या कहता है शोध
-अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के सम्मेलन में प्रस्तुत शोधपत्र ने ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए हैं। इसमें बताया गया है कि जिन लोगों को हार्ट की समस्या है उनके लिए इस तरह का उपवास करना हृदय संबंधी मृत्यु खतरे को 91% तक बढ़ा देता है।
-‘intermittent fasting को लेकर किए गए अब तक के अध्ययनों के रिपोर्ट काफी विरोधाभासी है। पहले के शोध में कहा जाता रहा था कि फास्टिंग का ये तरीका इंसुलिन संवेदनशीलता, सूजन, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल जैसे हृदय रोगों के कारकों को कम करने में लाभकारी है, हालांकि हालिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस तरह की फास्टिंग हृदय रोगों से मौत के जोखिमों को बढ़ा सकती है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें
-शोध पत्र के अनुसार पहले से ही कुछ प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार लोगों के लिए ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ के नुकसान हो सकते हैं।
-हृदय रोग या कैंसर से पीड़ित लोगों में हृदय संबंधी मृत्यु का जोखिम भी बढ़ाने वाली हो सकती है। हृदय रोग से पीड़ित लोगों में फास्टिंग का ये तरीका हार्ट अटैक या स्ट्रोक से मृत्यु का जोखिम 66% तक बढ़ाने वाली हो सकती है।
विशेषज्ञों ने यह कहा
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में चिकित्सा के प्रोफेसर और पोषण विशेषज्ञ क्रिस्टोफर गार्डनर पीएचडी कहते हैं कि ये निष्कर्ष समय से पहले और भ्रामक हैं। अध्ययन समूह में जिन लोगों को शामिल किया गया था उनमें पुरुषों, अफ्रीकी अमेरिकियों और धूम्रपान करने वालों की संख्या अधिक थी, जिनमें पहले से ही हृदय रोग और इससे मौत का खतरा अधिक देखा जाता रहा है। प्रो. गार्डनर कहते हैं, इसके अलावा, जांचकर्ताओं के पास शिफ्ट वर्क, तनाव और अन्य डेटा की भी कमी है। ऐसे में सिर्फ इंटरमिटेंट फास्टिंग को ही मृत्यु के लिए जोखिम कारक नहीं माना जा सकता।
शोध की प्रमाणिकता पर सवाल
कनाडा के प्रसिद्ध नेफ्रोलॉजिस्ट और ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ पर किताब लिखने वाले डॉ जेसन फंग ने भी अध्ययन की रिपोर्ट पर प्रश्नचिन्ह लगाए हैं। वह कहते हैं, किसी खास आबादी के परिणामों के आधार पर ये निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। इसकी पुष्टि के लिए और अधिक अध्ययनों की आवश्यकता है। हालांकि एक बात जरूर है कि किसी फास्टिंग का तरीका सभी लोगों पर फिट हो ऐसा भी जरूरी नहीं है इसलिए बिना पूरी जांच और डॉक्टरी सलाह के ऐसे तरीकों को अपनाने से बचा जाना चाहिए।