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DIWALI : सही और गलत की सीख, पर्यावरण की रक्षा, और आत्मविश्वास की प्रेरणा

DIWALI

  • यह भारत का सबसे बड़ा और सबसे प्यारा त्योहार
  • यह हमें सही और गलत के बीच अंतर सिखाता है
  • पर्यावरण की रक्षा और आत्मविश्वास के साथ भाग्य संवारने की प्रेरणा देता है

 


डॉ. दिव्या तंवर
मोटिवेशनल स्पीकर
दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत का सबसे बड़ा और सबसे प्यारा त्योहार है। यह न केवल रोशनी और खुशी का प्रतीक है, बल्कि हमें सही और गलत के बीच अंतर, पर्यावरण की रक्षा, और आत्मविश्वास के साथ अपने भाग्य को संवारने की प्रेरणा भी देता है। यह लेख विशेष रूप से छात्रों के लिए है, ताकि वे समझ सकें कि यह त्योहार हमें क्या सिखाता है और हम इसे कैसे जिम्मेदारी से मना सकते हैं,ये सबक छात्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये उन्हें जीवन में सही दिशा चुनने और एक जिम्मेदार इंसान बनने की प्रेरणा देते हैं। नीचे कुछ प्रमुख नैतिक सबक दिए गए हैं, जो दिवाली की कहानियों और परंपराओं से मिलते हैं।

1. सत्य और धैर्य की जीत

– सबक: भगवान राम की कहानी हमें सिखाती है कि सत्य और धैर्य हमेशा विजयी होता है। रावण जैसे शक्तिशाली राक्षस के सामने भी राम ने धैर्य, नैतिकता, और सत्य का रास्ता नहीं छोड़ा।
– छात्रों के लिए प्रेरणा: पढ़ाई या जीवन में कठिनाइयों का सामना करते समय धैर्य रखें। मेहनत और ईमानदारी से किया गया कार्य हमेशा फल देता है।
– संकल्प: हम मुश्किल परिस्थितियों में भी सत्य और धैर्य का साथ नहीं छोड़ेंगे।

2. सामुदायिक एकता और भाईचारा

– सबक: दिवाली हमें परिवार, दोस्तों और समाज के साथ मिलकर उत्सव मनाने की सीख देती है। यह त्योहार लोगों को एक-दूसरे के करीब लाता है और आपसी प्रेम व सहयोग को बढ़ावा देता है।
– छात्रों के लिए प्रेरणा: स्कूल या कॉलेज में सहपाठियों के साथ सहयोग करें। एक-दूसरे की मदद करने से न केवल रिश्ते मजबूत होते हैं, बल्कि सामूहिक लक्ष्य भी आसानी से प्राप्त होते हैं।
– संकल्प: हम अपने दोस्तों और समाज के साथ मिलकर काम करेंगे और एकता को बढ़ावा देंगे।

3. विनम्रता और कृतज्ञता

– सबक: माता लक्ष्मी की पूजा हमें सिखाती है कि धन और समृद्धि के साथ-साथ विनम्रता और कृतज्ञता भी जरूरी है। धन का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए करना चाहिए।
– छात्रों के लिए प्रेरणा: अपनी उपलब्धियों पर गर्व करें, लेकिन कभी घमंड न करें। जो कुछ आपके पास है, जैसे परिवार, शिक्षक, और अवसर, उनके प्रति आभार व्यक्त करें।
– संकल्प: हम अपने जीवन में मिले अवसरों और संसाधनों के लिए कृतज्ञ रहेंगे और दूसरों की मदद करेंगे।

4. आत्म-नियंत्रण और संयम

– सबक: रावण की कहानी हमें बताती है कि अहंकार, लालच, और अनियंत्रित इच्छाएँ विनाश का कारण बनती हैं। दूसरी ओर, राम और लक्ष्मण ने आत्म-नियंत्रण का उदाहरण प्रस्तुत किया।
– छात्रों के लिए प्रेरणा: पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने, समय का सही उपयोग करने, और अनावश्यक खर्चों से बचने के लिए आत्म-नियंत्रण जरूरी है।
– संकल्प: हम अपनी इच्छाओं और भावनाओं पर नियंत्रण रखेंगे और संयम के साथ निर्णय लेंगे।

5. क्षमा और नई शुरुआत

– सबक: दिवाली नई शुरुआत का प्रतीक है। यह समय है पुरानी गलतियों को भूलकर, दूसरों को माफ करने और नए लक्ष्य निर्धारित करने का।
– छात्रों के लिए प्रेरणा: अगर आपने कोई गलती की है, जैसे पढ़ाई में कम मेहनत करना या किसी से झगड़ा करना, तो उसे स्वीकार करें, माफी माँगें, और सुधार की दिशा में कदम बढ़ाएँ।
– संकल्प: हम अपनी गलतियों से सीखेंगे, दूसरों को माफ करेंगे, और हर दिन बेहतर बनने की कोशिश करेंगे।

6. प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी

– सबक: दिवाली की रोशनी प्रकृति की सुंदरता को दर्शाती है, लेकिन आतिशबाजी और कचरे से पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। यह हमें प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी याद दिलाता है।
– छात्रों के लिए प्रेरणा: पर्यावरण को बचाने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाएँ, जैसे मिट्टी के दीये जलाना, पेड़ लगाना, या प्लास्टिक का उपयोग कम करना।
– संकल्प: हम पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए जिम्मेदारी से काम करेंगे।

7.जानवरों के प्रति दया: हमारा धर्म

हमारी संस्कृति में गाय, कुत्ते, पक्षी और अन्य सभी जीव-जंतुओं को प्रकृति का हिस्सा माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो दूसरों की मदद करता है, खासकर उन मूक प्राणियों की जो अपनी बात नहीं कह सकते, भगवान उनकी प्रार्थनाएँ अवश्य सुनते हैं। दिवाली के दौरान आतिशबाजी और शोर से आवारा जानवर डर जाते हैं, घायल हो सकते हैं, या बीमार पड़ सकते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी खुशी किसी और के लिए दुख का कारण न बने।
हम क्या कर सकते हैं?

कम शोर वाली आतिशबाजी चुनें: ऐसी आतिशबाजी का उपयोग करें जो कम ध्वनि और धुआँ पैदा करे। इससे जानवरों को डर कम लगेगा।
जानवरों की देखभाल: अपने आसपास के आवारा कुत्तों, बिल्लियों या पक्षियों के लिए पानी और भोजन रखें। उनके लिए सुरक्षित स्थान बनाएँ।

8.जागरूकता फैलाएँ:

अपने दोस्तों, परिवार और पड़ोसियों को बताएँ कि आतिशबाजी का शोर जानवरों के लिए कितना हानिकारक हो सकता है।
घायल जानवरों की मदद: अगर आपको कोई घायल जानवर दिखे, तो स्थानीय पशु कल्याण संगठन से संपर्क करें या उनकी मदद करें।
प्रकृति की रक्षा: पेड़ लगाएँ और पर्यावरण को स्वच्छ रखें, क्योंकि यह सभी जीवों का घर है।

9.जरूरतमंदों की मदद: भगवान का आशीर्वाद

हमारा धर्म हमें सिखाता है कि जो जरूरतमंदों की मदद करता है, वह भगवान के सबसे करीब होता है। आवारा जानवर भी उतने ही जरूरतमंद हैं, क्योंकि वे अपनी बात नहीं कह सकते। जब हम उनकी देखभाल करते हैं, उनके प्रति दया दिखाते हैं, तो हम न केवल अपनी मानवता को मजबूत करते हैं, बल्कि भगवान का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं।

एक संकल्प ले सकते हैं

इस दिवाली, आइए हम सभी एक संकल्प लें कि हम जानवरों के प्रति दया और करुणा दिखाएँगे। हमारी छोटी-सी कोशिश न केवल इन मूक प्राणियों के लिए खुशी लाएगी, बल्कि हमारे दिलों को भी सुकून देगी। भगवान हमेशा उन लोगों की सुनते हैं जो बिना स्वार्थ के दूसरों की मदद करते हैं। आइए, इस दिवाली अपने उत्सव को और सार्थक बनाएँ। जानवरों के प्रति दया दिखाएँ, पर्यावरण को स्वच्छ रखें, और जरूरतमंदों की मदद करें। यही सच्ची दिवाली है—रोशनी और प्रेम की दिवाली!

-जानवरों के प्रति दया बरतें, क्योंकि यह हमारी पृथ्वी और हमारा धर्म है।
-रोशनी बाँटें, नैतिकता अपनाएँ, और अपने जीवन को सार्थक बनाएँ!
शुभ दीपावली!

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