Cow
- मुख्यमंत्री सैनी ने गोवंश संरक्षण और गोशालाओं को सशक्त बनाने के लिए किए बड़े ऐलान
- चारे के लिए अनुदान राशि को एक अगस्त से पांच गुना करके प्रति गाय 20 रुपये प्रतिदिन
- पंचायतें सरकार की स्वीकृत से पंचायती भूमि गोशाला की स्थापना के लिए 20 सालों के पट्टे पर दे सकेंगी
- नई गोशाला के लिए जमीन खरीदने पर नहीं लगेगी कोई स्टाम्प डयूटी
Cow : चंडीगढ। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सोमवार को प्रदेश को बेसहारा गोवंश मुक्त प्रदेश बनाने के लिए बेसहारा गोवंश मुक्त अभियान का शुभारंभ करते हुए गोवंश संरक्षण और गौशालाओं को सशक्त बनाने के लिए कई बउ़े ऐलान किए हैं। सैनी ने यह घोषणाएं पंचकूला में आयोजित गौसेवा सम्मेलन में की। उन्होंने प्रति गाय 4 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से सभी गौशालाओं को चारे के लिए अनुदान राशि को एक अगस्त 2024 से पांच गुना करके प्रति गाय 20 रुपये प्रतिदिन करने की घोषणा की। नंदी के लिए 25 रुपये प्रतिदिन और बछड़ा/बछड़ी के लिए 10 रुपये प्रतिदिन चारा अनुदान की घोषणा की। बेसहारा गाय/बछड़ा/बछड़ी पकड़कर गौशाला में लाने के लिए 600 रुपये प्रति गाय और 800 रुपये प्रति नन्दी की दर से तुरंत नगद भुगतान किया जाएगा। बेसहारा पशुओं में से बछड़ा/बछड़ी के लिए 20 रुपये, गाय के लिए 30 रुपये तथा नन्दी के लिए 40 रुपये प्रतिदिन चारा के लिए अनुदान भी दिया जाएगा।
ग्राम पंचायत को यह अधिकारी
सीएम ने कहा कि ग्राम शामलात भूमि हरियाणा संशोधन नियम 2023 के तहत अब सरकार की स्वीकृत उपरांत कोई भी पंचायत अपनी पंचायती भूमि गौशाला की स्थापना के लिए 20 सालों के पट्टे पर किसी संस्थान को दे सकती है। हमने इस नियम के तहत अब तक दो गौशालाओं को पंचायती भूमि पट्टे पर देने का काम किया है, जिसमें जिला नूहूं की ग्राम पंचायत हसनपुर और रांगला शामिल हैं। ग्राम पंचायत द्वारा पट्टे पर पंचायती जमीन देने की यह स्वीकृति पहले मंत्री परिषद की बैठक में दी जाती थी, अब यह स्वीकृति मुख्यमंत्री कार्यालय से ही मिलेगी।
गौशालाओं को 1.25 लाख रुपये प्रति ई-रिक्शा के मिलेंगे
प्रदेश में नई गौशाला के लिए जमीन खरीदने पर कोई स्टाम्प डयूटी नहीं लगेगी। साथ ही नई गौशाला के लिए ना तो सीएलयू लेने की आवश्यकता होगी और ना ही कोई ईडीसी या और किसी किस्म की फीस देनी होगी। गौशाला में एक ट्यूबवैल लगाने के लिए कोई अनुमति आवश्यक नहीं होगी। एक हजार गायों वाली गौशाला के लिए एक ई-रिक्शा तथा इससे अधिक गायों वाली गौशालाओं के लिए दो ई-रिक्शा खरीद के लिए 1.25 लाख रुपये प्रति ई-रिक्शा दिए जाएंगे। प्रदेश में पंजीकृत 675 गौशालाओं में से 331 गौशालाओं में सौर उर्जा प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं। उन्होंने शेष 344 गौशालाओं में भी सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करने की घोषणा की। सौर उर्जा प्लांट के लिए गौसेवा आयोग की तरफ से 5 प्रतिशत और हरेडा की तरफ से 85 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।
वैटनरी सर्जन और वीएलडीए गौशालाओं में करेंगे गायों की जांच
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि तीन हजार से अधिक गाय वाली गौशालाओं में सप्ताह में एक दिन सरकारी वैटनरी सर्जन और तीन हजार से कम गाय वाली गौशालाओं में सप्ताह में एक दिन सरकारी वीएलडीए गायों की जांच व उपचार के लिए दौरा करेंगे। राज्य सरकार द्वारा 70 मोबाइल पशु चिकित्सालयों की व्यवस्था की गई है। मोबाईल पशु चिकित्सालय सप्ताह में एक दिन केवल गौशालाओं के गौवंश के उपचार, टैगिंग, टीकाकरण, गिनती आदि के लिए उपलब्ध होंगी।
देशी गाय रखने वाले किसानों को 30 हजार का अनुदान
प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए जो किसान देशी गाय रखेगा उसे प्रति गाय 30 हजार रुपये वार्षिक अनुदान दिया जाएगा। हर शहर में पशु चिकित्सक, प्रशासक या सचिव नगर-निकाय तथा गौशाला के प्रतिनिधियों की समिति गौशालाओं में गौवंश संख्या की तस्दीक करेगी। शहर में जब भी बेसहारा गौवंश सड़कों पर दिखेगा, गौशालाओं को उन्हें पकड़ने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा तथा एक आर.एफ.आई.डी टैग द्वारा इन बेसहारा गौवंश की निगरानी भी की जाएगी।
तीन योजनाओं के तहत अनुदान राशि जारी
-रिमोर्ट का बटन दबाकर गौशाला एवं गौसदन विकास योजना के अंतर्गत गौशालाओं को वित वर्ष 2024-25 के लिए चारा अनुदान के लिए 32.73 करोड़ रुपये प्रथम किस्त के रूप में जारी किए।
-22 जिला की प्रत्येक गौशाला को गौशाला एवं गौसदन विकास योजना के अंतर्गत अनुदान राशि के चैक वितरित किए।
-वित वर्ष 2023-24 की बची हुई 51 गौशालाओं को 3.23 करोड़ रुपये तृतीय चारा अनुदान राशि जारी की। बेसहारा गौवंश पुनर्वास अभियान के तहत 42 पंजीकृत गौशालाओं को 29.36 लाख रुपये की राशि भी जारी की।
देशी गाय का दूध डाइबिटीज व हृदय रोगों से बचाव व उपचार में लाभकारी
गाय का दूध अमृत के समान माना जाता है। वैज्ञानिक शोधों से भी यह प्रमाणित हो चुका है कि देशी गाय का दूध उसकी ए-2 आनुवांशिकी के कारण डाइबिटीज व हृदय रोगों से बचाव व उपचार में अत्यन्त लाभकारी है। गाय का दूध मां के दूध के समान गुणकारी माना है। गाय का दूध तो अमृत है ही, गोमूत्र तथा गोबर को भी भारतीय चिकित्सा पद्धति के अनुसार बड़ा उपयोगी माना गया है। इन वैज्ञानिक तथ्यों को देखते हुए अब फिर से हमें देसी गौवंश के महत्व को समझना होगा तथा उनके संरक्षण एवं विकास के लिए और ठोस कदम उठाने होंगे ताकि हम अपनी अमूल्य निधि गौधन को सुरक्षित रख सकें।
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