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Cough Syrup : कप सिरप में खतरनाक केमिकल चार राज्यों में बैन, कई जगह छापेमारी

Cough Syrup

  • नमूने की जांच में पुष्टि तमिलनाडु, मप्र राजस्थान और केरल में बैन
  • सैंपल्स की जांच में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल निर्धारित सीमा से अधिक
  • तमिलनाडु ने जांच रिपोर्ट मप्र को भेजी, केंद्र की एडवायजरी
  • मध्य प्रदेश और राजस्थान में 11 बच्चों की मौत के बाद चार राज्यों ने कोल्डि्रफ कफ सिरप की बिक्री पर रोक
  • चेन्नई स्थित एक कंपनी की फैक्टरी में निरीक्षण के दौरान वहां से एकत्र किए गए ‘कफ सिरप’ के नमूने में मिलावट मिली
  • कोल्डि्रफ कफ सिरप के सैंपल्स की जांच में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल निर्धारित सीमा से अधिक मात्रा में मिला
  • यह जांच मप्र सरकार के अनुरोध पर कराई गई थी
  • उत्तराखंड में छापेमारी की गई। सिरप को लेकर छत्तीसगढ़ में भी जांच की जाएगी

चेन्नई/भोपाल। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने तमिलनाडु की कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा है। उसे यहां के समीप स्थित अपनी फैक्टरी में सिरप का उत्पादन रोकने का निर्देश दिया है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में 11 बच्चों की मौत ‘कफ सिरप’-‘कोल्डि्रफ’ से जुड़े होने का संदेह होने के बाद तमिलनाडु, मप्र, राजस्थान और केरल सरकार ने इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाने और बाजार से इसके भंडार को हटाने के आदेश दिए हैं। अधिकारी ने बताया कि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की एक टीम ने पिछले सप्ताह पड़ोसी कांचीपुरम जिले के सुंगुवरचत्रम में दवा कंपनी की फैक्टरी का निरीक्षण किया और वहां से ‘कफ सिरप’ के नमूने एकत्र किए। फैक्टरी से जांच करने के मकसद से लिए गए नमूनों के परिणामों के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने शनिवार को कहा, जांच के वास्ते लिये गए नमूने में मिलावट पाई गई है और हमने निर्माता से स्पष्टीकरण मांगा है। अगले आदेश तक संयंत्र में उत्पादन बंद रहेगा। उन्होंने कहा, जब तक कंपनी हमें संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं देती फैक्टरी में उत्पादन बंद रहेगा। उन्होंने बताया कि कंपनी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और पुडुचेरी में सिरप की आपूर्ति की है। मध्य प्रदेश में इस मामले में नौ लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि मीडिया की खबरों के अनुसार राजस्थान में दो शिशुओं की मृत्यु हुई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी

इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सतर्क रहने और बच्चों में खांसी की दवाओं का विवेकपूर्ण उपयोग करने की सलाह दी है। मंत्रालय ने एडवाइजरी में स्पष्ट किया है कि दो साल से छोटे बच्चों को किसी भी प्रकार का कफ सिरप बिल्कुल नहीं दिया जाना चाहिए। वहीं पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी सामान्य रूप से इन दवाओं की सिफारिश नहीं की जाती। विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश मामलों में बच्चों की खांसी बिना दवा के भी ठीक हो जाती है, इसलिए पानी, आराम और सहायक उपचार को प्राथमिकता देना चाहिए।

छह राज्यों में 19 दवा कंपनियों की जांच

स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत की खबरों के बाद छह राज्यों में कफ सिरप और एंटीबायोटिक दवाएं बनाने वाली 19 कंपनियों के प्लांट में 3 अक्टूबर से निरीक्षण शुरू किया है। इसका उद्देश्य उन खामियों की पहचान करना है जिनके कारण दवा की क्वालिटी में कमी आई है।

राजस्थान में ड्रग कंट्रोलर सस्पेंड

राजस्थान में डेक्सट्रोमेथोरपन हाइड्रोब्रोमाइड कफ सिरप और उसे बनाने वाली कंपनी केसंस फार्मा को भी प्रतिबंधित कर दिया गया। इस कंपनी का प्लांट जयपुर में है। इस सिरप से राजस्थान में 2 बच्चों की जान गई। राजस्थान सरकार ने केसंस फार्मा की सभी 19 प्रकार की दवाइयों पर रोक लगा दी है।
राज्य के ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को निलंबित कर दिया। इससे पहले, शर्मा ने कंपनी को जांच में क्लीन चिट दी थी।

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