Constitution
- संविधान दिवस पर विशेष: मध्य भारत प्रांत से संविधान की प्रारूप समिति में शािमल थे 19 दिग्गज
- अंग्रेजी में लिखा कैलीग्राफी कलाकार प्रेमबिहारी नारायण और हिंदी में लिखा था वसंतकृष्ण वैद्य ने
- इंग्लैंड से मंगवाए गए पार्चमेंट पेपर पर हाथ से लिखी गई यह किताब आजाद भारत का पवित्र ग्रंथ
Constitution : नई दिल्ली। 22 इंच लंबी। 16 इंच चौड़ी। सोने की कारीगरी। इंग्लैंड से मंगवाए गए पार्चमेंट पेपर पर हाथ से लिखी गई यह किताब आजाद भारत का एक पवित्र ग्रंथ है। यह हमारा संविधान है। िजसे अग्रेंजी में लिखा था कैलीग्राफी कलाकार प्रेमबिहारी नारायण राजजादा ने। हिंदी में लिखा था वसंतकृष्ण वैद्य ने। पं. जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि अंग्रेजी प्रारूप इटैलिक में लिखा जाए। प्रेमबिहारी ने इसे इटैलिक शब्दों में ही लिखा। पहले इसमें 395 आिर्टकल, 8 शेड्यूल व एक प्रस्तावना थी। इसमें चित्र बनाए थे शांति निकेतन के कलाकार नंदलाल बोस ने, जिन्होंने भारत रत्न व पद्य पुरस्कारों को डिजाइन किया है। यह मूल प्रति संसद की लाइब्रेरी में कांच के बक्सों में रखी है, जो कैलीफोर्निया से मंगवाए गए थे। इनमें हीलियम गैस भरी हुई है। ताकि, पांडुलिपि को कोई नुकसान न पहुंचे। संविधान की प्रारूप समिति में मध्य भारत प्रांत से 19 दिग्गज शािमल थे। इन सदस्यों के रूप में मऊ से डाॅ. भीमराव आंबेडकर, राजगढ़ से राधावल्लभ विजयवर्गीय, जबलपुर से सेठ गोविंद दास, सागर से पंडित रविशंकर शुक्ल, डाॅ. हरिसिंह गौर और रतनलाल मालवीय, भोपाल से मास्टर लालसिंह सिनसिनवार, खंडवा से भगवंत राव मंडलोई, नरसिंहपुर से हरिविष्णु कामथ, जबलपुर से फ्रेंक एंथोनी, नीमच से सीताराम जाजू, सतना से अवधेश प्रताप सिंह, शहडोल से शंभूनाथ शुक्ल, विदिशा से बाबू रामसहाय, इंदौर से विनायक सीताराम सरवटे और गुना से गोपीकृष्ण विजयवर्गीय प्रमुख थे।
बाबू राधावल्लभ व रामसहाय को भी मिला था यह गौरव
राजगढ़ रियासत से अपना सफर शुरू करते हुए बाबू राधावल्लभ विजयवर्गीय ने अपनी शिक्षा सिंगापुर एवं लंदन से पूरी की। नरसिंहगढ़ पहुंचने पर बाबू राधावल्लभ ने अछूतों की सेवा के लिए मित्र मंडल की स्थापना की व देश की आजादी के लिए लोगों को जागरूक किया। अछूतों की सेवा के लिए हरिजन सेवा संघ की स्थापना की गई। बाबू राधावल्लभ को झूठे आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया। इस मामले की जानकारी के लिए महात्मा गांधी को पत्र लिखा गया तब गांधी जी की सहयोगी राजकुमारी अमृतकौर एवं कन्हैयालाल वैद्य नरसिंहगढ़ आए । विदिशा के बाबू रामसहाय को संविधान सभा के सदस्य के रूप में कार्य करने का गौरव प्राप्त हुआ।