Cancer Day
- वर्तमान में 14 लाख 61 हजार 427 लोग हैं कैंसर से पीड़ित
- वर्ष 2022 से देश में कैंसर के मामलों में हो रही 12 फीसदी की वृद्धि
Cancer Day : नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने सोमवार को कैंसर जीनोम डेटाबेस लांच किया। जिसने देश में कैंसर अनुसंधान को नई दिशा प्रदान की है। साथ ही संस्थान ने इसे bcga.iitm.ac.in नामक वेबलिंक पर अपलोड कर हर खासो आम के लिए सार्वजनिक कर दिया है। अब देश के साथ-साथ विदेशों के भी शोधकर्ता और चिकित्सक इसका आसानी से प्रयोग कर सकेंगे। आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो.वी.कामकोटि ने अपने परिसर में भारत कैंसर जीनोम एटलस (बीसीजीए) को भी जारी किया। यह जानकारी आईआईटी मद्रास ने एक बयान जारी कर दी। जिसमें बताया कि यह डेटाबेस 4 फरवरी 2025 को विश्व कैंसर दिवस के मद्देनजर बहुत प्रासंगिक है।
दुनिया की जानलेवा बीमारी कैंसर
कैंसर हालांकि पूरी दुनिया की सबसे जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। हाल ही में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने अपनी एक रिपोर्ट में भी इस घातक बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या लगातार बढ़ने की चेतावनी दी थी। वर्ष 2022 से हर साल देश में कैंसर के मामलों में 12 फीसदी की वृद्धि देखने को मिल रही है। संस्थान ने यह अनुसंधान अपने सेंटर फॉर एक्सीलेंस ऑन कैंसर जीनोमिक्स एंड मॉलिक्यूलर थेरैप्यूटिक्स (सीजीएमटी) के मार्गदर्शन में किया। जिसे केंद्र ने वित्तीय मदद की।
उपचार में मिलेगी सहायता
आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो.वी.कामकोटि ने कहा कि कैंसर जीनोम एटलस केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के शोध समुदाय के लिए लाभदायक है। इस संबंध में जारी किया गया डेटाबेस इस साल में ब्रेन डेटा के बाद हमारी दूसरी बड़ी उपलब्धि है। मैं उम्मीद करता हूं कि इसकी मदद से हमें इस प्राणघातक बीमारी के कारणों की गहरी जानकारी मिलेगी। जिससे उपचार जल्द होने से बीमारी की रोकथाम हो सकेगी। एटलस से देश के अंदर विभिन्न कैंसरों के जीनोमिक लैंडस्केप की अनुपलब्धता दूर होगी। यह समकालीन भारतीय स्तन कैंसर आबादी में दिखते जेनेटिक वेरिएंट का एक संग्रह प्रस्तुत करेगा। जिससे शुरुआती निदान, बीमारी के बढ़ने और उपचारों के परिणामों के मद्देनजर वेरिएंट्स को वर्गीकृत करना संभव हो सकेगा। सीजीएमटी के प्रमुख और परियोजना समन्वयक प्रो.एस.महालिंगम ने बताया कि यह डेटाबेस खासतौर पर भारत में कैंसर के बायोमार्करों की पहचान करने का एक अमूल्य संसाधन होगा। जिससे स्तन कैंसर का जल्द पता लगाया जा सकेगा।
2020 में की थी कार्यक्रम की शुरुआत
आईआईटी मद्रास ने वर्ष 2020 में कैंसर जीनोम कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य देश में विभिन्न प्रकार के कैंसरों के जीनोमिक लैंडस्केप की अनुपलब्धता दूर करना था। कार्यक्रम के तहत देश में स्तन कैंसर के 480 मरीजों के टिश्यू सैंपल लेकर 960 संपूर्ण एक्सोम सीक्वेंसिंग का काम पूरा किया गया है। इसके अलावा संस्थान ने मुंबई के कर्किनोस हेल्थकेयर, चेन्नई ब्रेस्ट क्लिनिक और कैंसर रिसर्च एंड रिलीफ ट्रस्ट (चेन्नई) के सहयोग से डेटा का विश्लेषण किया।
किट व दवा के विकास में मददगार
आईआईटी मद्रास ने भारतीय स्तन कैंसर के सैंपल से प्राप्त आनुवंशिक वेरिएंट की अनाम समरी तैयार की है। यह डेटाबेस इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि देश में बढ़ते कैंसर के प्रकोप के बावजूद दुनिया में हो रहे कैंसर जीनोम अध्ययनों में हमारी बहुत कम भागीदारी है। इसके अलावा भारत में अधिक प्रकोप वाले कैंसरों के जीनोमिक आर्किटेक्चर उपलब्ध नहीं है। जिसकी वजह से भारतीय कैंसरों के विशिष्ट आनुवंशिक वेरिएंट को पूरी तरह एकत्र और सूचीबद्ध करने का काम नहीं हुआ। जबकि ऐसा करना किसी भी डायग्नोस्टिक किट और दवा के विकास के लिए जरूरी है।
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