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- पीएम मोदी की प्रेरणा से बदला बीएसएफ डॉग-स्क्वाड की संरचना
- -राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में दिखेगी स्वदेशी के-9 की शक्ति
- -अब देसी ब्रीड के जबांज कुत्तों ने खुद को उम्दा साबित किया
- -स्वदेशी नस्ल के प्रशिक्षित डॉग स्क्वाड के-9 अपना जैहर दिखाने को तैयार
- -भारतीय नस्ल के डॉग स्क्वाड बीएसएफ में शामिल हो कर राष्ट्र सेवा की अग्रिम पंक्ति में तैनात
नई दिल्ली। विदेशी नहीं अब देसी ब्रीड के जबांज कुत्तों ने खुद को उम्दा साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। “इंडियन डॉग्स” को बेहतर प्रशिक्षण से कैसे विदेशी ब्रीड के डॉग स्क्वाड के समक्ष खड़ा लिया जा सकता है उसकी बानगी राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में दिखेगी। जहाँ स्वदेशी नस्ल के प्रशिक्षित डॉग स्क्वाड के-9 अपना जैहर दिखाने को तैयार हैं। भारतीय नस्ल के डॉग स्क्वाड बीएसएफ में शामिल हो कर राष्ट्र सेवा की अग्रिम पंक्ति में तैनात किए गए हैं।
गृह मंत्रालय के आला अधिकारी ने बताया, इस पहल की शुरुआत जनवरी 2018 में हुई, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टेकनपुर स्थित राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र का दौरा किया और भारतीय नस्लों के श्वानों को सुरक्षा बलों में शामिल करने का आह्वान किया। बाद में, 30 अगस्त 2020 को ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने स्वदेशी नस्लों को अपनाने और “वोकल फॉर लोकल” की भावना को बढ़ावा देने की अपील की।
प्रधानमंत्री की प्रेरणा से बीएसएफ ने दो भारतीय नस्लों — रामपुर हाउंड और मुधोल हाउंड — को अपने बल में शामिल किया। रामपुर हाउंड, उत्तर प्रदेश की रामपुर रियासत की पहचान है, जिसे नवाबों ने शिकार के लिए विकसित किया था। यह नस्ल अपनी फुर्ती और निर्भीकता के लिए प्रसिद्ध है। मुधोल हाउंड, दक्कन के पठार का गौरव है, जो मराठा सेनाओं से जुड़ा रहा है। बाद में राजा मलोजीराव घोरपड़े ने इसका संरक्षण किया और ब्रिटिश अधिकारियों के समक्ष इसे “कारवां हाउंड” के रूप में प्रस्तुत किया।
अधिकारी ने बताया, टेकनपुर में बीएसएफ इन भारतीय श्वानों को न केवल प्रशिक्षित कर रही है, बल्कि उनके प्रजनन से देसी नस्ल के खास कुत्तों की फौज तैयार की जा रही है। अब यह कार्यक्रम सहायक के-9 केंद्रों तक विस्तारित हो चुका है। वर्तमान में 150 से अधिक भारतीय नस्लों के श्वान पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं तथा नक्सल प्रभावित इलाकों में सक्रिय तैनाती पर हैं।
वर्ष 2024 की अखिल भारतीय पुलिस ड्यूटी मीट (लखनऊ) में बीएसएफ की “रिया”, एक मुधोल हाउंड, ने ‘सर्वश्रेष्ठ ट्रैकर ट्रेड श्वान’ और ‘डॉग ऑफ द मीट’ दोनों खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। यह पहली बार था जब किसी भारतीय नस्ल के डॉग्स ने 116 विदेशी नस्लों को पीछे छोड़ यह उपलब्धि हासिल की।
अब इस गौरव को और बढ़ाते हुए, आगामी राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में (एकता नगर, गुजरात), बीएसएफ केवल भारतीय नस्लों के श्वानों की एक विशेष मार्चिंग टुकड़ी प्रस्तुत करेगी। इस अवसर पर भारतीय श्वानों की सामरिक कुशलता का प्रदर्शन भी किया जाएगा।
भारतीय नस्लों के श्वानों का बीएसएफ में समावेश देश की आत्मनिर्भरता, स्वदेशी गौरव और राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक बन गया है। यह पहल न केवल भारत की पारंपरिक नस्लों को पुनर्जीवित कर रही है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारत अपनी शक्ति, परंपरा और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है — और इस यात्रा में भारतीय श्वान गर्व से राष्ट्र सेवा में जुटे हैं।