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Haryana News : एमडीयू में फैकल्टी हाउस के इंचार्ज की छुट्टी, फैकल्टी हाउस के कर्ताधर्ता थे

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  • कुछ महीनों से दो खेमों में बंटा है मदवि समुदाय, अब छात्र भी कर रहे आंदोलन
  • हटाने की वजह, पहली 3 अक्टूबर को फैकल्टी हाउस में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के स्टाॅफ के भोजन में कांच के टुकड़े जैसा कुछ मिलना
  • दूसरी वजह 19 सितंबर को वीसी आवास में छात्रों का जबरन घुसना

रोहतक। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय(मदवि) प्रशासन ने फैकल्टी हाउस के इंचार्ज बलजीत सिंह ओएसडी (बागवानी) को तत्काल प्रभाव से कार्यभार मुक्त कर दिया। सूत्रों के अनुसार इसकी दो अंदरूनी वजह बताई जा रही हैं। पहली 3 अक्टूबर को फैकल्टी हाउस में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के स्टाॅफ के भोजन में कांच के टुकड़े जैसा कुछ मिलना और दूसरी वजह 19 सितंबर को वीसी आवास में छात्रों का जबरन घुसना। बताया जा रहा है कि जो छात्र घटना की अगुवाई कर रहे थे, वे बलजीत सिंह के करीबी थे। उनकी शह के बिना वे अंदर नहीं जा सकते थे। बलजीत को इंचार्जशिप से हटाने से पहले भी यूनिवर्सिटी कई और प्रशासनिक नजदीकियों को उनका मूल काम सौंप चुकी है। जब से उन्हें मूल काम सौंपा गया है, तब से विश्वविद्यालय में नित नए विवाद जन्म ले रहे हैं। 19 सितंबर को वीसी आवास पर छात्रों ने गमला फैक्ट्री पकड़ी थी। ध्यान रहे कि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने अपने आदेश में बलजीत को पद से क्यों हटाया जा रहा है, ये उल्लेख नहीं किया है।

एक दिन के लिए बने थे एक्सईन

सूत्र बताते हैं कि वीसी आवास में घुसने की घटना जिस दिन हुई थी, उस दिन से ही यूनिवर्सिटी प्रशासन का एक अधिकारी बलजीत सिंह से खफा हो गया था। अगर तुरंत इन्हें फैकल्टी हाउस के इंचार्ज पद से हटाया जाता तो प्रशासन को लेकर कर्मचारियों में गलत संदेश जाता है। वहीं, जब छात्र आवास में घुसे थे तो बलजीत बीच-बचाव में सबसे आगे थे। इसके बाजवूद उन्हें अब पद से हटा दिया। ध्यान रहे कि बलजीत 2 साल 11 महीने पहले यूनिवर्सिटी से रिटायर हुए थे। अधिकारियों के प्रति इनकी वफादारी को देखते हुए इन्हें एक दिन के लिए एसडीओ से एक्सईन के पद पर पदोन्नत किया गया था। इन्हें दोबारा नौकरी पर भी रखा गया। इनकी सेवा को हर साल एक्सटेंशन दी जाती है। अब तक तीन बार एक्सटेंशन मिल चुकी है।

दो खेमों में कुछ प्रोफेसर भी

अधिकारी को मौका-बहाना मिलते ही किचन कैबिनेट से अब विरोधी दिखाई देने वाले लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। दो खेमों के अलावा कुछ ऐसे प्रोफेसर भी हैं, जिन्हें बीते साढ़े छह साल में मूल काम के अलावा दूसरा प्रशासनिक कार्य यूनिवर्सिटी ने दिया नहीं, वे दोनों तरफ से चटकारे ले रहे हैं। नॉन टीचिंग वाले इस समय संघ के वार्षिक चुनाव में मस्त हैं। टीचिंग वाले आंदोलनकारी छात्रों की समस्याओं से व्यस्त,ग्रस्त और त्रस्त हैं। जांच करके सिफारिशें की जा रही हैं कि वीसी आवास में घुसने वाले छात्रों के खिलाफ क्या कार्रवाई करना मुनासिब होगा।

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