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INLD : रोहतक में इनेलो सम्मान रैली : जननायक देवीलाल की जयंती पर बिछड़ा कुनबा जोड़ने की कवायद

Bymayank

Sep 26, 2025

INLD

  • कांग्रेस भाजपा पर साधा निशाना, दोनों पाटियों ने मनमाने कानूनों से जनता को लूटा
  • बादल परिवार के साथ जम्मू कश्मीर के डिप्टी सीएम सुरेंद्र चौधरी व के कविता भी पहुंची
  • कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री प्रो. संपत सिंह की मौजूदगी ने सभी को चौकाया
  • जम्मू कश्मीर के डिप्टी सीएम सुरेंद्र चौधरी, के कविता, सुखबीर बादल
  • दिल्ली के शराब घोटाले में आप नेताओं के साथ आया था के कविता का नाम
  • भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास रहे मंजीत कन्हेली ने रोहतक में आयोजित सम्मान रैली में अपना दम दिखाया
  • इनेलो मंजीत को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ में अपना उम्मीदवार बना सकती

रोहतक। हरियाणा की राजनीति के सिरमौर रहे जननायक पूर्व उपप्रधानमंत्री चौ. देवीलाल की 112वीं जयंती पर वीरवार को रोहतक की अनाज मंडी में सम्मान रैली का आयोजन किया। जिसका मकसद 2005 में प्रदेश की सत्ता का ताज भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में आने के बाद इनेलो से खींचकर कांग्रेस के साथ गए जाट वोट बैंक को फिर अपने साथ जोड़ना था। इसके लिए देश के बड़े-बडे नेताओं (विशेषकर जाट) को निमंत्रण दिया गया। जिनमें पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का नाम भी शामिल था। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ तो रैली में नहीं पहुंचे, परंतु हमेशा से देवीलाल परिवार के साथ खड़े दिखाई देने वाली बादल परिवार के राजनीतिक वारिश सुखबीर सिंह बादल, जम्मू कश्मीर के डिप्टी सीएम सुरेंद्र चौधरी व के कविता शामिल हुई। के कविता वहीं नेता है, जिनका नाम दिल्ली के शराब घोटाले में शामिल थी। रैली कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री और देवीलाल के राजनीतिक शिष्य रहे संपत्त सिंह की मौजूदगी ने सभी को चौकाया। इनेलो के बाद भाजपा व फिर कांग्रेस में आए संपत सिंह 2024 के विधानसभा चुनाव के समय से कांग्रेस विशेषकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा से नाराज चले आ रहे हैं।

कांग्रेस-बीजेपी ने जनता को लूटा

इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. अभय सिंह चौटाला ने मंच से पूर्व प्रधानमंत्री देवीलाल को नमन कर उनके द्वारा किसानों व कमेरों के हित में किए गए कार्यों को याद किया। उन्होंने कहा कि भाजपा व कांग्रेस ने अपने 20 साल के शासनकाल में मनमाने कानून थोंपकर प्रदेश की जनता को लूटा है। अब हम भाजपा व कांग्रेस को प्रदेश से खेदड़कर फिर से किसानों व कमेरों की सरकार बनाएंगे। प्रदेश में अपराध व अपराधी बेखौफ हैं, आए दिन हत्या, बलात्कार व फिरौती की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। अफसरशाही बेलगाम हैं। युवा बेरोजगार हैं, प्रदेश में शिक्षा प्रणाली ध्वस्त हो चुकी है।

मंजीत कन्हेली ने दिखाया दम

कभी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास रहे मंजीत कन्हेली ने रोहतक में आयोजित सम्मान रैली में अपना दम दिखाया। हरियाणा में करीब दो दशक बाद कांग्रेस के जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद मंजीत कन्हेली ने कांग्रेस छोड़कर इनेलो में शामिल हो गए थे।जिला परिषद के वाइस चेयरमैन व पार्षद सहित हुड्डा के कई नजदीकी नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं। मंजीत के इनेलो में आने के बाद अभय सिंह चौटाला ने उन्हें सम्मान दिवस रैली के मुख्य आयोजकों में एक बनाकर सम्मान दिया। जिससे मंजीत ने रैली में भीड़ जुटाकर अपनी ताकत दिखाई। अब माना जा रहा है कि 2029 के चुनाव में इनेलो मंजीत को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ में अपना उम्मीदवार बना सकती है। जो हुड्डा परिवार के लिए धीरे से लगा जोर का झटका साबित हो सकता है।

घर वापसी करेंगे संपत सिंह?

पूर्व मंत्री संप्पत सिंह चौ. देवीलाल को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। देवीलाल व ओमप्रकाश चौटाला के समय में संप्पत सिंह पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक माने जाते थे। चौटाला परिवार के दो फाड़ होने के बाद 2019 में इनेलो छोड़कर पूर्व मंत्री संप्पत सिंह इनेलो छोड़कर भाजपा में आ गए थे। किसान आंदोलन के चलते चुनाव के बाद संप्पत सिंह भाजपा छोड़ भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कहने पर कांग्रेस में शामिल हो गए। 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले टिकट को संप्पत सिंह कांग्रेस विशेषकर हुड्डा से खफा हैं। ऐसे में 25 सिंतबर को रोहतक में आयोजित इनेलो की सम्मान रैली में संप्पत सिंह की मौजूदगी से एक बार फिर चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है।

अभय नहीं छू पाए देवीलाल व चौटाला की लकीर

देवीलाल ने कांग्रेस के खिलाफ देश के विपक्षी नेताओं को एकजुट किया तथा 1989 में पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई। जिसके चलते देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने। इसके बाद ही देवीलाल को जननेता का नाम दिया गया था। ओमप्रकाश चौटाला ने पिता की विरासत को काफी हद तक संभालकर रखा। देवीलाल की जयंती पर ओमप्रकाश चौटाला ने प्रकाश सिंह बादल, लालू यादव, शरद पंवार, नीतिश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, फारूख अब्बदुला, ममता बनर्जी समेत देश के कई बड़े नेता शामिल हुए थे। जबकि अभय सिंह बादल परिवार के अलावा केवल दो छोटे नेताओं को ही मंच पर ला पाए।

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