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National News : भारत की ‘आतंकवाद’ पर बड़ी कूटनीतिक जीत, ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ को अमेरिका ने घोषित किया आतंकी संगठन

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  • 22 अप्रैल को किए गए पहलगाम हमले का असल गुनहगार टीआरएफ
  •  धारा-370 को हटाए जाने के बाद बना पाक की आतंकी साजिश का नया चेहरा

National News : नई दिल्ली। सीमा-पार पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मामले पर भारत को बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है। जिसमें अमेरिका ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मुखौटा संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) को विदेशी आतंकी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से प्रतिबंधित वैश्विक आतंकी संगठन (एसडीजीटी) घोषित कर दिया। भारत की तरफ से शुक्रवार को विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर ने अमेरिका के इस निर्णय का स्वागत किया। एक्स पोस्ट में उन्होंने कहा कि यह फैसला भारत-अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ सहयोग से जुड़ी हुई दृढ़ प्रतिज्ञा को प्रदर्शित करता है। ‘आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस. ऑप-सिंदूर। उन्होंने कहा, ‘मैं 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन और विशेष रूप से प्रतिबंधित वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और अमेरिका के विदेश मंत्रालय की सराहना करता हूं’। टीआरएफ ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी’।

पहलगाम हमले में ट्रंप का न्याय

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वह टीआरएफ को एफटीओ और एसडीजीटी की सूची में शामिल कर रहा है। जिसने पहलगाम आतंकी हमले (26 लोगों की हत्या की गई) की जिम्मेदारी ली थी। ये हमला भारत में 2008 में लश्कर-ए-तैयबा द्वारा मुंबई में किए गए आतंकी हमले के बाद आम जन पर किया गया सबसे घातक हमला था। टीआरएफ ने भारतीय सुरक्षा बलों पर किए गए कई हमलों की जिम्मेदारी ली है। जिसमें 2024 में हुआ हमला भी शामिल है। आतंकी संगठन के खिलाफ की गई कार्रवाई अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले में न्याय के राष्ट्रपति ट्रंप के रुख पर प्रशासन की काम करने की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। अमेरिका का ये निर्णय अप्रवासन और राष्ट्रीयता कानून की धारा-219 और कार्यकारी आदेश-13224 के तहत लिया गया है। मंत्रालय ने समीक्षा की और एलईटी को विदेशी आतंकी संगठन घोषित करने का दर्जा बरकरार रखा है। ये बदलाव फेडरल रजिस्टर में प्रकाशन के साथ लागू हो जाएंगे।

भारत में इन हमलों का गुनहगार टीआरएफ

सूत्रों ने बताया, केंद्र सरकार द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से की गई धारा-370 की समाप्ति से बुरी तरह से बौखलाए पाकिस्तान ने आईएसआई की मदद कई आतंकी संगठनों को नए नाम, पहचान के साथ आगे किया था। इसी साल अक्टूबर महीने में एलईटी के मुखौटा संगठन के रूप में टीआरएफ को केंद्रशासित प्रदेश में आतंक का खूनी खेल खेलने की जिम्मेदारी सौंपी गई। जिसका मुख्य काम आतंकी हमले से लेकर भर्ती, प्रॉपेगेंडा, तस्करी करना था। ये अपने हमलों में ज्यादातर आम लोगों, अल्पसंख्यकों, सुरक्षाबलों और पर्यटकों को निशाना बनाता रहा है। भारत सरकार ने 2023 में टीआरएफ को यूएपीए कानून के तहत आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। आतंकी शेख सज्जाद गुल टीआरएफ का मुख्य कमांडर, संस्थापक मोहम्मद अब्बास शेख (मारा जा चुका), मुख्य ऑपरेशनल कमांडर बासित अहमद डार (मारा जा चुका) और प्रवक्ता अहमद खालिद है। पहलगाम से पहले टीआरएफ जम्मू-कश्मीर के केरन, हंदवाड़ा, सोपोर, शोपियां, अनंतनाग और रियासी में आतंकी हमला कर चुका था। आतंकी संगठन ने 9 जून को रियासी में शिव खोड़ी से लौट रहे तीर्थयात्रियों की बस पर हमला किया और 9 लोगों की हत्या कर दी, 33 घायल हुए। 20 अक्टूबर को गांदरबल (सोनमर्ग) में प्रवासी निर्माण मजदूरों पर हमला कर 1 डॉक्टर समेत 7 लोगों की हत्या की, 13 सितंबर 2023 में अनंतनाग में सेना-पुलिस पर हमला कर 3 लोगों की हत्या की। 8 जुलाई 2020 को बांदीपुरा में भाजपा नेता और उनके परिवार पर आतंकी हमला किया। जिसमें तीन लोगों को मार दिया। एलईटी से टीआरएफ बनने के पीछे पाक का उद्देश्य एफएटीएफ की जांच, वैश्विक पाबंदियों से बचने, स्थानीय सहानुभूति बटोरने व आतंकवाद को विदेशी साजिश की बजाय जन आंदोलन के

रूप में दुनिया के सामने प्रदर्शित करना है।

कहीं भी छिपे हों आतंकी, बच नहीं सकेंगे
विदेश मंत्रालय ने भी इस संबंध में एक बयान जारी कर कहा, भारत सरकार अमेरिका के टीआरएफ को लेकर लिए गए निर्णय का स्वागत करती है। यह एक सही समय पर लिया गया महत्वपूर्ण निर्णय है। इस संबंध में हम विशेष तौर पर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के योगदान और उनके नेतृत्व की सराहना करते हैं। टीआरएफ जो पाकिस्तान स्थित लश्करे-ए-तैयबा का एक छद्म आतंकी संगठन है और उसकी भारत में कई आतंकी गतिविधियों में भूमिका रही है। जिसमें पहलगाम में आम लोगों की बेहद निर्ममता के साथ की गई हत्या की घटना भी शामिल है। दो बार टीआरएफ ने इसकी जिम्मेदारी ली थी।

आतंकी ढांचा के खात्मे पर जोर

मंत्रालय ने कहा कि भारत ने लगातार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए आतंकी ढांचे को नष्ट करने की वकालत की है। टीआरएफ को लेकर अमेरिका का निर्णय दोनों देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ जारी लड़ाई में गहन सहयोग को दर्शाता है। भारत आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता यानी जीरो टॉलरेंस की नीति को लेकर प्रतिबद्ध है और इसे लेकर हम निरंतर आधार पर वैश्विक सहयोगियों के साथ निकटता से काम करेगा। जिससे आतंकी संगठनों और उनके मुखौटा संगठनों को जिम्मेदार ठहराया जा सकेगा।

चीन ने की पहलगाम हमले की निंदा

चीन ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए क्षेत्र के देशों को आतंकवाद से मुकाबले के लिए सहयोग को मजबूत बनाना चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने 18 जुलाई को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन मजबूती के साथ किसी भी प्रकार के आतंकवाद का विरोध करता है। हम 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं। पत्रकारों ने लिन से अमेरिका द्वारा टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करने पर सवाल पूछा था। जिसके जवाब में उन्होंने यह जानकारी दी।

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