GDP
- दो सालों में अब तक सबसे निचले स्तर पर आ गई GDP ग्रोथ
- एक साल पहले समान तिमाही में यह 8.2 फीसदी थी
GDP : नई दिल्ली। देश का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी गत दो सालों में अब तक सबसे निचले स्तर पर आ गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान (एनएसओ) से जारी आंकडे इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि वित्त वर्ष 2025 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ घटकर 5.4 फीसदी पर आ गई है। हर तीसरे महीने जीडीपी ग्रोथ का आंकडा सामने आता है लिहाजा आज शुक्रवार को जारी हुआ आंकडा सबसे धीमे ग्रोथ की ओर इंगित कर रहा है। आंकडे इस बात की भी गवाही दे रहे हैं कि उत्पादन क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण जीडीपी ग्रोथ धीमी हुई है। इससे पहले 2023 की तीसरी तिमाही में ग्रोथ 4.3 फीसदी रही थी। वहीं एक साल पहले समान तिमाही में यह 8.2 फीसदी थी।
अच्छे आंकडे पर पीएम ने किया था ट्वीट
तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर मेहनकश लोगों को धन्यवाद देते हुए ट्वीट किया था- ‘2023-24 के लिए चौथे क्वार्टर में जीडीपी वृद्धि डेटा हमारी अर्थव्यवस्था में मजबूत गति दिखाता है जो देश को आगे बढ़ाने के लिए कृतसंकल्पित है। हमारे देश के मेहनती लोगों को धन्यवाद, वर्ष 2023-24 के लिए 8.2 फीसदी की वृद्धि इस बात का उदाहरण है कि भारत विश्व स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। जैसा कि मैंने कहा, यह आने वाली बहुत से सकारात्मक विषयों में से एक ट्रेलर मात्र है..।’
आंकडे उत्साहजनक नहीं तो कांग्रेस ने लपका
इस बार जीडीपी के आंकडे उत्साहजनक नहीं आए तो कांग्रेस पार्टी की बारी थी, लिहाजा एआईसीसी के महासचिव, प्रभारी संचार जयराम रमेश ने मौका नहीं गंवाया। इस बार उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “जुलाई से सितंबर 2024 के लिए अभी जारी किए गए जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े निराशावादी अनुमानों से भी बेहद कम हैं। इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री और उनके समर्थकों द्वारा किए जा रहे प्रचार-प्रसार और बड़े-बड़े दावों से वास्तविकता बिल्कुल अलग है। जीडीपी ग्रोथ रेट धीमी होकर 5.4 फीसदी हो गई है। निजी निवेश की वृद्धि भी कमज़ोर होकर उतनी ही 5.4 फीसदी है। काफी प्रचारित-प्रसारित पीएलआई योजना और मेक इन इंडिया के बावजूद मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ धीमा होकर 2.2 फीसदी रह गया है, जो निराशाजनक है। निर्यात घटकर 2.8 फीसदी हो गया है और आयात में 2.9 फीसदी की कमी आई है, जो घरेलू स्तर पर गंभीर कमज़ोरी को दर्शाता है। बड़े पैमाने पर होने वाली उपभोग वृद्धि डगमगा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आर्थिक विकास रिकॉर्ड डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल की तुलना में कहीं अधिक ख़राब बना हुआ है। यह तथाकथित ‘न्यू इंडिया’ की कड़वी सच्चाई है।”
जीडीपी अर्थव्यवस्था का पैमाना
जीडीपी यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट देश में एक अवधि के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को मापती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है। जीडीपी देश की अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को मापने वाला एक पैमाना है।