Janmashtami
- भक्तों ने जन्मोत्सव पर केक काटकर धूमधाम से मनाया पर्व
- रंगीन आतिशबाजी की गई, भक्तिरस में डूबे श्रद्धालू, झूमते रहे
- साध्वी मानेश्वरी देवी और भक्तों ने नंद गोपाल, कृष्ण-कन्हैया को झूला झूलाया
- सुख-समृद्धि की मनोकामनाएं मांगी और कान्हा को भोग लगाकर पूजा-अर्चना की
Janmashtami : रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां गायत्री जी के सानिध्य में नटखट कान्हा के जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर्व पर सोमवार 26 अगस्त को धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया गया। नटखट कान्हा के जन्मोत्सव पर केक काटकर रंगीन आतिशबाजी की गई। जन्माष्टमी पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को विष्णु अवतार भगवान श्री कृष्ण के जन्म का प्रतीक है। नटखट कान्हा का झूला और भगवान की प्रतिमा रंग बिरंगी लाइटों से सुसज्जित था। साध्वी मानेश्वरी देवी और भक्तों ने नटखट, माखन चोर, नंद गोपाल, कृष्ण-कन्हैया को झूला झूलाकर सुख-समृद्धि की मनोकामनाएं मांगी और कान्हा को भोग लगाकर उनकी पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर सायं 5 से 7 व रात्रि 10 से 12 बजे सत्संग व गुरुजी नंद गोपाल के बाल जीवन की कथाएं सुनाई व गुरुजी के प्रवचन हुए। मंदिर में राधा-कृष्ण, मीरा व गोपियों, हनुमान, शिव शंकर की वेशभूषा में बच्चे मनमोहक नृत्य व झांकियां प्रस्तुत किया। तत्पश्चात पंडित अशोक शर्मा द्वारा फल-फ्रूट तथा मीठी चूरी (कान्हा का प्रसाद) का प्रसाद बंटेगा। यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी।
वृंदावन जैसा माहौल हुआ
साध्वी मानेश्वरी देवी द्वारा गाए गए भजन राधे-राधे-राधे तेरे बिना कृष्णा लगे आधे, हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की, तेरी जमुना दा मीठा-मीठा पानी, सांवली सूरत पे मोहन दिल दिवाना हो गया, हर तरफ है शोर, आया गोकुल का चोर, यशोदा का नंद लाल बृज का उजाला है, मटकिया भरलेण दे, यशेमति मईया से बोले नंदलाला, भजनों गाकर भक्तों को मंत्रमुग्ध किया और राधा-कृष्ण भक्तजनों को नाचने झूमने पर विवश किया।
भगवान श्रीकृष्ण प्यार के भूखे : साध्वी मानेश्वरी देवी
साध्वी मानेश्वरी देवी ने प्रवचनों में कृष्ण-सुदामा का चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण का सुदामा के प्रति प्रेमभाव देखकर सुदामा भाव-विभोर हो रहा था। प्रभु श्रीकृष्ण प्यार के भूखे हैं उनकी नजरों में कोई छोटा-बड़ा नहीं है। श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन ज्ञान से भरा हुआ है। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेकर उनके आदर्शों और पथ पर चलना चाहिए।
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