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Janmashtami : अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि के चंद्रमा का शुभ संयोग

अंक ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण गौड़अंक ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण गौड़

Janmashtami

  • देश भर में सोमवार को मनाया जाएगा जन्माष्टमी का पर्व
  • मथुरा में भी जन्माष्टमी पर्व के पांच दिवसीय कार्यक्रम शुरू
  • हर तरफ गूंज रहे यशोदा के कन्हैया लाल के जयकारे
  • मान्यताओं के अनुसार कृष्ण जी के जन्म का दिन भी बुधवार है
  • जिस दिन कृष्ण का नामकरण किया गया था उस दिन सोमवार था

Janmashtami : भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्माष्टमी पर्व सोमवार को देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए देशभर में तैयारी जोरों पर हैं। मथुरा में भी यशोदा मैया के कन्हैयालाल के जयकारे गूंज रहे हैं। यहां जन्माष्टमी पर होने वाला पांच दिवसीय महोत्सव शनिवार से शुरू हो गया, जो गुरुवार तक चलेगा। बता दें कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है। जन्माष्टमी का यह पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में बड़े ही हर्षउल्लास के साथ मनाया जाता। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में अर्द्धरात्रि को मथुरा में माता देवकी के गर्भ से हुआ था।

रात्रि 12 बजे भगवान के बाल स्वरूप गोपाल की पूजा

सोनीपत के अंक ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्ण गौड़ ने बताया कि इस वर्ष स्मार्त व वैष्णव परंपरा के लोग यानी गृहस्थ और साधु संत 26 अगस्त सोमवार को एक साथ भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे। रात्रि 12 बजे भगवान के बाल स्वरूप गोपाल की पूजा करेंगे। इस बार जन्माष्टमी पर वर्षों बाद यह स्थिति बनी है। जब स्मार्त और वैष्णव मत की जन्माष्टमी एक ही दिन मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से आपको संतान सुख की प्राप्ति होती है और आपके घर में सुख संपन्नता बढ़ती है।

यह है मान्यता

मान्यता के अनुसार इस दिन संतान सुख से वंचित दंपती यदि व्रत रखते हैं तो उनकी खाली झोली भगवान भर देते हैं। जन्माष्टमी का व्रत करने से भगवान कृष्ण सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। जन्माष्टमी पर गीता का पाठ करना और गीता का दान करना बेहद शुभ माना गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि जन्माष्टमी के दिन बिना अन्न खाए व्रत करने और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण को विष्णु का अवतार माना जाता है। यही कारण है कि यह पर्व विशेष महत्व रखता है। भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए इस दिन लोग उपवास रखने के साथ विधि-विधान से पूजा और भजन करते हैं। मंदिरों में विशेष सजावट करके भगवान की प्रकोटत्सव को विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। कुछ स्थानों में दही-हांडी का भी उत्सव रखा जाता है।

इस बार बनेंगे यह शुभ योग

  1. इस बार जन्माष्टमी पर बहुत ही दुर्लभ संयोग बन रहे है, जो द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के जन्म में बने थे। उस चंद्रमा वृष राशि के थे और रोहिणी नक्षत्र था।
  2. इस बार भी ये दोनों योग हैं। अर्धरात्रि को रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि का चंद्रमा रहेगा। जन्माष्टमी के दिन उदयकाल से मध्यरात्रि तक अष्टमी तिथि रहेगी, वहीं श्रीकृष्ण जन्म के समय रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र भी मौजूद रहेगा।
  3. इस दिन रोहिणी नक्षत्र दोपहर 3 बजकर 54 मिनट से शुरू होगा और 27 को मध्य रात्रि तीन बजकर 36 मिनट तक रहेगा।
  4. अष्टमी तिथि सुबह तीन बजकर 39 मिनट से शुरू होगी और 27 को मध्यरात्रि दो बजकर 19 मिनट तक रहेगी। माना जाता है कि जब कृष्ण भगवान का जन्म हुआ था, तब भी ऐसा ही योग बना था, यानि चंद्रमा उस समय भी वृषभ राशि में विराजमान था।
  5. जन्माष्टमी का त्योहार इस बार सोमवार के दिन है। जब भी यह त्योहार सोमवार या बुधवार के दिन आता है तो, इसे बेहद शुभ संयोग माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार कृष्ण जी के जन्म का दिन भी बुधवार है, वहीं जिस दिन कृष्ण भगवान का नामकरण किया गया था उस दिन सोमवार था।

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