HCMS
- हरियाणा में सरकारी डाक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं ठप
- दो दौर की वार्ता में सिर्फ दो मांगों पर बात बनी, डॉक्टर्स नहीं माने
- सीएम के मुख्य प्रधान सचिव की अध्यक्षता में 5 घंटे चली बैठक
- दो मांगों पर ही सरकार राजी, एचसीएमएस का ऐलान, हड़ताल जारी रखेंगे
HCMS : हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (एचसीएमएस) के आहान पर शुरू हुई प्रदेश के 3500 से अधिक डाक्टरों की हड़ताल से प्रदेश के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप रही। मामले का हल निकालने के लिए वीरवार दोपहर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर की अध्यक्षता में हरियाणा निवास में करीब 5 घंटे तक एसोसिएशन पदाधिकारियों के साथ लंबी वार्ता हुई लेकिन दो मुद्दों पर सहमति नहीं बन सकी। डाक्टर्स अपनी मांगों पर अडिग रहे। पहले दौर की बैठक खत्म होने के बाद देर शाम को स्वास्थ्य विभाग के एसीएस सुधीर राजपाल ने एसोसिएशन पदाधिकारियों को दोबारा से बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन उनके साथ बातचीत में भी सिर्फ दो मांगों पर ही सहमति बन पाई। फिलहाल एसोसिएशन ने हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया है।
बैठक में ये रहे मौजूद
इस बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डा. अमित अग्रवाल, डी.जी. हेल्थ डा. आर.एस. पुनिया सहित कई बड़े अधिकारी मौजूद थे।
लंबे समय से चल रहा संघर्ष
एसोसिएशन की ओर से लंबे समय से डाॅक्टरों की मांगें पूरी करने के लिए संघर्ष किया जा रहा है। पिछले दिनों डाक्टरों ने काली पट्टी बांधकर हड़ताल की थी। उसके बाद आंदोलन की काल दी गई। विभागीय अफसरों ने मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया तो एसोसिएशन ने 25 जुलाई तक हड़ताल को टाल दिया था। लेकिन सरकार की ओर से किसी तरह की कोई अधिसूचना नहीं जारी होने पर 24 जुलाई सुबह से एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष डा. राजेश ख्यालिया ने अपने तीन पदाधिकारियों के साथ डी.जी. हेल्थ दफ्तर के बाहर भूख हड़ताल शुरू कर दी। वहीं प्रदेश में सभी सरकारी डॉक्टर्स भी हड़ताल पर उतर आए। इसके बाद मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर की ओर से वीरवार दोपहर को बातचीत का न्योता भेजा गया जहां देर शाम तक बातचीत का दौर चलता रहा लेकिन पूरी मांगों पर सहमति नहीं बन सकी।
159 अस्पतालों में 3500 से ज्यादा डाक्टर
हरियाणा में 3500 से ज्यादा सरकारी डाक्टर वीरवार सुबह 8 बजे से हड़ताल पर हैं। राज्य में 159 सरकारी अस्पताल हैं जिनकी ओ.पी.डी. में मरीजों को नहीं देखा गया। हड़ताल के कारण इन अस्पतालों में आने वाले मरीजों को वापस लौटना पड़ा। पोस्टमार्टम का काम बंद होने से कई जिलों में पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। कई अस्पतालों में आयुष के डाक्टरों ने ओ.पी.डी. में मरीजों को देखा।
ये हैं पांच अहम मांगे
-डाक्टरों के लिए विशेषज्ञ कैडर का गठन किया जाए
-एस.एम.ओ. की सीधी भर्ती पर तुरंत रोक लगे
-पी.जी. के लिए बांड राशि एक करोड़ से 50 लाख हो
-केंद्र की तर्ज पर 3 हजार रुपये भत्ता दिया जाए
-ए.सी.पी. योजना को लागू किया जाए
-बांड और भत्ते पर सरकार मान गई है, जबकि अन्य मुद्दों पर बातचीत सिरे नहीं चढ़ पाई है।