View from space
- सभी एआई से लैस होंगे, चीन-पाकिस्तान बॉर्डर पर निगरानी होगी और कड़ी
- 26968 करोड़ का बजट तैयार, कैबिनेट दे चुका मंजूरी
- सैटेलाइट्स 36000 किमी. ऊंचाई पर आपस में कम्युनिकेट कर सकेंगे
- पृथ्वी तक सिग्नल भेजने और मैसेज-तस्वीरें भेजने में आसानी होगी
View from space : नई दिल्ली। भारत ऑपरेशन सिंदूर के बाद अंतरिक्ष में अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। केंद्र सरकार ने तय किया है कि 2029 तक यानी अगले 4 साल में 52 स्पेशल डिफेंस सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थपित किए जाएंगे। इसके लिए 26,968 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी मिल चुकी है। यह मंजूरी अक्टूबर 2024 में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने दी थी। अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले ये सैटेलाइट भारत की आंख बनेंगे और पाकिस्तान-चीन बॉर्डर पर लगातार नजर रखेंगे। इससे भारत की सुरक्षा पंक्ति और मजबूत होगी। दुश्मनों की हलचलों का समय रहते पता लगाया जा सकेगा और जवाबी कार्रवाई में आसानी रहेगी।
आपस में कम्युनिकेट करेंगे सैटेलाइट
रक्षा सूत्रों का कहना है कि ये सैटेलाइट्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) बेस्ड होंगे और 36000 किमी. की ऊंचाई पर ये आपस में बेहतर तरीके से कम्युनिकेट कर सकेंगे। इससे पृथ्वी तक सिग्नल भेजने, मैसेज-तस्वीरें भेजने में आसानी होगी। यह पूरा अभियान रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी के तहत चलाया जा रहा है और इसके लिए सरकार ने स्पेस-बेस्ड सर्विलांस फेज-3’ (एसबीएस-3) योजना बनाई है।
इसरो और 3 निजी कंपनियों की भागीदारी
इस योजना के तहत इसरो 21 सैटेलाइट बनाएगा और लॉन्च करेगा, जबकि 31 सैटेलाइट्स तीन निजी भारतीय कंपनियां तैयार करेंगी। पहला सैटेलाइट अप्रैल 2026 तक लॉन्च किया जाएगा, लेकिन समय सीमा को और घटाने का प्रयास जारी हैं। ये सैटेलाइट्स लो-अर्थ ऑर्बिट और जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में तैनात किए जाएंगे।
क्या है मकसद
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, एसबीएस-3 का मकसद पाकिस्तान, चीन और हिंद महासागर क्षेत्र को ज्यादा विस्तार में कवर करना है, ताकि कम समय में हाई रिजोल्यूशन निगरानी संभव हो सके।
एचएपीएस विमान खरीदने की भी तैयारी
भारत वायुसेना के लिए तीन हाई-एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म सिस्टम (एचएपीएस) विमान भी खरीदने की तैयारी में है। ये ड्रोन जैसे मानव रहित विमान होंगे जो लंबी अवधि तक ऊंचाई पर उड़कर निगरानी में मदद करेंगे। ये सैटेलाइट्स की निगरानी क्षमताओं को मजबूत करेंगे। एचएपीएस विमान आमतौर पर धरती से 18 से 20 किलोमीटर (60,000 फीट) ऊपर उड़ता है और लंबे समय तक एक ही जगह पर बना रह सकता है।