Sankat Mochan
- रोहतक के संकट मोचन मंदिर में हरियाली अमावस्या पर हवन
- गंगा मैय्या और पवित्र नदियों में स्नान करने से जीवन के पाप कटते हैं
- हरियाली अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए पिंडदान करें
Sankat Mochan : माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में ब्रह्मलीन गुरुमां साध्वी गायत्री के सानिध्य में रविवार को हरियाली अमावस्या पर श्रद्धा, भक्तिभाव और मंत्रोच्चरण से हवन का आयोजन किया गया। गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी सहित भक्तजनों ने हवन में ऊं आग्नेय नम: स्वाहा, ऊं गणेशाय नम: स्वाहा, ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा, ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा मंत्र बोलकर अग्नि देव में आहूति डालकर मंगल कामनाएं व दुआएं मांगी। पंडित अशोक शर्मा द्वारा प्रसाद वितरित हुआ। यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी। साध्वी मानेश्वरी देवी ने प्रवचन देते हुए कहा कि हिन्दू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास में आने वाली हरियाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या भी कहते हैं। हरियाली अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए पिंडदान और दान-धर्म करने का विशेष महत्व है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अमावस्या तिथि के दिन गंगा मैय्या और पवित्र नदियों में स्नान करने से जीवन के सभी पाप कट जाते हैं।
अमावस्या की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित
अमावस्या की तिथि भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है। अमावस्या के दिन किए गए तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और साथ ही नाराज पितर प्रसन्न होते हैँ। उन्होंने कहा कि ऐसी भी मान्यता है कि हरियाली अमावस्या के दिन हर व्यक्ति को एक पौधा अवश्य रोपना चाहिए, क्योंकि वृक्षों में देवताओं का वास होता है। जो भी व्यक्ति इस दिन पितृों को श्राद्ध देता है, उसे पितृदोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही पितरों की शांति के लिए पूजा पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
हवन से मानव शरीर में ऊर्जा का संचार होता है
गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी ने बताया कि हिंदू धर्म में यज्ञ-हवन का विशेष महत्व है। हवन के साथ किसी मंत्र का जाप करने से जो सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती है वो मानव शरीर में ऊर्जा का संचार करती है। यदि हम आधे घंटे हवन में बैठ जाए और हवन के धुएं का हमारे शरीर से सम्पर्क हो जाए तो टाइफाइड जैसी भयानक व जानलेवा रोग फैलाने वाले जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि हवन व यज्ञ करने से हमें सदैव भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्यक्ति के कार्यों में कोई बाधा या आपत्ति नहीं आती है। साथ ही यह घर परिवर में सुख-समृद्धि की अपार कृपा बरसती है। यज्ञ और हवन एक श्रेष्ठ कर्म है जो साधकों को अपने आत्मा के उन्नति और ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन करता है। यह एक सकाम कर्म है, जिसमें व्यक्ति फल की आकांक्षा नहीं रखता है, बल्कि उसका मुख्य उद्देश्य ईश्वर के प्रति भक्ति, आत्मा के शुद्धिकरण, और सामाजिक समृद्धि की प्राप्ति के लिए सहायता करना है।
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