Rohtak News
- -मंदिर को आकर्षित लाइटों से सुसज्जित और देवी देवताओं की साफ सफाई की जा रही
- -भक्तजन गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी, ब्रह्मलीन गुरुमां साध्वी गायत्री और देवी-देवताओं की पूजा अर्चना कर उज्जवल भविष्य व सुख-समृद्धि की कामनाएं करेंगे
- -कार्यक्रम में प्रात: 8:30 से 10 बजे गुरु पूजन, सत्संग 11 से 1 बजे व 1 बजे भजन गायिका सीमा शर्मा द्वारा अपनी सुरीली व मधुर वाणी से भजनों की बौछार करेंगी
Rohtak News : रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली गुरु पूर्णिमा ( व्यास पूजा) वीरवार 10 जुलाई को धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाई जाएगी। मंदिर को आकर्षित लाइटों से सुसज्जित और देवी देवताओं की साफ सफाई की जा रही है। भक्तजन गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी, ब्रह्मलीन गुरुमां साध्वी गायत्री और देवी-देवताओं की पूजा अर्चना कर उज्जवल भविष्य व सुख-समृद्धि की कामनाएं करेंगे। कार्यक्रम में प्रात: 8:30 से 10 बजे गुरु पूजन, सत्संग 11 से 1 बजे व 1 बजे भजन गायिका सीमा शर्मा द्वारा अपनी सुरीली व मधुर वाणी से भजनों की बौछार करेंगी। तत्पश्चात आरती, आर्शीवचन और दोपहर 1 बजे भंडारे होगा। यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी।
गुरु शब्द संस्कृत में दो शब्दों से मिलकर बना : साध्वी मानेश्वरी देवी
साध्वी मानेश्वरी देवी ने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु पूजा करने की परंपरा है। गुरु शब्द संस्कृत में दो शब्दों से मिलकर बना है। (गु) शब्द का अर्थ होता है अंधकार और (रु) शब्द का अर्थ होता है प्रकाश। इसी प्रकार गुरु शब्द का अर्थ हुआ अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाने वाला। संसार के पहले गुरु में माता और पिता और गुरु का स्थान आता है। जो मनुष्य इनकी आज्ञा का पालन करता है तो वह कभी भी दुखी नहीं हो सकता है। यह पर्व आत्मस्वरूप का ज्ञान देने और कर्तव्य बताने वाले गुरु के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।