Rohtak News
- -संकट मोचन मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर पूजन, आशीर्वचन, भजन संध्या, कीर्तन व भंडारा
- -भजन संध्या में दिल तो लूट लिया मेरा काले ने, मुरली वाले ने पर झूम उठे भक्तजन
Rohtak News : रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में वीरवार को आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु और शिष्य के पवित्र रिश्ते का प्रतीक गुरु पूर्णिमा (व्यास पूजा) का पर्व श्रद्धा, उत्साह और हर्षोल्लास से मनाया गया। इसी दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था तो इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। कार्यक्रम में प्रात: 8:30 बजे ब्रह्मलीन गुरुमां साध्वी गायत्री, गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी और देवी-देवताओं की पूजा अर्चना कर उज्जवल भविष्य व सुख-समृद्धि की कामनाएं की। गायिका सीमा शर्मा ने रसमयी भजनों का गुणगान किया। पंडित अशोक शर्मा द्वारा आरती की गई और 1 बजे भक्तों ने भंडारे का प्रसाद लिया। गुरूजी ने भक्तों को आर्शीवचन दिए। यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी। इस अवसर पर भक्तों ने अपनी श्रद्धा, आस्था भाव से गुरुजनों के चरण स्पर्श, वंदन पूजा, तिलक कर, फल, मिठाई, वस्त्र तथा दान दक्षिणा देकर सुख, समृद्धि, खुशियाली, हरियाली के लिए माथा टेक कर पूजा अर्चना और आरती की तथा गुरुजनों से आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरुजी ने भक्तों को मस्तक पर तिलक लगाकर उन्हें आर्शीवाद दिया।
भजन दिल तो लूट लिया मेरा काले ने, मुरली वाले ने पर झूम उठे भक्तजन
भजन संध्या में भजन गायिका सीमा शर्मा द्वारा सुरीली व मधुर वाणी से भजनों की बौछार करके सबको मंत्रमुग्ध किया साथ ही भक्तों को नाचने पर विवश कर दिया । भजन गायिका द्वारा गाए भजन दिल तो लूट लिया मेरा काले ने, मुरली वाले ने, गुरुजी ने बुलाया है हमें गुरु घर जाना है, जब से सांवरे ने पकड़ा मेरा हाथ हो गई मेरी बल्ले बल्ले, पधारो राधा संग सरकार, हे लाडली हे सुध को हमारी, नी मैं नचना श्याम ने नाल आज मैंनू नच लेन दे, भजनो पर भक्त नाचने झूमने पर विवश हो गए।
गुरु हमेशा मनुष्य के मार्गदर्शक रहे हैं : साध्वी मानेश्वरी देवी
साध्वी मानेश्वरी देवी ने गुरु पूर्णिमा पर प्रवचन देते हुए कहा कि इस दिन गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त व माता-पिता, शिक्षक और आध्यात्मिक गुरुओं सम्मान होता है । साध्वी मानेश्वरी देवी ने गुरु पूर्णिमा पर प्रवचन देते हुए कहा कि हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि मनुष्य को अपने जीवन में एक गुरु अवश्य बनाना चाहिए जिससे उसे गुरु की दीक्षा मिल सके और गुरु द्वारा कहे गए आचरण का पालन कर सके। गुरु हमेशा मनुष्य के मार्गदर्शक रहे हैं। गुरु मनुष्य के जीवन से अंधकारमय अज्ञान का कार्य करते हैं। अज्ञानता दूर करके ज्ञान का प्रकाश देकर उसे मोक्ष के द्वार तक पहुंचाने का काम गुरू ही करते हैं।
जीवन हमारे माता-पिता से मिलता है, और जीवन जीना गुरू सिखातें हैं
उन्होंने कहा कि गुरू नाम मे ही सम्मान और शिक्षा का भाव होता हैं। इंसान अपने जीवन मे सब कुछ कर सकता है परंतु वो जो कर रहा हैं, वो काम सही है या नहीं ये जानने की सिख उसे गुरु से मिलती है। एक दूसरे का सम्मान करना और अपने देश से प्रेम करना गुरु से ही सीखने को मिलता है। हमे जीवन हमारे माता-पिता से मिलता है, और जीवन जीना गुरू सिखातें हैं।उन्होंने कहा कि गुरु न केवल एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं, बल्कि एक कोच के रूप में भी कार्य करते हैं, जो हमें अपने विचारों और कार्यों का निष्पक्ष मूल्यांकन करने में मदद करते हैं। वे रचनात्मक आलोचना प्रदान करते हैं और हमारी कमियों को उजागर करते हैं, हमें अपने कार्यों को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। इसी उद्देश्य को पूरा करते हुए गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है और इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ गुरु की उपासना की जाती है।
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