PGIMS :
पीजीआईएमएस में एजेंसी पर लगे आरोपों का मामला : एजेंसी ने रखे तथ्य, अब डॉक्टर्स ने भी कहा : दस्तावेज फर्जी, मेरे हस्ताक्षर नकली
- – एजेंसी पर लगाए गए आरोप निकल रहे झूठे, टर्मिनेटेड कर्मचारियों की साजिश सामने आने लगी
- – झूठी शिकायत करके ब्लैकमेल कर रहे कर्मचारी
PGIMS : रोहतक। पीजीआईएमएस रोहतक में प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी के खिलाफ वेतन व हाजिरी में अनियमितता के आरोप अब झूठे साबित हो रहे हैं। जांच में सामने आ रहा है कि टर्मिनेटेड कर्मचारियों द्वारा लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद, तथ्यहीन और फर्जी दस्तावेजों पर आधारित हैं। शिकायत का झूठ साबित करने के लिए एक नया खुलासा भी हुआ है, वो ए है कि शिकायतकर्ता कर्मचारियों द्वारा लगाए गए दस्तावेज पूरी रूप से फर्जी हैं और उनमें दर्शाए गए डॉक्टरों के हस्ताक्षर भी नकली हैं। संबंधित डॉक्टरों ने स्वयं साफ किया है कि उन्होंने ऐसे किसी भी पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और शिकायत में उनके नाम व हस्ताक्षर का गैरकानूनी तरीके से दुरुपएोग किया गया है। यही नहीं डॉक्टरों ने इस पूरे मामले को गंभीर मानते हुए प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में कोई भी इस प्रकार की सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ और झूठी शिकायत करके ब्लैकमेल न कर सके।
गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल हैं टर्मिनेटेड कर्मचारी
झूठी शिकायत करने वाले टर्मिनेटेड कर्मचारियों ने जितने दिन भी पीजीआईएमएस में काम किया वे गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहे। ए कर्मचारी बेयरर और अन्य संविदा कर्मियों को भड़काकर संस्थान का काम रुकवाते थे। कुछ कर्मचारी हेल्थ केयर रोहतक एसोसिएशन के नाम पर संगठन बनाकर कौशल रोजगार निगम में नौकरी लगवाने के नाम पर अन्य कर्मचारियों से चंदा वसूली भी कर रहे थे, जिसकी कई शिकायतें पहले भी पीजीआईएमएस और यूनिवर्सिटी प्रशासन को मिली थीं।
हाजिरी और वेतन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, यह सरकारी प्रक्रिया है
एजेंसी ने बताया कि वेतन और उपस्थिति प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और सरकारी प्रणाली के अनुरूप है। पीजीआईएमएस के अधिकृत अधिकारी ही हर कर्मचारी की हाजिरी सत्यापित करते हैं और उसके बाद ही बिलिंग की प्रक्रिया होती है। वेतन का भुगतान एस्क्रो अकाउंट के माध्यम से सीधे कर्मचारियों के बैंक खातों में किया जाता है, जिससे किसी भी तरह की गड़बड़ी की कोई संभावना नहीं रहती। उन्होंने बताया कि यह एक सरकारी प्रक्रिया है और इसमें किसी भी प्रकार की हेराफेरी की गुंजाइश नहीं। हर कर्मचारी, कभी भी अपनी हाजिरी और वेतन विवरण चेक कर सकता है।
ब्लैकमेल और बदनाम करने की थी साजिश
एजेंसी का कहना है कि कुछ टर्मिनेटेड कर्मचारी, पीजीआई के ही कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से, एजेंसी को बदनाम करने और ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहे थे। ए कर्मचारी हर बार बड़े कार्यक्रमों या वीआईपी विजिट के दौरान हड़ताल की धमकी देते थे, ताकि एजेंसी और प्रशासन पर दबाव बनाया जा सके। यह शिकायतकर्ता सिर्फ एक एजेंसी को नहीं, बल्कि एक प्रतिष्ठित सरकारी चिकित्सा संस्थान और उसकी प्रशासनिक पारदर्शिता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश थी, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पीजीआई प्रशासन ने भी लिखित में इनके खिलाफ शिकायतें दी थीं, जिसके आधार पर इन्हें हटाया गया। एजेंसी का कहना है कि प्रशासन से मांग की गई है कि ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
परेशान कर्मचारी डीसी एसपी से भी कर चुके इनकी शिकायत
एजेंसी की ओर से बताया गया कि जिन टर्मिनेटेड कर्मचारियों ने सिक्योरिटी सर्विसेज के खिलाफ झूठी शिकायत दी है, उनसे अन्य कर्मचारी भी परेशान थे। एक तो चंदा उगाही से और दूसरा आए दिन उन्हें अलग-अलग तरीके से बहकाने को लेकर। इन कर्मचारियों से परेशान अन्य कर्मचारियों ने इनकी शिकायत डीसी और एसपी से भी की थी। पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी गांव किलोई में आए थे, उस समय भी इन कर्मचारियों की शिकायत सीएम से की गई थी। पीजीआई प्रशासन ने एजेंसी को इन कर्मचारियों के खिलाफ लिखकर दिया, इसके बाद इन कर्मचारियों को टर्मिनेटेड कर दिया गया था। इसी बात की रंजिश रखते हुए अब ए झूठी शिकायत कर रहे हैं।
https://vartahr.com/pgims-case-of-al…ignature-is-fake/