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Navratri : सभी मनोकामना सिद्धि के लिए 26 जून से आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ

Navratri

  • संकट मोचन मंदिर में गुप्त नवरात्र श्रद्धा व भक्तिभाव से मनेंगे
  • चार जुलाई शुक्रवार भड़लिया नवमी को इनका समापन होगा
  •  घटस्थापना का शुभ समय सुबह 8:59 बजे से सुबह 10:50 बजे तक रहेगा : साध्वी मानेश्वरी देवी

Navratri : रोहतक। माता दरवाजा स्थित संकट मोचन मंदिर में गुप्त नवरात्र श्रद्धा व भक्तिभाव से मनाए जाएंगे। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। हर साल में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। आमतौर पर चैत्र और आश्विन मास में आने वाले नवरात्रि को तो सब जानते है। परंतु इनके अतिरिक्त भी विशेष कामनाओं की सिद्धि के लिए आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रि होते हैं, जिन्हें गुप्त नवरात्रि बोला जाता है। यह जानकारी सचिव गुलशन भाटिया ने दी। ज्योतिषाचार्य व गद्दीनशीन साध्वी मानेश्वरी देवी ने बताया कि इस बार आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ 26 जून से होगा। इसके बाद चार जुलाई शुक्रवार भड़लिया नवमी को इनका समापन होगा। उन्होंने बताया इन नवरात्रों के दौरान मां दुर्गा के 10 महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा विधिवत रूप से पूजा व आराधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में पूजा को गुप्त रखा जाता है, यानी किसी को बताया नहीं जाता है। साधना जितनी गुप्त होती है उसका फल उतना ही फलदाई मिलता है। मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के साधनाकाल जप, तप, अनुष्ठान, साधना पूर्ण विधि से गुप्त तरीके से करने से जीवन में आ रही, सभी बाधा दूर हो जाती है और यंत्र, मंत्र, तंत्र की सभी बंदिसे कट जाती है।

ये रहेगा नवरात्र में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : साध्वी मानेश्वरी देवी

साध्वी मानेश्वरी देवी ने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए कलश स्थापना की जाती है। घटस्थापना का शुभ समय सुबह 8:59 बजे से सुबह 10:50 बजे तक रहेगा। अगर इस समय नही कर पाए तो इसके बाद अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 12:56 तक रहेगा। उन्होंने बताया कि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य पूजन अनुष्ठान हमेशा ही सफल होता है

पालकी पर सवार होकर आएंगी माता दुर्गा इन गुप्त नवरात्रि में

साध्वी मानेश्वरी देवी ने बताया कि नवरात्रि में माता दुर्गा के वाहन का विशेष महत्व होता है। वैसे तो माता का वाहन शेर है। परंतु नवरात्रि में माता का वाहन वार की हिसाब से होता है। जब भी नवरात्रि वीरवार से प्रारंभ होती है तो मां पालकी (डोली) में सवार होकर आती हैं। इससे गुप्त नवरात्रि के दौरान तेज बारिश के योग बनेंगे। मां दुर्गा का पालकी पर आना अशुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार पालकी या डोली की सवारी इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में लोगों को महामारी, अर्थव्यवस्था में गिरावट और मंदी का सामना करना पड़ सकता हैं। इसके अलावा यह हिंसा, प्राकृतिक आपदाओं का भी संकेत देती है। बारिश और बाढ़ आने का संकेत है।

नवरात्रि में ये रहेंगे शुभ योग

नवरात्रि के दौरान पांच रवि योग और तीन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग 26 जून सुबह 8:46 से 27 जून प्रात: 7:22 तक रहेगा। रवि योग 28 जून सुबह 6:35 से 29 जून सुबह 6:33 बजे तक और 30 जून प्रात: 7:19 से 1 जुलाई सुबह 8:50 बजे तक रहेगा। इस दौरान महत्वपूर्ण ग्रह परिवर्तन भी होंगे। 28 जून को गुरु ग्रह आद्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में प्रवेश करेगा। 29 जून को शुक्र ग्रह वृषभ राशि में और 30 जून को मंगल ग्रह पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश करेगा। शास्त्रों के अनुसार, इन विशेष योगों में की गई साधना विशेष फल प्रदान करती है।

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