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- भावनगर में पीएम मोदी बोले, 100 दुखों की एक ही दवा है आत्मनिर्भर भारत
- जितनी ज्यादा विदेशी निर्भरता… उतनी ज्यादा देश की विफलता
- कांग्रेस ने भारत का अपना शिपबिल्डिंग ईकोसिस्टम लगभग खत्म किया था
- विदेशी जहाजों पर निर्भरता मजबूरी बन गई, करीब 50 साल पहले भारत का 40% व्यापार अपने ही जहाजों से होता था
- करीब 6 लाख करोड़ रु. हर साल विदेशी शिपिंग कंपनियों को किराए में दिए जाते हैं, यह रकम भारत के रक्षा क्षेत्र के बजट के बराबर
भावनगर (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को गुजरात के भावनगर पहुंचे। यहां पीएम मोदी ने ‘समुद्र से समृद्धि’ कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया और 34,200 करोड़ रुपए से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इसके बाद पीएम मोदी एक जनसभा को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा िक ये कार्यक्रम तो भावनगर में हो रहा है, लेकिन ये कार्यक्रम पूरे हिंदुस्तान का है। पूरे भारत में समुद्र से समृद्धि से जाने की ओर हमारी दिशा क्या है, उसके लिए इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का केंद्र भावनगर को चुना गया है। देशवासी यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी करीब 6 लाख करोड़ रुपए हर साल विदेशी शिपिंग कंपनियों को किराए में दिए जाते हैं। यह रकम भारत के रक्षा क्षेत्र के बजट के बराबर है। पीएम मोदी ने कहा िक दुनिया में हमारा कोई बड़ा दुश्मन नहीं है। सच्चे अर्थ में अगर हमारा कोई दुश्मन है तो वो है दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता। यही हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है और हमें मिलकर भारत के इस दुश्मन को हराना ही होगा। जितनी ज्यादा विदेशी निर्भरता… उतनी ज्यादा देश की विफलता। विश्व में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश को आत्मनिर्भर बनना ही होगा। 140 करोड़ देशवासियों के भविष्य को हम दूसरों पर या उनकी निर्भरता पर नहीं छोड़ सकते। भावी पीढ़ी के भविष्य को दांव पर नहीं लगाया जा सकता है। 100 दुखों की एक ही दवा है और वह है आत्मनिर्भर भारत, इसलिए हमें चुनौतियों से टकराना होगा और भारत को आत्मनिर्भर बनकर दुनिया के सामने खड़ा होना होगा। 140 करोड़ देशवासियों का एक ही संकल्प होना चाहिए- चिप हो या शिप हमें भारत में ही बनाने होंगे।
कांग्रेस सरकार ने देश को लाइसेंस कोटा राज में उलझाए रखा
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत में सामर्थ्य की कोई कमी नहीं है, लेकिन आजादी के बाद कांग्रेस ने भारत के हर सामर्थ्य को नजरअंदाज किया, इसलिए आजादी के 6-7 दशकों बाद भी भारत वो सफलता हासिल नहीं कर पाया, जिसके हम हकदार थे। इसके दो बड़े कारण रहे- लंबे समय तक कांग्रेस सरकार ने देश को लाइसेंस कोटा राज में उलझाए रखा। दुनिया के बाजार से अलग-थलग रखा। कांग्रेस सरकार की नीतियों ने देश के नौजवानों का बहुत नुकसान किया।
अब सरकार ने बड़े जहाजों को इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में मान्यता दे दी
पीएम ने कहा कि आज भारत समुद्री क्षेत्र भी नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म करने जा रहा है। इसी सोच के साथ वन नेशन, वन डॉक्यूमेंट और वन नेशन, वन पोर्ट प्रोसेस लागू किया जाना है। भारत को सबसे बड़ी समुद्री शक्ति बनाने के लिए तीन बड़ी योजनाओं पर काम चल रहा है और आने वाले वर्षों में इस पर 70 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। देश के समुद्री क्षेत्र को मजबूती देने के लिए एक बहुत ऐतिहासिक निर्णय हुआ है। अब सरकार ने बड़े जहाजों को इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में मान्यता दे दी है। जब देश को अपने जहाज निर्माण (शिपबिल्डिंग) को मजबूत करना चाहिए था, तब कांग्रेस सरकारों ने विदेशी जहाज किराए पर लेना ज्यादा बेहतर समझा। इसके कारण भारत का अपना शिपबिल्डिंग ईकोसिस्टम लगभग खत्म हो गया और विदेशी जहाजों पर निर्भरता मजबूरी बन गई। उन्होंने कहा कि करीब 50 साल पहले भारत का लगभग 40% व्यापार अपने ही जहाजों के जरिए होता था, लेकिन अब यह घटकर सिर्फ 5% रह गया है।