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National News : देश की आधी दौलत पर 1687 लोगों का कब्ज़ा, लोकतंत्र पर मंडरा रहा गंभीर ख़तरा : जयराम रमेश

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  • -आम भारतीय अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं
  • -पीएम की नीतियाँ चुनिंदा उद्योगपति मित्रों के फायदे के लिए तैयार की जा रही
  • -आर्थिक असमानता बढ़ रही, सामाजिक असुरक्षा और असंतोष भी गहरा रहा

 

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संचार महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि देश में धन का भयावह केंद्रीकरण हो चुका है और यह स्थिति भारतीय लोकतंत्र की आत्मा पर सीधा हमला है। उन्होंने एक विस्तृत बयान में कहा कि एक के बाद एक रिपोर्टें इस बात की पुष्टि कर रही हैं कि सिर्फ़ 1687 लोगों के पास भारत की आधी संपत्ति केंद्रित है, जबकि करोड़ों आम भारतीय अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जयराम रमेश के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियाँ कुछ चुनिंदा उद्योगपति मित्रों के फायदे के लिए तैयार की जा रही हैं। “सत्ता और पूंजी का गठजोड़ बनाकर कुछ हाथों में अपार संपत्ति और ताक़त सौंपी जा रही है। इससे न केवल आर्थिक असमानता बढ़ रही है बल्कि सामाजिक असुरक्षा और व्यापक असंतोष भी गहराता जा रहा है,” उन्होंने कहा।

कांग्रेस नेता ने दी चेतावनी

कांग्रेस नेता ने चेतावनी दी कि इतिहास गवाह है कि जब आर्थिक शक्ति मुट्ठीभर हाथों में सिमट जाती है और लोकतांत्रिक संस्थाएँ पंगु हो जाती हैं, तो कई देशों में इसका अंजाम राजनीतिक अराजकता के रूप में सामने आया है। “मोदी सरकार भारत को भी उसी रास्ते पर धकेल रही है,” रमेश ने कहा।

छोटे मंझोले उद्योगों और मनरेगा पर संकट

जयराम रमेश ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) अभूतपूर्व दबाव में हैं। यह दबाव न सिर्फ घरेलू नीतियों की विफलता का परिणाम है, बल्कि विदेश नीति की असफलताएँ भी इसका कारण हैं।

“छोटे कारोबारियों के लिए माहौल लगातार कठिन होता जा रहा है। आम लोगों के लिए कमाई के अवसर सिमट रहे हैं और महंगाई इतनी बढ़ चुकी है कि नौकरीपेशा वर्ग भी कर्ज़ के बोझ तले दबता जा रहा है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों पर सरकारी निवेश लगातार घट रहा है और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को कमज़ोर किया जा रहा है।

मनरेगा जैसी योजनाएँ, जिन्होंने करोड़ों लोगों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का जाल मुहैया कराया था, आज “वेतन संकट” से जूझ रही हैं। “श्रमिकों को समय पर भुगतान तक नहीं मिल रहा,” रमेश ने कहा।

“लोकतंत्र और विकास से बाहर किए जा रहे करोड़ों नागरिक”

जयराम रमेश ने कहा कि आर्थिक शक्ति जब कुछ हाथों में सिमट जाती है तो राजनीतिक फ़ैसले भी उन्हीं के हित में होने लगते हैं। “यही वजह है कि सामाजिक और आर्थिक असमानता की खाई लगातार चौड़ी हो रही है और करोड़ों नागरिक धीरे-धीरे लोकतंत्र और विकास की प्रक्रिया से बाहर किए जा रहे हैं,” उन्होंने कहा।

कांग्रेस नेता ने इस स्थिति को लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बताते हुए कहा कि अगर तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए गए तो भारत में सामाजिक ताना-बाना और आर्थिक स्थिरता दोनों गंभीर संकट में पड़ सकते हैं।

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