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Mahakumbh : प्रयागराज में ऐसा पहली बार होगा, एक छत के नीचे पांच देशों के संत करेंगे कल्पवास

महाकुंभ में पहुंच रहे संत महात्मा।महाकुंभ में पहुंच रहे संत महात्मा।

 

Mahakumbh

  • संस्कृतियों का होगा मिलन, पूर्वजों की पूजा भी करेंगे विदेशी संत-भक्त
  • एक ही शिविर में जापान, रूस, यूक्रेन, भारत व नेपाल के संत-भक्त कल्पवास करेंगे

Mahakumbh : महाकुंभ में पहली बार दुनिया के पांच देशों की संस्कृतियां और परंपराएं एक छतरी के नीचे गलबहियां करती दिखेंगी। इस शिविर में जापान के साथ रूस और यूक्रेन के संत-भक्त अपनी संस्कृतियों के साथ समागम करेंगे ही उसी परिसर में भारत और नेपाल के भी साधु-गृहस्थ कल्पवास करेंगे। इस शिविर में यज्ञ वेदी भी बनकर तैयार है। वहां घरेलू वेदियों को बनाकर मंदिरों लोक देवी के साथ ही पूर्वजों और आत्माओं की पूजा भी होगी। जापान के दो सौ से अधिक बौद्ध अनुयायी पहुंचे वैश्विक स्तर पर 5 देशों की संस्कृतियों का यह महाकुंभ सेक्टर 18 में संगम लोवर मार्ग पर लगेगा। वहां जापान से आने वाले दो सौ से अधिक बौद्ध धर्म के भी अनुयायी भी सनातन के रंग में होंगे। जपानी संतों-भक्तों का मार्ग दर्शन योग माता केको आईकावा उर्फ कैला नंदगिरि करेंगी। स्वामी कैलानंद गिरि यहां पहुंचे हैं।

यूक्रेनी संत स्वामी विष्णुदेवानंद आए

इसी तरह रूस के साथ तीन वर्ष से भीषण युद्ध का सामना कर रहे यूक्रेन के प्रमुख धर्म पूर्वी रूढ़िवादी से संबंधित संत और सैकड़ों अनुयायी इस शिविर में समागम करेंगे। यूक्रेनी संत स्वामी विष्णुदेवानंद गिरि के साथ वहां से संत-भक्त यहां पहुंच रहे हैं। श्रद्धा सेवा शिविर में यूक्रेन से आने वाले संतों-भक्तों के लिए शिविर तैयार हो गए हैं।

नेपाली संतों के शिविर में पूर्ण तैयारियां

इस शिविर में यज्ञ वेदी भी बनकर तैयार है। वहां घरेलू वेदियों को बनाकर मंदिरों लोक देवी के साथ ही पूर्वजों और आत्माओं की पूजा भी होगी। इसी तरह इस शिविर में नेपाल से आने वाले संत अपनी संस्कृति और परंपरा के साथ समागम करेंगे। 10 बीघा क्षेत्रफल में शिविर को तैयार किया गया है।

प्रत्येक कक्ष आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित

आलीशान वुडेन कॉटेज में विदेशी संतों के कल्पवास की पहली बार व्य्वस्था की गई है। इसमें महामंडलेश्वर योगमाता महामंडलेश्वर चेतना गिरि, योगमाता श्रद्धानंद गिरि के अलावा शैलेशानंद महाराज के अलावा खप्पर बाबा भी प्रवास करेंगे। यहां वाईफाई से लेकर वातानुकूलित सत्संग कक्ष, माड्यूलर किचन, डिलक्स कक्ष और आधुनिक प्रसाधन बनाए गए हैं।

कैलामाता की ओर से की गई व्यवस्था

शिविर के संयोजक खप्पर बाबा ने बताया कि श्रद्धा सेवा शिविर में पांच देशों के संतों-भक्तों की बसावट कैला माता की ओर से कराई जा रही है। इस शिविर में टाइल्स भी बिछाई जा रही है। शीशे की हवादार खिड़कियां तो होंगी ही, आरामदायक सोफे, पलंग भी बिछाए जा रहे हैं ताकि संतों को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े। इसके लिए मेला प्रशासन की ओर से कोई सुविधा नहीं ली गई है।

3000 किमी दूरी तय कर महाकुंभ पहुंची कलश रथ यात्रा

भरतपुर। कश्मीर के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व वाले शारदा पीठ से प्रारंभ हुई महाकुंभ अमृत कलश रथ यात्रा ने भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को पुनर्जीवित करने का एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। यह यात्रा डांग क्षेत्र के नवलापुरा महाकाल मंदिर के महंत व राष्ट्रीय अनहद महायोग पीठ के पीठाधीश्वर संत रुद्रनाथ महाकाल विशाल जी महाराज के द्वारा शुरू की गई थी। यह अमृत कलश यात्रा लगभग 3000 किमी की दूरी तय करती है। हुए सात राज्यों और सैकड़ों मंदिरों का भ्रमण करते हुए अंतिम पड़ाव 10 जनवरी को प्रयागराज में पहुंची। जहां इसे महाकुंभ में विसर्जित किया गया।

1100 किमी पैदल चलकर अयोध्या पहुंचा छह साल का मोहब्बत

कहते हैं भक्ति में बड़ी शक्ति होती है। भक्ति की शक्ति क्या करवा सकती है। पंजाब में रहने वाले छह साल के बच्चे मोहब्बत को रामलला के दर्शन की ऐसी ललक थी कि उसने पंजाब से अयोध्या का 1100 किमी का सफर पैदल ही नाप दिया। बताते हैं कि एक साल पहले जब प्रभु राम की अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी तभी उस बच्चों को एक सपना आता है कि राम जी उसे बुला रहे हैं। ये बात उसने अपने पिता को बताई और पैदल ही अयोध्या जाने की बात कही। दो महीने पहले बच्चा पंजाब से निकला और करीब 1100 किलोमीटर चलकर प्रभु राम के दरबार पहुंच ही गया। कल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस बच्चे की मुलाकात होगी। मोहब्बत का कहना है कि वह यहां से प्रयागराज महाकुंभ भी जाना चाहता है।

https://vartahr.com/maha-kumbh-this-…s-under-one-roof/

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