Kurukshetra
- लुप्त होती लोक कला सांझी को बचाने का प्रयास
- विरासत हैरिटेज विलेज ने सांझी के लिए महिलाओं को किया आमंत्रित
- उत्सव में उत्तर भारत के सभी राज्यों की महिलाएं शामिल होंगी
Kurukshetra : कुरुक्षेत्र। विरासत हेरिटेज विलेज जी.टी. रोड मसाना में पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी आगामी 2 अक्टूबर से 11 अक्टूबर 2024 तक विरासत सांझी उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस उत्सव में उत्तर भारत के सभी राज्यों की महिलाएं सांझी लगाने के लिए आमंत्रित की जाएंगी। यह जानकारी कार्यक्रम के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया ने दी। उन्होंने बताया कि विरासत की ओर से 2021 से सांझी उत्सव की शुरूआत हुई। उसके पश्चात 2022 एवं 2023 में भी विरासत सांझी उत्सव आयोजित किया गया।
इस वर्ष चौथा सांझी उत्सव
इस वर्ष यह चौथा सांझी उत्सव होगा जिसमें ग्रामीण महिलाएं अपनी लोक कला सांझी को दीवारों पर उकेरेंगी। उन्होंने कहा कि विरासत सांझी उत्सव के माध्यम से हरियाणा ही नहीं अपितु उत्तर भारत की लुप्त होती लोक कला सांझी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विरासत की ओर से 3 राज्य स्तरीय सांझी उत्सव आयोजित किए जा चुके हैं। इन सांझी उत्सवों में सैंकड़ों महिलाओं ने भाग लेकर लोककला सांझी को फिर से पुर्नजीवित करने का प्रयास किया है।
अमावस्या के दिन से शुरूआत
डॉ. पूनिया ने बताया कि विरासत का उद्देश्य लुप्त हो रही लोक संस्कृति को पुर्नजीवित कर युवाओं से जोड़ना है। इस कड़ी में सांझी उत्सव लोक कलात्मक संस्कृति के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण उत्सव है। उन्होंने कहा कि लोककला सांझी हरियाणा की लोक पारंपरिक कला का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्तमान में यह कला गांव से लुप्त होती जा रही है। सांझी लगाने की शुरूआत अमावस्या के दिन की जाती है।
दीवार पर सजाई जाती है
हरियाणा में आश्विन मास के शुक्ला प्रथमा से दशमी तक सांझी की पूजा होती है। इसकी स्थापना घर की किसी दीवार पर की जाती है। स्थापना के पूर्व से ही सांझी के सभी अंग-प्रत्यंग बना लिए जाते हैं और फिर इन्हें गोबर की सहायता से दीवार पर स्थापित कर दिया जाता है। दस दिन नवैद्य आदि से बालिकाएं इसकी पूजा करती हैं। विजयदशमी के दिन इसका समापनोत्सव मनाया जाता है और सांझी को उतार कर निकट स्थित किसी तालाब या नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है।
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