• Fri. Nov 22nd, 2024

Kuno : दो साल में कूनो में बचे 20 में से 12 चीते, 8 की मौत

कूनो में चीता।कूनो में चीता।

Kuno

  • पीएम मोदी के जन्मदिन पर 17 सितंबर 2022 में शुरू हुई थी ‘चीता परियोजना
  • मध्य प्रदेश सरकार की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा, चीतों के लिए नहीं, गुजरात के गिर के शेरों के लिए तैयार किया गया था कूनो राष्ट्रीय उद्यान।
  • चीता प्रबंधन में केंद्र और राज्य के विभागों के बीच रही तालमेल की कमी।

Kuno : नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 17 सितंबर 2022 को भारत में करीब सात दशक बाद चीता को फिर से बसाने के लिए शुरू की गई ‘चीता परियोजना’ के मंगलवार को दो साल पूरे हो गए। चीतों की प्रारंभिक प्रवास स्थली बनाए गए मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में इस दौरान काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से दो साल पहले इस परियोजना के तहत अफ्रीका महाद्वीप से दो बैच में कुल 20 चीते लाए गए थे। पहले बैच में नामीबिया से 8 और दूसरे बैच में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे। इनमें से नामीबिया से लाए गए 8 में से 4 और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 में से 4 चीतों की मौत हो गई। इसके बाद बाकी बचे हुए चीतों की संख्या 12 हो गई है। जबकि इस अवधि में कूनो में शावक भी समान संख्या में (12) हैं। यहां कुल 17 शावकों का जन्म हुआ था। लेकिन इनमें से 5 की मौत हो गई थी।

चीता प्रबंधन में तालमेल का अभाव

उधर, मध्य प्रदेश सरकार की एक हालिया आई ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि राज्य के कूनो राष्ट्रीय उद्यान चीतों के लिए नहीं बल्कि गुजरात के गिर के शेरों के लिए तैयार किया गया दूसरा घर था। चीतों के प्रबंधन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के बीच तालमेल की कमी देखने को मिली। रिपोर्ट के मुताबिक कूनो की प्रबंधन योजना चीतों से जुड़ी हुई नहीं थी। इसमें नियमों के उल्लंघन के अलावा दस्तावेजों में चीता परियोजना पर आए खर्च की जानकारी भी मौजूद नहीं थी।

केंद्र ने सराहे परियोजना से जुड़े प्रयास

पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, चीता परियोजना पीएम मोदी का एक महत्वपूर्ण प्रयास था। जो संकटग्रस्त वन्य जीव प्रजातियों और उनसे जुड़े पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से सफलतापूर्वक बसाने की उम्मीद को प्रदर्शित करता है। इस प्रक्रिया में हालांकि कई चुनौतियां सामने आईं। जिसमें प्रवास स्थलों को नए शावकों के लिए तैयार करने और जंगल में उनकी सुरक्षा जैसे मामले शामिल हैं। आज जब पूरी दुनिया इन चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चहलकदमी करते हुए देख रही है तो हम केवल इनकी सुरक्षित मौजूदगी का जश्न नहीं मना रहे हैं। बल्कि इस पूरी कवायद में समर्पण के साथ शामिल सभी के प्रयासों की सराहना करते हैं। इसके जरिए हमारे इकोसिस्टम में संतुलन बनाने की कोशिशों की शुरुआत की गई है।

ज्वाला, आशा और गामिनी के हैं शावक

कूनो में फिलहाल नामीबिया से लाए गए चीतों में शामिल ज्वाला के 5 और आशा के लिए 3 शावक हैं। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका से लाई गई गामिनी मादा चीता के 4 शावक मौजूद हैं।

https://vartahr.com/kuno-12-out-of-2…two-years-8-died/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *