Kandahar
- भोला, शंकर नहीं… इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सैयद, सनी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर थे आतंकी
- आतंकियों के ओरिजिनल नामों का ही जिक्र होगा, कोड वर्ड को हटा दिया जाएगा
Kandahar : नई दिल्ली। अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी ‘आईसी-814 कंधार हाईजैक’ वेब श्रृंखला से भोला और शंकर को गायब कर दिया जाएगा। विमान हाईजैक करने वाले आतंकियों के ओरिजिनल नामों का ही जिक्र होगा, कोड वर्ड को हटा दिया जाएगा। इसी पर दो दिनों से सोशल मीडिया पर विवाद के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ओटीटी नेटफ्लिक्स की उपाध्यक्ष, कंटेंट मोनिका शेरगिल को तलब कर लिया था। मोनिका ने मंगलवार को मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विमर्श कर साफ किया कि कंटेंट को अपडेट कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वेब सीरीज किसी की भावनाओं को आहत करने के लिए नहीं बल्कि 1999 में हुई वास्तविक घटना से आज के युवाओं को कनेक्ट करने के लिए है। नेटफ्लिक्स पर चल रहे इस वेब सीरीज पर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था, जो 1999 में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन द्वारा इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-814 के अपहरण की कहानी बताता है।
पांच अपहर्ता थे
पांच अपहर्ताओं ने विमान पर नियंत्रण कर लिया और इसे अफगानिस्तान की ओर मोड़ दिया। जिस पर तब तालिबान का शासन था। तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने 154 बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए तीन आतंकवादियों – मसूद अज़हर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक ज़रगर को रिहा करना पडा था। वेब सीरीज जारी होने के बाद सैकड़ों सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने रचनाकारों – अनुभव सिन्हा और त्रिशांत श्रीवास्तव – पर दो अपहर्ताओं के नाम बदलकर ‘भोला’ और ‘शंकर’ करने का आरोप लगाया। इसे ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ का दावा किया गया है और आलोचकों ने इसे आतंकवादियों की वास्तविक पहचान को गलत तरीके से प्रस्तुत करने वाला घोषित किया है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि यह हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।
वास्तविक नामों का खुलासा
हालांकि जनवरी 2000 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पांच अपहर्ताओं के वास्तविक नामों का खुलासा किया था – इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सैयद, सनी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर। मंत्रालय ने कहा कि अपहरण और बंधक परिदृश्य के दौरान वे एक-दूसरे को कोड नामों से संदर्भित करते थे, जिनमें से दो नाम ‘भोला’ और ‘शंकर’ थे। अन्य थे ‘प्रमुख’, ‘डॉक्टर’ और ‘बर्गर’।अपहरण की लाइव कवरेज करने वाले पत्रकारों ने विवाद के बीच सोशल मीडिया पोस्ट डालकर कहा कि यात्रियों ने उन्हें बताया था कि अपहर्ताओं ने वास्तव में एक-दूसरे को संबोधित करने के लिए इन नामों का इस्तेमाल किया था। वेब सीरीज में आतंकियों के ओरीजिनल नाम ही जाने चाहिए थे। विभिन्न मंचों के माध्यम से विरोध प्रदर्शन के कारण नेटफ्लिक्स की उपाध्यक्ष शेरगिल को सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा तलब किया गया था। केंद्र सरकार ने मामले पर बहुत गंभीरता से काम लेते हुए साफ कर दिया कि किसी को भी भारतीय लोगों की भावनाओं के साथ खेलने का अधिकार नहीं दिया जा सकता।
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