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judge’s house note : जस्टिस वर्मा के घर से नकदी मिलने पर प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई

judge’s house note

  • जज के घर कैश मामले में संसदीय समिति की बैठक में उठे गंभीर सवाल
  •  समिति ने न्याय विभाग से विस्तृत नोट तैयार करने को कहा
  •  सांसदों ने न्यायाधीशों के लिए एक आचार संहिता बनाने की मांग की
  •  जज सेवानिवृत्ति के बाद 5 साल तक सरकारी कार्यभार नहीं लें

judge’s house note : नई दिल्ली। संसदीय समिति की बैठक में मंगलवार को कई सांसदों ने पूछा कि यहां एक हाईकोर्ट के जज के आवास से बेहिसाबी नकदी बरामद होने के मामले में कोई प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई। इस पर समिति ने न्याय विभाग से इस मामले पर एक विस्तृत नोट तैयार करने को कहा। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सांसदों ने न्यायाधीशों के लिए एक आचार संहिता की भी मांग की तथा कहा कि उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद पांच वर्ष की अवधि तक कोई सरकारी कार्यभार नहीं लेना चाहिए। कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी संसदीय समिति की बैठक के दौरान विभिन्न दलों के सांसदों ने इस मुद्दे को उठाया तथा विधि एवं न्याय मंत्रालय से कई प्रश्न पूछे कि न्यायपालिका से संबंधित उठाए गए मामलों में वह क्या कर रहा है।

न्यायिक प्रक्रियाएं और उनमें सुधार पर प्रस्तुति

सूत्रों ने बताया कि न्याय विभाग के सचिव, जिन्होंने उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता और न्यायाधीशों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद कार्यभार संभालने के मुद्दों से संबंधित ‘न्यायिक प्रक्रियाएं और उनमें सुधार’ पर प्रस्तुति दी थी, को उठाए गए मुद्दों पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने और समिति की अगली बैठक में इसे प्रस्तुत करने के लिए कहा।

व्यापक विधेयक की भी मांग

सदस्यों ने न्यायाधीशों की नैतिकता और आचार संहिता पर विभिन्न मुद्दों और चिंताओं को संबोधित करने वाले एक व्यापक विधेयक की भी मांग की, जो बैठक के दौरान उनके द्वारा उठाए गए थे। सांसदों ने जानना चाहा कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास से बेहिसाब नकदी की बरामदगी के मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई और मांग की कि एक आचार संहिता लागू की जानी चाहिए।

वर्मा को हटाने के लिए प्रस्ताव क्यों नहीं लाए

कुछ सांसदों ने यह भी पूछा कि न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के लिए अब तक कोई प्रस्ताव क्यों नहीं लाया गया? कुछ लोगों ने मांग की है कि न्याय निष्पक्ष होना चाहिए, क्योंकि एक सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार के एक छोटे से मामले पर अपनी नौकरी खो सकता है, लेकिन बेहिसाब नकदी की बरामदगी के बाद भी न्यायपालिका के एक वरिष्ठ सदस्य के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। कई दलों के सांसदों ने यह भी मांग की कि सरकार को अब तक संबंधित न्यायाधीश को हटाने के लिए प्रस्ताव लाना चाहिए था, खासकर तब जब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायाधीशों की समिति ने नकदी की बरामदगी की बात को सही पाया है।

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