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jind : व्यास धर्मशाला पांडू पिंडारा में हवन एवं भंडारे का आयोजन

पांडु पिंडारा धर्मशाला में हवन यज्ञ में भाग लेते व्यास समाज के लोग।पांडु पिंडारा धर्मशाला में हवन यज्ञ में भाग लेते व्यास समाज के लोग।

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  • व्यास समाज के लोगों ने बैठक में की वेद व्यास का मंदिर बनाने पर चर्चा
  • बिरादारी के युवाओं के मेल मिलाप व युवा वर्ग को प्रोत्साहित करने पर मंथन
  • इस बार मलिकपुर निवासी कृष्ण व्यास की तरफ से दिया गया भंडारा

 

पांडु पिंडारा धर्मशाला में पहुंचे व्यास बंधू।
पांडु पिंडारा धर्मशाला में पहुंचे व्यास बंधू।

jind : सोमवती अमावस्या पर व्यास धर्मशाला पांडू पिंडारा, जींद में व्यास बंधुओं ने एक बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में बिरादरी के सैंकड़ाें लोगों ने भाग लिया। व्यास धर्मशाला पांडू पिंडारा के प्रधान चंद्रपाल व्यास ने बताया कि बैठक के दौरान सभी व्यास बंधुओं ने धर्मशाला में श्री वेद व्यास जी का मंदिर बनाने के लिए चर्चा की। सभी व्यास बंधुओं ने अपने-अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि इस दौरान व्यास बिरादरी के युवाओं के मेल मिलाप और युवा वर्ग को प्रोत्साहित करने के बारे में भी बात हुई। सोमवती अमावस्या पर समाज के लोगों ने हवन यज्ञ किया और भगवान वेद व्यास जी से आर्शीवाद लिया। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने पितरों के लिए पिंडदान भी किए। चंद्रपाल ने बताया कि इस बार सोमवती अमावस्या पर गांव मलिकपुर निवासी कृष्ण व्यास की तरफ से भंडारे का आयोजन भी किया गया। इस मौके पर व्यास धर्मशाला पांडू पिंडारा के प्रधान चंद्रपाल व्यास अंगीरा धनाना, कृष्ण कुमार कौशिक मलिकपुर, ओमप्रकाश कौशिक घसौली, सुरेश कुमार अंगीरा बांस, नफे सिंह अंगीरा पेटवाड़, जयकिशन व्यास कैथल और व्यास समाज के गणमान्य बंधु मौजूद रहे।

पिंडतारक तीर्थ का महत्व

पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की थी। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं। सोमवती अमावस्या श्रद्धालुओं के लिए विशेष फलदायी मानी जाती है। इस दिन स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है। इस दिन पूजा-पाठ और पितृ तर्पण का विशेष महत्व है। अब तीसरी सोमवती अमावस्या का योग 30 दिसंबर को पड़ रहा है

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