Jatela Dham
- -जटेला धाम में गुरु पूर्णिमा को साध संगत को संबोधित करते हुए बाेले त्रिवेणी संत महंत राजेंद्र दास
- -गुरु की तरह वृक्ष भी मानवता को अपना सर्वस्व देते हैं
- -प्रकृति को ऋषि मुनियों ने सबसे बड़ा गुरु माना
- -श्रावण में पेड़ लगाना भगवान शिव को अराध्य देना है
- -पेड़ों के माध्यम से शिव की पूजा एक सनातन जरिया
Jatela Dham : झज्जर। गुरु के प्रति श्रद्धा,सम्मान व कृतज्ञता प्रकट करने का पर्व है गुरु पूर्णिमा। गुरु देवता तुल्य है जो शिष्य को सानिध्य में आने पर सब कुछ दे देता है। गुरु की तरह वृक्ष भी मानवता को अपना सर्वस्व देते रहते हैं। इसलिए गुरु और प्रकृति के सम्मान को व्यास ऋषि के जन्मदिन के अवसर पर समारोह के रूप में मनाने की सनातन परंपरा है। प्रकृति को ऋषि मुनियों ने सबसे बड़ा गुरु माना है। ये उद्गार जटेला धाम में गुरु पूर्णिमा को साध संगत को संबोधित करते हुए त्रिवेणी संत महंत राजेंद्र दास ने व्यक्त किये। राजेंद्र दास ने अपने संबोधन में कहा कि वृक्ष हमें बिना किसी स्वार्थ के फल, छाया और प्राणवायु (ऑक्सीजन) देते हैं, जो गुरु की निःस्वार्थ सेवा से मेल खाती है। प्राचीन आश्रमों व गुरुधामों में प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की शिक्षा दी जाती थी।गुरु के दिशा निर्देश में शिष्य वृक्ष लगाते थे,जल की रक्षा करते थे,प्रकृति की आराधना व उपासना करना सिखाते थे।जटेला धाम प्रकृति व वृक्षों की सेवा में पूर्णतया समर्पित है। गुरु पर्व पेड़ लगाना गुरु को सच्ची श्रद्धांजलि है। वृक्ष का पालन पोषण गुरु का साक्षात सम्मान है। गुरु पूर्णिमा केवल पूजा का पर्व नहीं अपितु आत्म चिंतन, प्रकृति से जुड़ाव और वृक्ष पूजा का पर्व है। श्रावण में पेड़ लगाना भगवान शिव को अराध्य देना है।अतः पेड़ों के माध्यम से शिव की पूजा एक सनातन जरिया है।
ग्रंथ वृक्ष व प्रकृति की महिमा से भरे
महेंद्र राजेंद्र दास ने आगे कहा कि वेद, पुराण व सनातन ग्रंथ वृक्ष व प्रकृति की महिमा से भरे पड़े हैं। स्वामी नितानंद ने सत्य सिद्धांत प्रकाश में पर्यावरण संरक्षण और जैव विविध विविधता पर विशेष अध्याय लिखे हैं।नितानंद महाराज ने अपने काव्य में चंदन,पलाश,अरंड पीपल,नीम,बबुल,ढाक व आक आदि वनस्पतियों का वर्णन किया है। उन्होंने पेड़ पौधे,जंगली जीव जंतुओं के महत्व को विशेष रूप से चित्रांकित किया है। जटेला धाम की साध संगत और नितानंद मिशन फाउंडेशन वृक्षारोपण का जनव्यापी अभियान चलाए हुए हैं।एक पेड़ गुरु के नाम का आगाज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आज जाटेला धाम से किया जाता है। संत नितानंद को श्रर्ध्दार्पण का सीधा जरिया है पौधारोपण। जो आज के समाज की महती जरूरत है। इस पौधारोपण अभियान में समर्पित होकर हम सभी पुण्य के भागी बने। इस मौके पर कनाडा से सुभाष सैनी, झज्जर से अधिकारी सीटीएम और बख्शी राम सैनी चेयरमैन, प्रवीण स्वामी अजय सैनी राकेश यादव धारूहेड़ा, करतार, रघुवीर, एक्शन महेंद्र जाखड़ आदि मौजूद रहे।
https://vartahr.com/jatela-dham-plan…ant-rajendra-das/