Pakistan
- -पाकिस्तान की धरती से जयशंकर की पाक को दो टूक
- आतंकवाद, चरमपंथ और अलगाववाद’ के बीच नहीं पनप सकता व्यापार
- चीन ने पाकिस्तान में छेड़ा कश्मीर राग तो पाक ने सीपीईसी को दिया समर्थन
- एससीओ बैठक में जयशंकर के भाषण के वक्त पाक टीवी पर बंद हुआ लाइव प्रसारण
- इस्लामाबाद के जिन्ना कन्वेंशन सेंटर में पाक पीएम ने किया डॉ.जयशंकर का स्वागत
Pakistan : नई दिल्ली। घरेलू और वैश्विक चुनौतियों के बीच बुधवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की 23वीं बैठक में विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर ने पाकिस्तान की जमीन से जहां आतंकवाद के मसले पर उसे बेहद कड़ा संदेश दिया और कहा, आज हमारे लिए एक ईमानदार बातचीत करना जरूरी है। अगर विश्वास की कमी के अलावा सहयोग पर्याप्त नहीं, दोस्ती कमजोर है या अच्छे पड़ोसी जैसे संबंध कहीं गायब हो गए हैं तो हमें साफतौर पर आत्मनिरीक्षण करने व इन समस्याओं का समाधान खोजने की जरूरत है। वहीं, चीन को क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के आपसी सम्मान पर संगठन में सहयोग की नींव टिकी हुई होने की नसीहत देते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि वो ड्रैगन की चीन-पाक आर्थिक गलियारा परियोजना (सीपीईसी) को स्वीकार नहीं करता है। विकास और प्रगति के लिए शांति, स्थिरता आवश्यक है। पाकिस्तान के जिन्ना कन्वेंशन सेंटर में एससीओ का ये शिखर सम्मेलन हुआ था। यहां पहुंचने पर पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के विदेश मंत्री का हाथ मिलाकर स्वागत किया। इसके बाद वह तमाम भागीदार देशों के साथ सामूहिक फोटो सेरेमनी में भी शामिल हुए। विदेश मंत्री ने एससीओ सम्मेलन के अंत में आठ परिणाम दस्तावेजों पर भी हस्ताक्षर किए। बैठक से पहले जयशंकर ने पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में सुबह की सैर की और भारत के एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत परिसर में अर्जुन का एक पौधा लगाया। सम्मेलन के बाद विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा संपन्न हुई और वह स्वदेश पहुंचे। एक्स पर पोस्ट में उन्होंने अपनी भारत रवानगी पर पाकिस्तान के पीएम, उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार व पाक सरकार का इस्लामाबाद में दिए गए आतिथ्य, शिष्टाचार के लिए धन्यवाद दिया।
चीन का कश्मीर राग, पाक का सीपीईसी को समर्थन
उधर, सम्मेलन के पूर्व में पाक में हुई उच्च स्तरीय द्विपक्षीय बैठकों में चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने पाकिस्तान में बैठकर कश्मीर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर का विवाद इतिहास से जुड़ा हुआ है। इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय समझौतों के मुताबिक शांतिपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए। जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एससीओ सम्मेलन में अपने संबोधन में चीन के सीपीईसी का समर्थन करते हुए कहा कि इस तरह की परियोजनाओं को संकीर्ण राजनीतिक नजरिए के साथ नहीं देखा जाना चाहिए। आर्थिक रूप से एकीकृत क्षेत्र के हमारा साझा विजन की पूर्ति के लिए हमें निवेश और सामूहिक कनेक्टिविटी क्षमताओं पर जोर देना चाहिए।
जयशंकर के भाषण पर बंद हुआ लाइव प्रसारण
पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में इस बार दो दिवसीय (15 से 16 अक्टूबर तक) एससीओ सम्मेलन पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हुआ। इसमें पाक पीएम के ठीक बाद भारतीय विदेश मंत्री का संबोधन हुआ। इस दौरान ये जानकारी भी सामने आई कि जब विदेश मंत्री डॉ.जयशंकर का भाषण हुआ तो उस वक्त पाकिस्तान टीवी का लाइव प्रसारण बंद कर दिया गया। बीते करीब एक दशक में किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री द्वारा की गई यह पहली पाकिस्तान यात्रा थी। इससे पहले वर्ष 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान गई थीं। भारत-पाक के द्विपक्षीय संबंध जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों से भरी बस पर हुए फिदायीन आतंकी हमले के बाद से पटरी से उतरे हुए हैं। भारत का स्पष्ट रुख है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। जबकि पाक दोनों को अलग-अलग रखने का हिमायती है।
इन तीन बुराइयों संग नहीं पनपेंगे संबंध
जयशंकर ने दोनों देशों का नाम लिए बगैर कहा, बिना भरोसे के कुछ संभव नहीं और सीमा पार ‘आतंकवाद, चरमपंथ और अलगाववाद’ जैसी तीन बुराइयों के साथ व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, कनेक्टिविटी और लोगों के बीच आपसी संबंधों को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता। उन्होंने संगठन के देशों को एससीओ चार्टर की याद दिलाते हुए कहा कि हमने इन बुराइयों को तीन प्रमुख चुनौतियों के रूप में रेखांकित कर इनके विरोध को लेकर प्रतिबद्धता जताई है। एससीओ में सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए। वास्तविक साझेदारियों को क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए। इसका गठन एकतरफा एजेंडे पर नहीं होना चाहिए। उन्होंने चार्टर की धारा-1 पर कहा, इसका उद्देश्य आपसी भरोसा, दोस्ती और पड़ोसियों के संबंधों को मजबूत करना, विभिन्न क्षेत्रों में खासकर क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देना है। साथ ही संतुलित विकास को बढ़ावा देना और संघर्ष को रोकने के लिए एक सकारात्मक ताकत बनना है।
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