Holi
- पूर्णिया के सिकलीगढ़ धरहरा गांव में जलाई गई थी सबसे पहले होली
- मान्यता के अनुसार यहीं सतयुग में भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर भक्त प्रहलाद की
रक्षा अग्नि से की थी
Holi : नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं सबसे पहले होलिका दहन भारत के किस राज्य में किया गया था और वहां किस प्रकार होली खेली जाती है। हिरण्यकश्यपु के कहने पर उनकी बहन होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में बैठाकर जलती हुए अग्नि में बैठ गई थी, जिसके बाद भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद अग्नि से सुरक्षित रहे, लेकिन होलिका जलकर भस्म हो गई थी। जिसके बाद से हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रूप में होलिका दहन किया जाता है। पहली बार होलिका दहन बिहार में किया गया था। श्रीमद् भागवत और स्कंद पुराण के अनुसार, पूर्णिया जिले के बनमनखी स्थित सिकलीगढ़ धरहरा गांव को होलिका दहन की उत्पत्ति का स्थल माना जाता है। मान्यता के अनुसार यहीं सतयुग में भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर भक्त प्रहलाद की रक्षा अग्नि से की थी।
बिहार की होली को फगुआ के नाम से जाना जाता है
बिहार की होली को फगुआ या फाल्गुनोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। बिहार में यहां के लोग सुबह-सुबह रंगों से होली खेलते हैं और शाम के वक्त अबीर-गुलाल लगाते हैं। कई क्षेत्रों में यह होली अगले दिन भी चलती है जिसे बसीऔरा के नाम से जाना जाता है। होली आने पर जो गीत गाए जाते हैं, उस फगुआ के नाम से जाना जाता है और इन गीतों के बिना बिहार के लोगों की होली एकदम अधूरी है। फगुआ की परंपरा बिहार के अलावा झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी है, जो होली के गीतों के साथ रंगों के त्योहार को मनाया जाता है।