Haryana News
- -किसानों को प्रति एकड़ 20 हजार रुपये का नुकसान
- -पिछले साल प्रति एकड़ 20 से 28 क्विंटल तक धान निकला था
- -इस बार 14 से 22 क्विंटल तक उत्पादन है
- -भारी बरसात औ जलभराव के कारण बढ़ी दिक्कतें
- -परमल धान के उत्पादन में भी इस बार कमी आएगी
फतेहाबाद। प्रदेश की मण्डियों में इस समय बासमती किस्म के धान की फसल तेजी से आनी शुरू हो गई है। पिछले दिनों भारी बारिश के चलते धान की फसल में काफी पानी भर गया था। कई क्षेत्रों में धान की फसल डूब गई थी, जिसके चलते इस बार बासमती धान के उत्पादन में भारी कमी आई है। एक अनुमान के अनुसार इस समय किसान को 20 से 25 हजार रुपये प्रति नुकसान झेलना पड़ रहा है। दरअसल काफी समय तक धान की फसल से पानी नहीं निकल पाया, जिस कारण उत्पादन में कमी आई। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि 1509 धान की अगेती फसल में प्रति एकड़ 6 से 8 क्विंटल तक की कमी आई है। हालांकि परमल धान अभी मण्डियों में आना शुरू हुआ है लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है परमल धान के उत्पादन में भी इस बार कमी आएगी।
घट रहा उत्पादन
इस बार धान का प्रति एकड़ उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 6 से 8 क्विंटल तक कम हो रहा है। इस धान की खरीद सरकार नहीं करती। निजी व्यापारी व एक्सपोर्टर ही इसकी खरीद करते हैं। इस किस्म के बासमती धान का रेट अभी औसतन करीब 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहे है। ऐसे में किसानों प्रति एकड़ 20 से 25 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। पिछले साल प्रति एकड़ 20 से 28 क्विंटल तक धान निकला था। इस बार 14 से 22 क्विंटल तक उत्पादन है। कुछ किसानों के खेत में उत्पादन प्रति एकड़ 10 क्विंटल तक कम है। माना जा रहा है कि परमल धान का उत्पादन भी 6 से 8 क्विंटल प्रति एकड़ कम निकल रहा है। हालांकि इसका अंदाजा धान के मण्डियों में आने के बाद ही लगेगा।
लागत बढ़ी, पर आमदनी घटी
इस बार फसलों में बीमारियों के कारण कीटनाशकों पर खर्च बढ़ा है। 1509 धान मंडियों में 2800 से 3 हजार रुपए क्विंटल तक बिक रहा है। रेट पिछले साल से 200 से 400 रुपए कम हैं। साथ ही उत्पादन घटने से किसानों को फायदे के बजाय दोहरा नुकसान हो रहा है। किसानों का कहना है कि 1509 धान प्रति एकड़ 14-16 क्विंटल निकला। पिछले साल 22 से 24 क्विंटल था। प्रति एकड़ 20 से 25 हजार रुपए का नुकसान है। किसानों ने बताया, इस बार धान का रेट भी 200 से 400 रुपये प्रति क्विंटल कम मिल रहा है, जिस कारण उन पर दोहरी मार पड़ रही है। गांव अहलीसदर के निवासी धर्मवीर ने बताया कि पिछले साल से उत्पादन 4 से 6 क्विंटल कम हुआ। दरियापुर के रामेश्वर ने कहा, धान उत्पादन में बड़ी गिरावट है। फतेहाबाद मंडी में फसल बेचने आए किसान सुरेन्द्र सिंह ने कहा, धान उत्पादन 30 से 40 प्रतिशत कम है। इससे खर्च भी पूरा नहीं हुआ।
बरसात से बालियों के फूल झड़े, दाने विकसित नहीं हुए
जिस समय धान की फसल में वालियां विकसित हो रही थीं, उसी समय प्रदेशभर में लगातार दो सप्ताह बारिश होती रही। बालियों का झाड़ झड़ गया। इससे दाने पूरी तरह विकसित नहीं हो पाए। बारिश के बाद धान की फसल में शीत ब्लास्ट और तेला का प्रकोप भी रहा। इस कारण उत्पादन पर असर पड़ा है। अगेती फसल में नुकसान ज्यादा है।
-डॉ. राजेश सिहाग, कृषि उपनिदेशक, फतेहाबाद