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Haryana : शिक्षा विभाग के 5 अफसरों की सैलरी रोकी

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट।पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट।

Haryana

  • हाईकोर्ट का फैसला, इनकी वजह से कर्मी का प्रमोशन 11 साल लटका
  • अधिकारियों में दो डायरेक्टर और तीन डीईओ शामिल
  • 2008 में हाईकोर्ट ने आदेश दिया, याचिकाकर्ता को प्रमोशन के साथ सभी आर्थिक और प्रशासनिक लाभ दिए जाने की बात कही थी, लेकिन अधिकारियों ने रोके रखा

Haryana : चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा शिक्षा विभाग के 5 वरिष्ठ अधिकारियों की सैलरी पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इन अधिकारियों में दो डायरेक्टर और तीन जिलों हिसार, यमुनानगर और कुरुक्षेत्र के डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर (डीईओ) शामिल हैं। यह कार्रवाई एक शिक्षा विभाग के कर्मचारी की सेवा लाभ में देरी और लापरवाही के चलते की गई। इन अधिकारियों के कारण कर्मचारी का प्रामोशन 11 साल तक लटका रहा। बताया जा रहा है कि यह मामला लगभग 16 साल पुराना है, जिसमें याचिकाकर्ता ने अदालत में प्रमोशन और सेवा लाभ पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी। 2008 में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था, जिसमें याचिकाकर्ता को प्रमोशन के साथ सभी आर्थिक और प्रशासनिक लाभ दिए जाने की बात कही गई थी।

वास्तविक लाभ से वंचित रखा

16 वर्षों तक याचिकाकर्ता को केवल नाममात्र के लाभ ही दिए गए। उसे वास्तविक लाभ से वंचित रखा गया। याचिकाकर्ता को 11 साल की देरी के बाद प्रमोशन मिला, लेकिन उसके साथ जुड़ी सभी सुविधाओं और वेतन संशोधन का लाभ अब तक नहीं दिया गया।

हाईकोर्ट का आदेश

न्यायाधीश हरकेश मनुजा ने आदेश जारी करते हुए कहा कि जब तक याचिकाकर्ता को उसके प्रमोशन और सेवा से जुड़े सभी वास्तविक लाभ नहीं दिए जाते, तब तक इन अधिकारियों की सैलरी रोक दी जाए। कोर्ट ने अधिकारियों के रवैये को गंभीर प्रशासनिक लापरवाही और उत्पीड़न करार दिया। मामले को तुरंत निपटाने और याचिकाकर्ता को न्याय दिलाने के लिए इसे अति महत्वपूर्ण श्रेणी में रखते हुए 13 दिसंबर 2024 को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

आरोपित अधिकारी
-जितेंद्र कुमार, डीएसई डायरेक्टर
-आर.एस. ढिल्लों, डीएसई डायरेक्टर
-रोहतास वर्मा, डीईओ कुरुक्षेत्र
-धर्मेंद्र कुमार, डीईओ यमुनानगर
-प्रदीप नरवाल, डीईओ हिसार

याचिकाकर्ता का पक्ष

याचिकाकर्ता ने अदालत में दलील दी कि लगातार शिकायतों और न्यायिक आदेशों के बावजूद विभागीय अधिकारियों ने प्रमोशन और संबंधित सेवा लाभों को जानबूझकर रोक रखा था। अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता को 16 वर्षों तक अनावश्यक कानूनी और मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। साथ ही, विभाग की इस लापरवाही को गंभीर मानते हुए अधिकारियों के वेतन पर रोक लगाई है। अब मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी, जहां अदालत ने अधिकारियों को जवाब दाखिल करने और सभी लंबित लाभ याचिकाकर्ता को देने के निर्देश दिए हैं।

https://vartahr.com/haryana-governme…rtment-officials/

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