Haryana Congress :
-भाजपा छोड़ कांग्रेस में पॉवर पाने का पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह का सपना भी टूटा
-प्रदेशाध्यक्ष पर की लड़ाई जीतने के बाद अब नेता प्रतिपक्ष पर भूपेंद्र सिंह की नजर
-हुड्डा के खिलाफ कुमारी सैलजा व रणदीप की घेरेबंदी नहीं कर पाई काम
-कांग्रेस आलाकमान ने भी माना, हरियाणा में हुड्डा ही कांग्रेस के बॉस
Haryana Congress । कांग्रेस आलाकमान ने सोमवार देर शाम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पसंद के ओबीसी चेहरे राव नरेंद्र को प्रदेशाध्यक्ष बनाने का ऐलान कर दिया। 2024 के विधानसभा में मिली हार के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पॉवर को कम करने के लिए कुमारी सैलजा व रणदीप सुरजेवाला द्वारा की जा रही घेरेबंदी काम नहीं कर पाई। अपनी पसंद के चेहरे को प्रदेशाध्यक्ष बनाने के लिए हुड्डा ने जैसा गेम खेला किे स्वयं राहुल गांधी को गुरुग्राम में कही अपनी बात से पीछे हटना पड़ा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की लड़ाई जीतने के बाद अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा की नजर नेता प्रतिपक्ष पर होगी। जिसे पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा स्वयं या अपने किसी समर्थक विधायक को बिठाने का प्रयास करेंगे।
जल्द हो सकता है नेता प्रतिपक्ष का नाम
वहीं हुआ जो भूपेंद्र हुड्डा चाहते थे। काम नहीं आए कुमारी सैलजा व रणदीप सुरजेवाला के हुड्डा के खिलाफ की गई घेरेबंदी। चौ विरेंद्र सिंह के तीरे भी निकले थोथे। धरे रह गए भाजपा छोड़कर कांग्रेस आए बृजेंद्र सिंह के प्रदेश कांग्रेस में अहम भूमिका पाने के सपने। करीब एक साल बाद कांग्रेस आलाकमान विशेषकर गांधी परिवार ने हुड्डा की पसंद के चेहरे राव नरेंद्र सिंह को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का ताज सौंप दिया। अब जल्द ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा या उनके किसी नजदीकी विधायक के नाम नेता प्रतिपक्ष के लिए घोषित हो सकता है। यह वहीं दो पद है, जिन पर अपनी पंसद के चेहरों की ताजपोशी के लिए कुमारी सैलजा रणदीप सुरजेवाला के साथ मिलकर कब्जाने के प्रयासों में लगी हुई थी। किरण चौधरी के भाजपा में जाने के बाद सैलजा ने इसके लिए ही विरेंद्र सिंह जैसे बड़े जाट चेहरे को अपने पाले में लिया था। ताकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खुड्डे लाइन लगाने से जाट वोट बैंक के खिसकने के डर की धार को कमजोर किया जा सके। भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश में न केवल कांग्रेस, बल्कि सबसे बड़े जाट नेता भी हैं। जिस विरेंद्र सिंह का चेहरा आगे कर कुमारी सैलजा जाटों को अपने साथ दिखाने का दम भर रही थी, वह भाजपा में रहते हुए 2019 व कांग्रेस में आने के बाद 2024 में अपनी परंपरागत उचाना सीट भी नहीं बचा पाए थे।
आलाकमान ने माना हरियाणा में हुड्डा कांग्रेस के बॉस
कांग्रेस आलाकमान भी यह जानते हैं कि हरियाणा में उनके पास भूपेंद्र सिंह हुड्डा का फिलहाल कोई विकल्प नहीं है और यदि हुड्डा को नाराज किया तो हरियाणा में पंजाब की तरह कांग्रेस होशिए पर चली जाएगी और चुनाव में जाने के लिए भी उत्तर प्रदेश व बिहार जैसे राज्यों बैशाखियों का सहारा लेना पड़ेगा। वाड्रा लैंड डील मामले में भी गांधी परिवार की गर्दन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ही हाथ में है। जैसे ही हुड्डा गर्दन को मरोड़ते हैं तो गांधी परिवार उफ तक नहीं करता और नतमस्तक हो जाता है। पिछले दिनों गुरुग्राम पहुंचे राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं से प्रदेश का युवा कांग्रेस अध्यक्ष देने का भरोसा दिया था। जिससे पीछे हटते हुए राहुल गांधी को हुड्डा की पसंद के चेहरे राव नरेंद्र के नाम पर अपनी सहमति देनी पड़ी। सदस्य न होते हुए भूपेंद्र हुड्डा व राव नरेंद्र सिंह को बिहार में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी में बुलाए जाने पर ही इसके संकेत मिल गए थे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राव नरेंद्र के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने के लिए घोषणा से एक दिन पहले पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव व उनके बेटे पूर्व विधायक चिरनजीराव से उनके आवास पर मुलाकात की थी। कैप्टन अजय यादव न केवल अहीरवाल में कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं, बल्कि लालू यादव के रिश्तेदार भी हैं। राव नरेंद्र का चेहरा आगे कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कुमारी सैलजा व रणदीप को पहली लड़ाई में तो पछाड़ दिया है। अब नेता प्रतिपक्ष पद को किसी प्रकार से अपने पाले में लाना बाकी है। प्रदेश अध्यक्ष का पद हाथ से निकलने के बाद अब सैलजा रणदीप का अगला कदम क्या होगा। इस पर सभी की निगाह लगी रहेंगी