• Sun. Oct 12th, 2025

Education : अब परीक्षा में बैठने के लिए 75 प्रतिशत हाजिरी जरूरी

Education

  • -सीबीएसई ने बोर्ड परिक्षाओं में किया बड़ा बदलाव
  • दो वर्षीय अध्ययन कार्यक्रम लागू किया जाएगा
  • नौवीं व 10वीं को दो साल के शैक्षणिक कार्यक्रम के रूप में माना जाएगा
  • अब 11वीं और 12वीं कक्षा भी दो साल का कार्यक्रम होगी

हरिभूमि न्यूज . नारनौल। सीबीएसई ने 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए छात्रों को न केवल 75 प्रतिशत हाजिरी पूरी करनी होगी, बल्कि चुने गए विषयों की पढ़ाई लगातार दो वर्षों तक अनिवार्य रूप से करनी होगी। आंतरिक मूल्यांकन में हिस्सा लेना भी जरूरी होगा। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों की गंभीरता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है। बता दें कि सीबीएसई पिछले दिनों अधिसूचना जारी थी। जिसके अनुसार नौवीं व 10वीं कक्षा को दो साल के शैक्षणिक कार्यक्रम के रूप में माना जाएगा। इसी तरह 11वीं और 12वीं कक्षा भी दो साल का कार्यक्रम होगी।

इसे ऐसे समझें

अगर किसी छात्र ने नौवीं कक्षा में कोई विषय चुना है, तो उसे 10वीं में भी उसी विषय को पढ़ना होगा। उदाहरण के लिए यदि किसी छात्र ने नौवीं में कंप्यूटर और संगीत को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना है, तो उसे 10वीं बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए इन विषयों को 10वीं तक पढ़ना अनिवार्य होगा। यही नियम 11वीं व 12वीं कक्षा के लिए भी लागू होगा। बोर्ड ने इन नियमों को इसलिए लागू किया है ताकि छात्र अपनी पढ़ाई के प्रति अधिक गंभीर हों और किसी भी विषय को बीच में न छोड़ें।

छात्र दो अतिरिक्त विषय चुन सकेंगे

​नए नियमों के अनुसार 10वीं कक्षा के छात्र 5 मुख्य विषयों के साथ दो अतिरिक्त विषय भी चुन सकेंगे। इसी तरह 11वीं और 12वीं के छात्र 5 मुख्य विषयों के साथ एक अतिरिक्त विषय ले सकते हैं। यह बदलाव छात्रों को विषयों का व्यापक चयन करने का मौका देंगे। ​सीबीएसई का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अब छात्रों के लिए न सिर्फ बोर्ड परीक्षा की तैयारी करना, बल्कि पूरे शैक्षणिक सत्र में अपनी उपस्थिति और प्रदर्शन पर भी ध्यान देना जरूरी होगा।

सीबीएसई ने ये प्वाइंट बनाए

-10वीं व 12वीं दो वर्षीय पाठ्यक्रम हैं, जिनमें नौवीं और 10वीं तथा 11वीं और 12वीं शामिल हैं। परीक्षाओं में बैठने के पात्र होने के लिए छात्र द्वारा सभी विषयों का दो वर्षों तक अध्ययन किया जाना आवश्यक है।
-छात्रों की न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य हो।
-सीबीएसई द्वारा प्रस्तावित सभी विषयों में एनईपी-2020 के अनुसार आंतरिक मूल्यांकन का एक अनिवार्य अभिन्न अंग है। यह दो वर्ष लंबी प्रक्रिया है। यदि कोई छात्र स्कूल नहीं जाता है, तो उसका आंतरिक मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है।
-सीबीएसई 10वीं व 12वीं में अतिरिक्त विषय प्रदान करता है। 10वीं में छात्र अनिवार्य 5 विषयों के अतिरिक्त दो विषय और कक्षा 12वीं में केवल एक अतिरिक्त विषय प्रदान कर सकते हैं। अतिरिक्त विषय प्रदान करने वाले छात्र दो वर्षों तक अतिरिक्त विषय का अध्ययन करेंगे।
-संबद्ध विद्यालयों में भी यदि किसी विद्यालय ने सीबीएसई से कोई विषय प्रदान करने की अनुमति नहीं ली है तथा उनके पास शिक्षक, प्रयोगशालाएं आदि नहीं हैं, तो उनके छात्रों को ऐसे विषयों को मुख्य या अतिरिक्त विषय के रूप में प्रदान करने की अनुमति नहीं है।

छात्रों का समग्र विकास होगा
सीबीएसई के इस कदम से विद्यार्थी पढ़ाई के प्रति अधिक गंभीर होंगे और स्कूलों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाएंगी। इससे छात्रों को उनकी रुचि के अनुसार पढ़ाई करने की स्वतंत्रता मिलेगी। इन नियमों से शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा मिलेगा, जो एनईपी 2020 का मुख्य लक्ष्य है। -डॉ. किशोर तिवारी, सीबीएसई, सिटी कॉ-आर्डिनेटर।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *