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Economic Survey : कंपनियों के लाभ के मुकाबले कर्मियों के वेतन में कम वृद्धि, यह अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा जोखिम

 

Economic Survey

  • निर्मला सीतारमण ने आज इकनॉमिक सर्वे पेश किया
  • इसे चीफ इकनॉमिक एडवाइजर ने तैयार किया
  • इसके मुताबिक बड़ी कंपनियों का मुनाफा काफी बढ़ा
  • लेकिन वे कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के लिए तैयार नहीं
  • जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) में श्रम की हिस्सेदारी मामूली बढ़ी

Economic Survey : नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों के लाभ में वृद्धि, वेतन के अनुरूप होनी चाहिए। दोनों के बीच अधिक अंतर मांग को प्रभावित कर अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम पैदा करता है। संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है। समीक्षा में कहा गया है कि जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) में श्रम की हिस्सेदारी मामूली बढ़ी है, लेकिन कॉरपोरेट मुनाफे में असमान वृद्धि हुई है। मुख्य रूप से बड़ी कंपनियों में ऐसा देखा गया और इस आय असमानता को लेकर चिंता है। इसमें बताया गया कि अधिक लाभ हिस्सेदारी और स्थिर वेतन वृद्धि के चलते मांग थम रही है, जिससे अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है।

आर्थिक वृद्धि रोजगार आय को बढ़ावा देने पर निर्भर

समीक्षा में कहा गया कि लगातार आर्थिक वृद्धि रोजगार आय को बढ़ावा देने पर निर्भर करती है, क्योंकि इससे उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा मिलता है। मांग को बनाए रखने और मध्यम से लंबी अवधि में कॉरपोरेट आय तथा मुनाफे में बढ़ोतरी के लिए ऐसा करना जरूरी है। समीक्षा के मुताबिक वित्तीय, ऊर्जा और वाहन उद्योग में मजबूत वृद्धि से वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनियों का लाभ 15 साल के शिखर पर पहुंच गई। इसमें कहा गया कि मुनाफे में वृद्धि हुई, लेकिन वेतन में कमी आई।

रोजगार में मात्र 1.5 प्रतिशत की वृद्धि

भारतीय कंपनियों में एक उल्लेखनीय असमानता सामने आई। वित्त वर्ष 2023-24 में मुनाफा 22.3 प्रतिशत बढ़ा, लेकिन रोजगार में मात्र 1.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछले चार वर्षों में भारतीय कंपनियों ने 22 प्रतिशत का स्थिर ईबीआईटीडीए (ब्याज, कर, मूल्यह्रास और ऋण अदायगी से पहले की आय) मार्जिन हासिल किया, इसके बावजूद वेतन वृद्धि में कमी आई है। यह असमान वृद्धि को लेकर चिंता पैदा करती है। समीक्षा में हालांकि यह भी कहा गया कि महामारी के बाद मजबूत सुधार से भारत में श्रम बाजार संकेतक पिछले कुछ वर्षों में काफी हद तक सुधरे हैं। निश्चित अवधि पर होने वाले श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार भारत में बेरोजगारी दर में काफी गिरावट आई है और श्रम बल भागीदारी और श्रमिक जनसंख्या अनुपात में काफी सुधार हुआ है।

 

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