Delhi
- -100 फीसदी एफडीआई वाली स्वीडन की कंपनी है साब (इंडिया)
- -यह एक सैन्य विनिर्माण संयंत्र होगा।
- -इसका स्वामित्व भारत के पास रहेगा
Delhi : नई दिल्ली। तेजी से बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य और सुरक्षा चुनौतियों के बीच स्वीडन की रक्षा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी ‘साब (इंडिया)’ का पहला विनिर्माण संयंत्र अगले वर्ष 2025 में हरियाणा में बनकर तैयार हो जाएगा। यह एक सैन्य विनिर्माण संयंत्र होगा। लेकिन इसका स्वामित्व भारत के पास है। देश के प्रमुख विचार समूह ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) में सोमवार को आयोजित ‘डिप्लोमेट डायरीज’ नामक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वीडन के राजदूत जॉन थेस्लेफ ने दी। उन्होंने कहा कि साब का पहला विनिर्माण संयंत्र अगले साल शरद ऋतु में पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा। कार्यक्रम में उनके साथ लिथुआनिया के राजदूत डायना मिकेविसीन भी मौजूद थीं। स्वीडन के राजदूत ने भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर द्वारा नॉर्डिक-बाल्टिक वर्टिकल तैयार किए जाने को लेकर प्रसन्नता जाहिर की है। साथ ही यूरोप में जारी युद्ध को लेकर उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘यह युग युद्ध का नहीं है’ वाले विश्व प्रसिद्ध बयान का समर्थन किया है।
रक्षा सचिव से हो चुकी चर्चा
ज्ञात हो कि ‘साब’ स्वीडन की रक्षा उत्पादों का उत्पादन करने वाली एक प्रमुख कंपनी है। यह रक्षा परियोजनाओं के मामले में भारत में पहली बार शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त करने वाली कंपनी भी बन गई है। हरियाणा के झज्जर में साब इंडिया का कार्ल-गुस्ताफ एम-4 रॉकेट लांचर के उत्पादन से जुड़ी विनिर्माण सुविधा का पहले ही उद्घाटन किया जा चुका है। मौजूदा वर्ष के मध्य में स्वीडन अंतरराष्ट्रीय विकास सहयोग और विदेश व्यापार मंत्री के राज्य सचिव हाकन जेवरेल ने नई दिल्ली में रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने से मुलाकात की थी।
दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा साझेदारी
उन्होंने भारत और स्वीडन के बीच बनी हुई रक्षा साझेदारी का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने करीब चार दशक पूर्व भारत के साथ वर्ष 1986 में अंतरिक्ष सहयोग पर हस्ताक्षर किए थे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ हमने संपर्क बढ़ा दिया है। स्वीडन के पास उपग्रह प्रक्षेपण स्थल है। उन्होंने कहा कि मैं, अगले सप्ताह इसरो की यात्रा करूंगा। जान थेस्लेफ ने कहा कि भारत के साथ हमारे संबंध अद्वितीय और व्यापक हैं। हम भारत को वह दे सकते हैं। जिसकी वह हमसे अपेक्षा कर रहा है। स्वीडन की नवोन्मेषी शक्ति शीर्ष स्तर पर है। राजदूत ने बताया कि हम सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 फीसदी अनुसंधान पर खर्च करते हैं।
हाईटेक होंगे भारत-लिथुआनिया संबंध
कार्यक्रम में लिथुआनिया की राजदूत डायना मिकेविसीन ने कहा कि भारत और लिथुआनिया के संबंध हाईटेक होंगे। हमारी सरकार ने हिंद-प्रशांत को लेकर रणनीति बनाई है। क्षेत्र के देशों के साथ हमारा व्यापार बढ़ा है। लिथुआनिया के मूल्य विदेश नीति पर आधारित हैं। उन्होंने चीन के साथ अपने संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि चीन के साथ हमारे संबंध कठिन रहे हैं। हमने लिथुआनिया में ताइवान के गैर राजनयिक कार्यालयों को अनुमति दे दी है। यूक्रेन युद्ध पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि यूक्रेन के लोग रूस पर कभी विश्वास नहीं करेंगे।
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