Highcourt
- -हाईकोर्ट का कड़ा रुख, प्रदेश सरकार से जवाब तलब
- -अदालत ने ही दिए थे वेतन वृद्धि के आदेश
- -एकल बेंच के आदेश के खिलाफ अपील खारिज
- -दोषी अधिकारी पर कार्रवाई के आदेश
Highcourt : चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की कार्यवाही पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट कहा कि कार्यकारी अभियंता के वेतनमान में सिर्फ एक रुपये की बढ़ोतरी गैर-कार्यात्मक और स्पष्ट रूप से अवैध है। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता की पीठ ने कहा, हम पाते हैं कि राज्य अधिकारियों की यह कार्रवाई अदालत के आदेशों का मजाक है। ऐसे आदेश पारित करने वाले अधिकारियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। हम इस प्रकार की प्रथा की कड़ी निंदा करते हैं। यह टिप्पणी सरकार द्वारा एकल जज के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें कार्यकारी अभियंता के पद के लिए वेतनमान को संशोधित करने का निर्देश दिया था। 2012 में हरियाणा फेडरेशन आफ इंजीनियर्स, हिसार ने याचिका दायर की थी। इसमें मांग की गई थी कि लोक निर्माण व जन स्वास्थ्य विभाग के सहायक अभियंता के वेतनमान की तुलना में कार्यकारी अभियंता का वेतनमान एक स्तर ऊपर और अधीक्षण अभियंता का वेतनमान कार्यकारी अभियंता से एक स्तर ऊपर किया जाए, और यह संशोधन 1989 से प्रभावी हो।
यह कहा था कोर्ट ने
एकल न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा था कि कार्यकारी अभियंता और अधीक्षण अभियंता को क्रमश सहायक अभियंता के बाद और कार्यकारी अभियंता के बाद अगला उच्चतर वेतनमान मिलना चाहिए। यह आदेश एक मई 1989 से 31 दिसम्बर 1995 तक के लिए लागू था। इसके अलावा, अदालत ने सभी संबद्ध लाभों, जिसमें बकाया वेतन/संशोधित वेतनमान शामिल है, को संबंधित अधिकारियों को छह सप्ताह के भीतर जारी करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट ने पाया कि एकल जज के आदेश का सही तरीके से पालन नहीं किया गया और कार्यकारी अभियंता के संशोधित वेतनमान में सिर्फ एक रुपये की वृद्धि की गई, जो कि गैर-कार्यात्मक थी। इसके अलावा सरकार ने एकल बेंच के आदेश के खिलाफ अपील दायर की वो भी 229 दिनों की देरी के बाद। इसी के साथ कोर्ट ने सरकार की अपील खारिज करते हुए दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया।
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