Highcourt
- अदालत ने कहा, धन शोधन का मामला बनता है
- गिरफ्तारी और आपराधिक कार्यवाही रद नहीं कर सकते
Highcourt : चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कांग्रेस विधायक धर्मसिंह छौक्कर के बेटे के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही और गिरफ्तारी को रद करने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने इन मुद्दों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए 10 न्यायिक निर्णयों का उल्लेख किया। चंडीगढ़ में न्यायाधीश महावीर सिंह सिंधु की अदालत ने 27 अगस्त को कहा कि प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता सिकंदर सिंह छौक्कर के खिलाफ धन शोधन का अपराध स्पष्ट रूप से बनता है और उनकी याचिका न्यायालय और कानून की प्रक्रिया का पूर्ण दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं है। इसलिए उनकी याचिका खारिज की जाती है।
30 अप्रैल को गिरफ्तार हुआ सिकंदर
सिकंदर, धर्मसिंह छौक्कर के बेटे हैं जो हरियाणा में पानीपत जिले के समालखा से कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं। धर्मसिंह छौक्कर को हाल में उनकी पार्टी ने इसी सीट से विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया है। सिकंदर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 30 अप्रैल को उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित एक होटल से गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी एक विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत द्वारा उनके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट के आधार पर की गई थी। यह मामला उनके स्वामित्व वाली एक कंपनी (माहिरा समूह) द्वारा घर खरीदारों के धन की कथित धोखाधड़ी से संबद्ध है।
धर्मसिंह भी आरोपित
इसी तरह के वारंट धर्मसिंह छौक्कर और उनके दूसरे बेटे विकास छौक्कर के खिलाफ भी जारी किए गए थे, जो इस मामले में सह-आरोपी हैं। धर्मसिंह छौक्कर ने भी एक बार ईडी के समक्ष गवाही दी थी, लेकिन इस मामले में उनके द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद, वह ‘‘फरार” हैं। सिकंदर छोकर ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर अपने खिलाफ अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट, अपनी गिरफ्तारी और अदालत द्वारा ईडी को दी गई रिमांड को रद्द करने का अनुरोध किया था। याचिका में, मुख्य रूप से यह दलील दी गई थी कि ‘‘गिरफ्तारी के आधार” उन्हें सही समय पर नहीं बताए गए, जो पीएमएलए की धारा 19 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है।
यह कहा अदालत ने
अदालत ने कहा, ‘‘इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि सीआरपीसी की धारा 482 का उद्देश्य और प्रयोजन न्याय के लक्ष्यों को सुरक्षित करना है, न कि उसे विफल करना….वर्तमान मामले में, अपराध से आय हासिल होने का पता लगाया गया है और प्रथम दृष्टया, याचिकाकर्ता के खिलाफ धन शोधन का मामला स्पष्ट रूप से बनता है।’ उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता माहिरा समूह की कंपनियों के साथ-साथ अन्य फर्जी कंपनियों का लाभकारी मालिक है और उसे धन शोधन में संलिप्त पाया गया है, इस तरह वर्तमान याचिका न्यायालय और कानून की प्रक्रिया का पूर्ण दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है।’
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