Defence
- रक्षा मंत्री बोले, विश्व के रक्षा औद्योगिक परिदृश्य में आगे बढ़ रहा भारत
- ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की 10वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रम को किया संबोधित
Defence : नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ बीते करीब साढ़े चार साल से अधिक समय से जारी एलएसी विवाद के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को भारत की तेजी से बढ़ती रक्षा ताकत के बारे में आंकड़ों के साथ विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के रक्षा औद्योगिक परिदृश्य में आगे बढ़ रहा है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा। वर्तमान में हम दुनिया के 90 से अधिक मित्र देशों को हथियार और सैन्य सामग्री का निर्यात कर रहे हैं। घरेलू रक्षा मैन्युफैक्चरिंग और सैन्य तैयारी को खासतौर पर चीन सीमा से लगे इलाकों में मजबूत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। यह जानकारी रक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में मेक इन इंडिया अभियान की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘एक्स’ पर पोस्ट में दी।
स्वदेशी हथियारों से लैस सशस्त्र सेनाएं
उन्होंने कहा, हमारी सशस्त्र सेनाएं (सेना, वायुसेना और नौसेना) देश में बने हुए हथियारों और सैन्य सामग्री का प्रयोग कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में सरकार ने मेक इन इंडिया अभियान को देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के विजन के साथ शुरुआत की थी। तब से लेकर अब तक दस वर्षों में रक्षा को मिलाकर प्रत्येक क्षेत्र में कई सुधार हुए हैं। साथ ही केंद्र ने बीते कुछ वर्षों में घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मई 2020 में सरकार ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा ऑटोमेटिक रूट के तहत 49 से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दी थी। लेकिन कुछ चुनिंदा मामलों में केंद्र शत-प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी भी प्रदान कर रही है।
50 हजार करोड़ पर पहुंचेगा रक्षा उत्पादन
राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में रक्षा उत्पादन को 50 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इन तमाम तथ्यों के बावजूद भारत, दुनिया का एक बड़ा हथियार आयातक देश है। अगले पांच साल में भारत की सशस्त्र सेनाएं हथियारों की खरीद पर 130 बिलियन डॉलर की अनुमानित धनराशि खर्च करेगा। साथ ही इस दौरान रक्षा मैन्युफैक्चरिंग को 25 बिलियन (1.75 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। फिलहाल सरकार की कोशिश हथियार आयात पर निर्भरता को कम करना है। इसलिए घरेलू रक्षा मैन्युफैक्चरिंग को सहयोग करने का निर्णय लिया गया है।
https://vartahr.com/defence-india-no…-to-90-countries/