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Career : जन सेवा के साथ करियर का बेहतरीन विकल्प ‘रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजिस्ट’

Career

  • कैंसर के उपचार की रीढ़ है रेडियोथेरेपी, यह मरीजों की आशा की किरण
  • दुनियाभर में बढ़ते कैंसर मरीजों ने रेडिएशन थेरेपी की मांग तेजी से बढ़ी
  • कैंसर के उपचार में रेडियोथेरेपी की भूमिका सबसे अधिक कारगर
  • B.Sc in Radiotherapy Technology कोर्स युवाओं को दे रहा मौका

 


डॉ. विपुल शर्मा
मोटिवेशनल स्पीकर

बीएससी इन रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजी(B.Sc in Radiotherapy Technology) जन सेवा के साथ युवाओं को करियर का बेहतरीन विकल्प उपलब्ध करवा रही है। यह तकनीक जहां कैंसर के मरीजों में आशा की किरण है, वहीं मेडिकल क्षेत्र में आगे बढ़ने वाले युवाओं को कामयाब होने के रास्ते दिखा रही है। इस क्षेत्र में करियर बनाने वाले युवाओं के लिए यह एक बेहतरीन कोर्स हो सकता है जो उनकी नौकरी की उम्मीदों को पंख दे सकता है। इसलिए युवा यह कोर्स कर अपने करियर को आसमान की बुलंदियों पर ले जा सकते हैं। आज के समय में दुनियाभर में बढ़ते कैंसर मामलों ने रेडिएशन थेरेपी की मांग को तेजी से बढ़ाया है। कैंसर के उपचार में रेडियोथेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और इसे सफलतापूर्वक देने वाले एक्सपर्ट रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजिस्ट की आवश्यकता लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में बीएससी इन रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजी कोर्स युवाओं के लिए मेडिकल क्षेत्र में एक उत्कृष्ट करियर विकल्प बन चुका है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में जहां एक ओर डॉक्टर और ऑन्कोलॉजिस्ट का योगदान अहम होता है। वहीं, रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजिस्ट पर्दे के पीछे से तकनीकी रूप से उपचार को सटीक और प्रभावी बनाते हैं। इनका कार्य रोगी के जीवन से सीधा जुड़ा होता है, इसलिए यह क्षेत्र न केवल वैज्ञानिक ज्ञान बल्कि मानवीय संवेदनाओं से भी परिपूर्ण है।

क्या है रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजी

रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजिस्ट, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में उपयोग की जाने वाली रेडिएशन मशीनों को ऑपरेट करते हैं। ये प्रोफेशनल्स डॉक्टरों के निर्देश पर रोगी को सटीक मात्रा में विकिरण देते हैं, जिससे ट्यूमर को नष्ट किया जा सके और स्वस्थ ऊतकों को नुकसान न पहुंचे। आज के समय में रेडिएशन तकनीक अत्याधुनिक हो चुकी है—जैसे रैखिक त्वरक (एलआईएनएसी), ब्रैकीथेरेपी, साइबरनाइफ और गामा नाइफ जैसी मशीनें, जिनके संचालन के लिए विशेष प्रशिक्षण आवश्यक होता है। रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजिस्ट की भूमिका केवल मशीन चलाने तक सीमित नहीं होती, बल्कि वे रोगी की सुरक्षा, मशीन की मेंटेनेंस और रेडिएशन डोज की सटीक गणना जैसे अत्यंत संवेदनशील कार्यों में भी शामिल होते हैं।

कोर्स की योग्यता

इस कोर्स में प्रवेश के लिए छात्र को 12वीं (फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी/मैथ्स) न्यूनतम 50/55% अंकों के साथ पास होना चाहिए। सरकारी संस्थानों में केवल प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही दाख़िला होता है। इसके लिए आप पहले कोचिंग भी ले सकते हैं। कई निजी संस्थान भी यह कोर्स संचालित कर रहे हैं, लेकिन छात्रों को संस्थान चुनते समय उसकी मान्यता और क्लिनिकल ट्रेनिंग सुविधा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसके बाद ही संस्थान का चुनाव करें। चूंकि यह कोर्स तकनीकी और मरीजों के सीधे संपर्क से जुड़ा है, इसलिए व्यवहारिक ज्ञान इसकी सबसे बड़ी आवश्यकता है। इस पर ध्यान रखना जरूरी है।

साढ़े 4 वर्ष का डिग्री कोर्स

बीएससी इन रेडियोथेरेपी एक साढ़े 4 वर्ष का डिग्री कोर्स है, जिसमें क्लासरूम टीचिंग, लैब ट्रेनिंग और हॉस्पिटल इंटर्नशिप शामिल होती है। अंतिम वर्ष में विद्यार्थियों को रेडिएशन विभाग में हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वे वास्तविक मरीजों के साथ काम करने का अनुभव प्राप्त कर सकें। कुछ संस्थानों में छात्रों को प्रोजेक्ट कार्य, केस स्टडीज़ और वर्कशॉप्स के माध्यम से रिसर्च का भी अवसर मिलता है। इस दौरान उन्हें न केवल तकनीकी स्किल, बल्कि रोगियों के प्रति सहानुभूति और मानसिक मजबूती जैसे गुण भी विकसित करने पर बल दिया जाता है।

कोर्स करने के लिए प्रमुख संस्थान

1. पी.जी.आई.एम.एस. रोहतक (पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, रोहतक)
2. पी.जी.आई. चंडीगढ़ (पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़)
3. एस.एम.एस. जयपुर (सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज, जयपुर)
4. बी.एच.यू. वाराणसी (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी)
5. जिपमर पुडुचेरी (जवाहरलाल इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पुडुचेरी)
6. एम्स दिल्ली (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली)
7. सी.एम.सी. वेल्लोर (क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर)
(नोट : इन संस्थानों से डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र देश-विदेश में उच्च पदों पर कार्यरत हैं और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में भारत की पहचान बना रहे हैं।)

यह मिल सकता है वेतन

शुरुआत में रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजिस्ट का वेतन 30,000 रुपये से 45,000 रुपये प्रतिमाह तक हो सकता है। अनुभव के साथ और सरकारी अस्पतालों या प्रतिष्ठित संस्थानों में यह वेतन 60,000 रुपये से 80,000 रुपये प्रति माह तक भी पहुंच सकता है। विदेशों में यह प्रोफेशन और भी अधिक सम्मानजनक और उच्च वेतन वाला माना जाता है।

साथ ही, जैसे-जैसे नई तकनीकें आ रही हैं जैसे आईएमआरटी-तीव्रता मॉड्युलेटेड रेडिएशन थेरेपी, आईजीआरटी-इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी, एसआरएस/एसआरटी-स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी/स्टीरियोटैक्टिक रेडियोथेरेपी, एसबीआरटी-स्टीरियोटैक्टिक बॉडी रेडिएशन थेरेपी आदि इस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वालों की मांग और बढ़ रही है। निजी स्वास्थ्य संस्थान अब योग्य रेडिएशन टेक्नोलॉजिस्ट को आकर्षक वेतन पैकेज दे रहे हैं।

यहां मिल सकते हैं नौकरी के अवसर

रेडियोथेरेपी कोर्स के बाद छात्र निम्न संस्थानों में नौकरी कर सकते हैं
-कैंसर स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स
-मेडिकल कॉलेज व रिसर्च सेंटर
-प्राइवेट डायग्नोस्टिक और रेडिएशन यूनिट्स
-सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रमों के तहत
-अंतरराष्ट्रीय हेल्थकेयर संगठनों में
-इसके अतिरिक्त, अनुभवी टेक्नोलॉजिस्ट रिसर्च, हेल्थ एजुकेशन, मेडिकल इक्विपमेंट कंपनियों या हेल्थ मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में भी अपना करियर बना सकते हैं।

काम करके मिलता है सुकून

रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजी एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें न केवल करियर की स्थिरता और उन्नति है, बल्कि कैंसर पीड़ितों की ज़िंदगी को बचाने का सुकून भी शामिल है। यह विज्ञान और मानवीय सेवा का सुंदर संगम है। यदि आप मेडिकल क्षेत्र में टेक्निकल एक्सपर्ट बनने के साथ समाज सेवा का जज़्बा भी रखते हैं, तो यह कोर्स आपके लिए उपयुक्त विकल्प हो सकता है। आने वाले वर्षों में जैसे-जैसे भारत में कैंसर उपचार सुविधाएँ बढ़ेंगी, वैसे-वैसे रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजिस्ट की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होती जाएगी।

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