Bengaluru Stampede
- इन सभी आपराधिक लापरवाही का आरोप
- हाईकोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी, सुनवाई 10 को
- याचिकाकर्ता ने कहा, राज्य सरकार बताए खिलाड़ियों को सम्मानित करने की क्या था मजबूरी
- भगदड़ में 11 की मौत हुई थी और 33 हुए थे घायल
Bengaluru Stampede : बेंगलुरु। बेंगलुरु पुलिस ने आरसीबी की जीत के जश्न के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ के मामले में रॉयल चैंलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी), डीएनए इवेंट मैनेजमेंट फर्म, कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इन पर विजयर परेड के दौरान आपराधिक लापरवाही का आरोप लगाया गया है। एफआईआर में कहा गया है कि भगदड़ की घटना अव्यवस्था और जिम्मेदार एजेंसियों की लापरवाही की वजह से हुई। उधर, इस मामले में हाईकोर्ट में भी सुनवाई हुई। एक्टिंग चीफ जस्टिस वी कामेश्वर राव और जस्टिस सी एम जोशी बेंच ने राज्य सरकार को हादसे पर स्टेट्स रिपोर्ट पेश करने को कहा है। अब अगली सुनवाई 10 जून को होगी। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा, ‘राज्य सरकार को यह बताना चाहिए कि आरसीबी के खिलाड़ियों को सम्मानित करने का फैसला किसने लिया है। जो खिलाड़ी देश के लिए नहीं खेलते, उन्हें सम्मानित करने की क्या मजबूरी थी।’ दरअसल, 4 मई को आरसीबी ने पहली बार आईपीएल खिताब जीतने पर बेंगलुरु में विक्ट्री परेड का आयोजन किया था। पहले राज्य सरकार ने विधानसभा परिसर में सभी खिलाड़ियों का सम्मान किया। इसके बाद चिन्नास्वामी स्टेडियम में कार्यक्रम में हुआ। इससे पहले ही स्टेडियम के बाहर जुटी भीड़ में भगदड़ मचने से 11 लोगों की मौत हो गई। 50 घायल हैं। सभी मरने वाले 35 साल से कम उम्र के थे, इनमें 3 टीनएजर भी शामिल हैं।
अदालत ने स्वत: संज्ञान लिया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने यहां क्रिकेट स्टेडियम के बाहर भगदड़ मचने से 11 लोगों की मौत और 50 से अधिक लोगों के घायल होने के मामले में बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले का स्वत: संज्ञान लेने के बाद राज्य को नोटिस जारी करके 10 जून तक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी. कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति सी.एम. जोशी की पीठ ने अदालत की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस मामले को स्वत: संज्ञान जनहित याचिका के रूप में देखे। जब मामला खंडपीठ के समक्ष आया, तो महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने कहा कि स्टेडियम में मुफ्त प्रवेश की घोषणा के कारण गेट पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे भगदड़ मच गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इस मामले को नकारात्मक रवैये से नहीं देखना चाहती। शेट्टी ने कहा, दोषारोपण सही नहीं है। हमारा उद्देश्य यह समझना है कि क्या गलत हुआ और यह सुनिश्चित करना है कि ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों।
याचिकाकर्ता के सवाल
जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता लोहित ने अदालत को बताया कि लोग चार खास बिंदुओं पर जवाब चाहते हैं। उन्होंने सवाल किया कि सम्मान समारोह की मंजूरी किसने दी? क्या कर्नाटक सरकार या राज्य क्रिकेट संघ ने ऐसा किया? राज्य या देश का प्रतिनिधित्व न करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित करने में सरकार की क्या जिम्मेदारी है? साथ ही विधान सौध और चिन्नास्वामी स्टेडियम में अलग-अलग समारोह क्यों आयोजित किए गए? और भीड़ नियंत्रण व सुरक्षा के क्या इंतजाम किए गए थे?
अगर भीड़ कंट्रोल नहीं कर सकते तो ऐसे जश्न की जरूरत नहीं : गंभीर
बेंगलुरु हादसे पर टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर ने कहा कि जब मैं खिलाड़ी था तब भी मैं ऐसे रोड शो पर भरोसा नहीं करता था। कोच के रूप में भी मैं इसके पक्ष में नहीं हूं। लोगों की जिंदगी सबसे जरूरी है। अगर आप भीड़ को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं तो फिर ऐसे रोड शो की कोई जरूरत नहीं है। मैं हमेशा से मानता रहा हूं कि रोड शो नहीं होने चाहिए। मेरा दिल उन परिवारों के लिए दु:खी है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया। जब 2007 में हम जीते थे, तब भी मैंने यही माना था। ऐसे आयोजनों को बंद दरवाजों के अंदर या स्टेडियम में होना चाहिए। वहां जो कुछ हुआ वह बेहद दुखद है। हमें एक खिलाड़ी, फ्रेंचाइजी और फैन के तौर पर और जिम्मेदार होना चाहिए।