Army
- -गांव गुर्जर माजरी में लाया जाएगा सिपाही मुन्शीराम का पार्थिव शरीर
- साल 1968 में रोहतांग दर्रे के पास हुआ था विमान हादसा
- -अब सामाजिक रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार कर सकेंगे
- -सेना के जवानों ने एक दिन पहले खोजे थे चार शव
Army : रेवाड़ी। 56 साल पहले देश की सेवा में प्राणों को न्योछावार करने वाले जवान के पार्थिव शरीर को देखने के लिए गांव गुर्जर माजरी के ग्रामीण बेसब्री से इंतजार कर रहे है!भाई के अंतिम संस्कार नहीं करने की टीस को सीने में छिपाए उनके भाई कैलाश चंद ने बताया कि अब वह भाई का सामाजिक रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार कर सकेंगे! बता दे कि साल 1968 में रोहतांग दर्रे के पास हुए एक विमान हादसे में भारतीय सेना को चार और शव मिले हैं। यह हादसा 56 साल पहले हुआ था। जिला रेवाडी की बावल तहसील के गांव गुर्जर माजरी के सिपाही स्वर्गीय मुन्शीराम भी इसी विमान में सवार थे। उपायुक्त अभिशेक मीणा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सैन्य अभियान दल ने बर्फ से ढके पहाड़ों से जो चार शव बरामद किए हैं, उनमें स्वर्गीय मुन्शीराम के अवशेश भी हैं। उनके पार्थिव शरीर को जल्द ही गांव में लाया जाएगा। स्वर्गीय मुन्शीराम के पिता का नाम श्री भज्जूराम, माता का नाम रामप्यारी तथा पत्नी का नाम पार्वती देवी है। स्वर्गीय मुन्शीराम के भाई कैलाशचन्द को इस सम्बन्ध में सेना की और से सूचना मिल गई हैं।
7 फरवरी, 1968 को हुआ हादसा
यह विमान हादसा 7 फरवरी, 1968 को हुआ था। चंडीगढ़ से 102 यात्रियों को ले जा रहा भारतीय वायु सेना का एएन-12 विमान खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। कई दशकों तक विमान का मलबा और विमान सवारों के अवशेष बर्फीले इलाके में खोए रहे।
-2003 में अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के पर्वतारोहियों ने विमान के मलबे को खोज निकाला। इसके बाद सेना, खासकर डोगरा स्काउट्स ने कई अभियान चलाए।
-2005, 2006, 2013 और 2019 में चलाए गए सर्च ऑपरेशन में डोगरा स्काउट्स सबसे आगे रहे। 2019 तक केवल पांच शव ही बरामद हो पाए थे। चंद्र भागा ऑपरेशन ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सेना अपने जवानों के परिवारों को सांत्वना देने के लिए कितनी दृढ़ है। ऊंचाई वाले अभियानों में विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध डोगरा स्काउट्स ने इस अभियान का नेतृत्व किया है।
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