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Army : लंबी दूरी की तोपों पर ध्यान केंद्रित कर रही सेना

हाइपरसोनिक मिसाइल।हाइपरसोनिक मिसाइल।

Army

  • तोपखाना रेजिमेंट की मनाई जाएगी 198 वीं वर्षगांठ
  • लेफ्टिनेंट जनरल अदोश बोले, हम तोपखाना यूनिटों की मारक क्षमता में बढ़ोतरी कर रहे
  • रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर हो अलर्ट
  • उत्तरी सीमा पर तैनात की गईं के9 तोपें

Army : नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच करीब ढाई साल से अधिक समय से जारी भीषण युद्ध से सबक लेते हुए भारतीय सेना अपने तोपखाने के बेड़े को मजबूती प्रदान करने के लिए लंबी दूरी तक मार करने वाली तोपों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसके अलावा उसकी कोशिश आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा मारक हथियारों को तोपखाना रेजिमेंट में शामिल करने की है। इसमें 100 के9 वज्र तोपों का अतिरिक्त बैच, स्वार्म ड्रोन, लाइट्रिंग म्यूनिशन और निगरानी सिस्टम मुख्य है। यह जानकारी शनिवार को मनाई जाने वाली तोपखाना रेजिमेंट की 198वीं वर्षगांठ के पूर्व में मीडिया को संबोधित करते हुए तोपखाना महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अदोश कुमार ने दी। उन्होंने कहा कि कई भावी प्लेटफार्म और हथियारों को हम तोपखाना यूनिटों की मारक क्षमता में बढ़ोतरी के लिए खरीदना चाहते हैं। बताते चलें कि यूक्रेन युद्ध में हाईमर (हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम) की काफी चर्चा है। जो लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम सिस्टम है।

उत्तरी सीमा पर तैनात की गईं के9 तोपें

उन्होंने कहा, 155 एमएम के गन सिस्टम के तहत जिसमें के9 वज्र, धनुष और सारंग तोपें भी शामिल हैं। उन्हें सेना की क्षमता बढ़ाने के लिए एलएसी विवाद के बीच उत्तरी सीमा पर तैनात किया गया है। सेना ने के9 वज्र तोपों की तैनाती की है। जबकि 100 अन्य तोपों के बैच की खरीद की प्रक्रिया जारी है। इनकी खरीद से जुड़े रिपीट ऑर्डर के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) मिल चुकी है और इसके साथ ही आगे की प्रक्रिया जारी है। शुरुआत में इन्हें मरुस्थली इलाके में तैनाती के लिए खरीदा गया था। लेकिन इसके बाद पूर्वी लद्दाख में एलएसी विवाद के दौरान इन्हें ऊंचाई वाले पर्वतीय इलाकों में तैनात किया गया। तोपखाना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए 155 एमएम तोपों के साथ एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ए-टेग्स), माउंटेड गन सिस्टम और टोड गन सिस्टम की खरीद पर भी ध्यान दिया जा रहा है। ए-टेग्स पूरी तरह से डीआरडीओ और निजी भागीदारों के डिजाइन और विकास से निर्मित होंगी। इस संबंध में जल्द समझौता होगा और बल में इनका आगमन 2025 में होगा। मूलरूप से यह वजन में हल्की होंगी और इन्हें हेलीकॉप्टर के जरिए भी एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया जाएगा। वहीं, धनुष तोपें बोफोर्स का इलेक्ट्रॉनिक अपग्रेड होगा।

बनाई नई फायरिंग रेंज

उन्होंने कहा कि रेजिमेंट के अभ्यास के लिए फायरिंग रेंज के इलाके में कुछ कमी आई है। लेकिन इसे पूरा करने के लिए नई रेंज भी बनाई गई हैं। अरुणाचल प्रदेश में हमने दो नई रेंज बनाई हैं। इसी तरह से उत्तर में भी एक रेंज की पहचान की गई है। फिलहाल सिम्युलेटर और फायरिंग रेंज दोनों में प्रशिक्षण जारी है।

हाइपरसोनिक मिसाइल पर काम जारी

ले.जनरल कुमार ने कहा कि डीआरडीओ हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम पर भी काम कर रहा है। यह ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक गति से दुश्मन के लक्ष्य को भेदने में सक्षम हो सकती हैं। रॉकेट को लेकर उन्होंने कहा कि पिनाका सिस्टम भारत की आत्मनिर्भरता की कहानी बयां करता है। अब हम पिनाका रॉकेट की मारक क्षमता 300 किलोमीटर तक बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पिनाका मार्क-1 की न्यूनतम रेंज 40 किलोमीटर है। जबकि मार्क-2 90 किलोमीटर तक मार कर सकता है। रेजिमेंट की निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए भी कार्य प्रगति पर है। इसमें ज्यादा संख्या में स्वार्म ड्रोन, लाइट्रिंग म्यूनिशन और मानव रहित विमानों पर ध्यान दिया जा रहा है।

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