Andolan
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिए निर्देश, जिंदगी आंदोलन से ज्यादा जरूरी
- केंद्र और पंजाब सरकार के प्रतिनिधि डल्लेवाल को अनशन तोड़ने के लिए राजी करें
- किसान विरोध-प्रदर्शन का गांधीवादी तरीका अपनाएं, शांति बनाए रखें
- पुलिस किसी तरह का बल प्रयोग न करे
- आमरण अनशन पर बैठे हैं किसान नेता डल्लेवाल
- आज उनके मरण वृत का 18वां दिन
- डल्लेवाल से मिलने राकेश टिकैत पहुंचे
- कहा, मांगें पूरी होने तक आमरण अनशन खत्म नहीं करेंगे
- हमने दिल्ली को दोबारा से घेरना होगा
Andolan : अंबाल/नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए शुक्रवार को कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को विरोध का गांधीवादी तरीका अपनाना चाहिए। बता दें कि पंजाब-हरियाणा सीमा पर एक पखवाड़े से अधिक समय से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ रही है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत एवं न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने केंद्र और पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को डल्लेवाल से तुरंत मुलाकात करने का निर्देश देते हुए कहा कि उन्हें चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराएं तथा उन्हें आमरण अनशन तोड़ने के लिए राजी करें, क्योंकि उनका जीवन बहुत कीमती है। जीवन अनमाेल है यह आंदोलन ज्यादा जरूरी है। बता दें कि डल्लेवाल 17 दिन से अधिक समय से आमर अनशन पर बैठे हैं। पीठ को जब बताया गया कि हिंसक आंदोलन के कारण दोनों जगहों पर समस्याएं उत्पन्न हुई हैं, तो पीठ ने कहा, ‘किसानों को हिंसक नहीं होना चाहिए और शांतिपूर्ण आंदोलन करना चाहिए। उन्हें विरोध प्रदर्शन का गांधीवादी तरीका अपनाना चाहिए, क्योंकि उनकी शिकायतों पर विचार किया जा रहा है।’
सरकार शांतिपूर्ण उपाय करे
पीठ ने कहा, ‘पंजाब और केंद्र सरकार का यह कर्तव्य है कि वे सभी शांतिपूर्ण उपाय करें और डल्लेवाल को अनशन तोड़ने के लिए मजबूर किए बिना उन्हें तत्काल पर्याप्त चिकित्सा सहायता प्रदान करें, जब तक कि उनकी जान बचाने के लिए ऐसा करना आवश्यक न हो।’ शंभू और खनौरी सीमाओं पर आंदोलनकारी किसानों को हिंसक नहीं होना चाहिए और राजमार्ग यातायात को बाधित नहीं करना चाहिए। उसके द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय समिति, जिसके बारे में कहा गया है कि वह अच्छा काम कर रही है, प्रदर्शनकारी किसानों से बात करेगी और अदालत को सिफारिशें देगी, जिन्हें अंततः निर्णय के लिए हितधारकों के समक्ष रखा जाएगा।
हितधारकों को ही निर्णय लेना होगा
पीठ ने कहा, ‘हमें ऐसा कोई आदेश पारित नहीं करना चाहिए, जिसे लागू करना बहुत मुश्किल हो। अंतत: हितधारकों को ही निर्णय लेना होगा।’ प्रदर्शनकारी किसान अस्थायी रूप से अपना धरना स्थल बदल सकते हैं और राजमार्गों को खाली कर सकते हैं या शायद अस्थायी रूप से आंदोलन को स्थगित भी कर सकते हैं, ताकि समिति हितधारकों द्वारा उचित विचार-विमर्श के बाद अपनी सिफारिशें दे सके। सदस्य सचिव (उच्चाधिकार प्राप्त समिति) अदालत में मौजूद थे और उन्होंने आश्वासन दिया है कि अगली बैठक में वह अदालत के सुझावों के मद्देनजर किसानों को विरोध प्रदर्शन को अस्थायी रूप से निलंबित करने या किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए राजी करेंगे।
समिति संक्षिप्त वस्तु स्थिति रिपोर्ट दे
पीठ ने समिति को इस संबंध में संक्षिप्त वस्तु स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की सुनवाई के दौरान एक वकील ने मीडिया की एक खबर का उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि वरिष्ठ नागरिक डल्लेवाल पिछले 17 दिनों से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं और उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। पीठ ने निर्देश दिया, ‘‘इस संबंध में पंजाब के पुलिस महानिदेशक और अधिकारी केंद्र के प्रतिनिधि के साथ, यदि इससे संकट को कम करने में मदद मिलती है, तो वे तुरंत डल्लेवाल और धरने पर बैठे अन्य किसान नेताओं से मिलें, ताकि उन्हें यह समझाया जा सके कि अब पहली प्राथमिकता डल्लेवाल को पर्याप्त आपातकालीन चिकित्सा सहायता प्रदान करना होना चाहिए।’
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