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Ambala Cant Assembly :  अंबाला कैंट में विधानसभा चुनाव के लिए चित्रा फिर तैयार, इस बार आसान नहीं होगी पूर्व मंत्री अनिल विज की राह, होगा कड़ा मुकाबला  

Ambala Cant Assembly

  • -लोकसभा चुनाव से बिगड़े भाजपा के समीकरण, दो हार के बावजूद कांग्रेस की चित्रा सरवारा लड़ सकती हैं चुनाव  
  • -अंबाला कैंट में भाजपा के पास नहीं अनिल विज का नहीं कोई तोड़, उधर, कांग्रेस में चित्रा सरवारा ही दमदार
भाजपा विधायक अनिल विज।
कांग्रेस नेता चित्रा सरवारा।

अंबाला। लोकसभा चुनाव खत्म होते ही प्रदेश में अब विधानसभा चुनाव के लिए नेताओं ने दांव पेंच आजमाने शुरू कर दिए हैं। भाजपा, कांग्रेस, जजपा, इनेलो के नेता टिकट के लिए दावेदारी जताने लगे हैं। हर कोई अपनी अपनी पार्टी के आलाकमान के सामने अपनी-अपनी स्थिति मजबूत टिकट की जुगत लगा रहा है। आज की रिपोर्ट  में हम बात करेंगे अंबाला छावनी यानी अंबाला कैंट विधानसभा (Ambala Cant Assembly ) सीट की । यहां पूर्व स्वास्थ्य एवं गृहमंत्री भाजपा के वरिष्ठ नेता इस समय विधायक हैं। खास बात यह भी है कि भाजपा के पास विज का कोई तोड़ नहीं है। उन्हें इस बार भी अंबाला कैंट से भाजपा मैदान में उतार सकती है। वहीं लगातार दो बार हर के बावूजद पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की बेटी और कांग्रेस नेता चित्रा सरवारा की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है। कांग्रेस इस बार भी चित्रा पर ही दांव लगा सकती है। भाजपा में विज और कांग्रेस में चित्रा के अलावा दोनों दलों के पास इनका कोई मजबूत विकल्प भी नहीं है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वरुण मुलाना की जीत के बाद हालात कुछ बदले हुए हैं। अंबाला कैंट विधानसभा सीट पर कांग्रेस की टिकट के दावेदारों ने कसरत शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव में बने नए समीकरणों से इस बार कांग्रेस का दांव लगने के चांस बढ़े हैं। रिकॉर्ड विकास के बावजूद लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया को इस सीट से उम्मीद के मुताबिक वोट नहीं मिल पाए। पूर्व गृहमंत्री अनिल विज खुद अंबाला कैंट सीट की अगुवाई कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के समर्थन से अब कांग्रेसी दावेदार मैदान मारने की योजनाएं बना रहे हैं। हालांकि देखा जाए तो विज के मुकाबले अभी तक कांग्रेस के पास चित्रा को छोड़कर अन्य कोई मजबूत नेता नहीं है।

कांग्रेस में ये हो सकते हैं दावेदार

अंबाला कैंट विधानसभा सीट  (Ambala Cant Assembly)  पर अगर कांग्रेस प्रत्याशियों की बात की जाए तो पूर्व निगम सदस्य चित्रा सरवारा सबसे मजबूत दिख रही हैं। चित्रा दो बार भाजपा के दिग्गज नेता अनिल विज के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी हैं और दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। इस बार भी वे कांग्रेस की टिकट की मजबूत दावेदार मानी जर रही हैं। वहीं, चित्रा भी अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए लगातार मेहनत कर रही हैं। जनता के मुद्दों को निरंतर उठाकर सुर्खियां बटोर रही हैं। दूसरी तरफ, पूर्व डिप्टी मेयर सुधीर जायसवाल भी अंबाला छावनी से टिकट के दावेदार माने जाते हैं। मगर पार्टी में गुटबाजी के चलते दावा कमजोर नजर आ रहा है। हालांकि लोगों में सुधीर की पकड़ खासी मजबूत है। पूर्व निगम सदस्य परविंद्र सिंह परी भी कांग्रेस की टिकट के संभावित दावेदारों में शामिल हैं। सैलजा गुट से ताल्लुक रखने वाले परी काफी समय से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। अभी तक उन्हें पार्टी ने चांस नहीं दिया है। इस बार उन्हें चांस मिलने की उम्मीद। पिछला चुनाव लड़ने वाले वेणु अग्रवाल नए सिरे से मेहनत कर रहे हैं। हालांकि पिछले चुनाव में औसत प्रदर्शन की वजह से इस बार उनका दावा कमजोर दिख रहा है। हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के पूर्व सदस्य अशोक जैन भी कांग्रेस की टिकट के दावेदारों में शामिल हैं। जैन पर्दे के पीछे की राजनीति करने में माहिर माने जाते हैं।

भाजपा में विज दावेदार

छह बार अंबाला छावनी विधानसभा सीट से विधायक बन चुके पूर्व गृहमंत्री एवं मौजूदा विधायक अनिल विज ही भाजपा में एकमात्र इस सीट से दावेदार हैं। उनके मुकाबले भाजपा के पास ऐसा कोई दावेदार नजर नहीं आता जोकि अंबाला छावनी विधानसभा सीट पर पार्टी को जीत दिलवा सके। विज के बाद अक्सर हरियाणा स्टाफ  सिलेक्शन कमीशन की सदस्य नीता  खेड़ा का नाम उछलता है, लेकिन वे इतनी दमदार नेता नहीं दिखती जो विज को मात दे सकें और अपने दम पर पार्टी को जीत दिलवा सकें।

विज छह बार के विधायक

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के राज्यसभा में चुने जाने के बाद 1990 में अनिल विज ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर जीत हासिल की। 2005 को छोड़कर अब तक वे निरंतर छह बार चुनाव जीते हैं। 2005 में कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र बंसल ने पहली बार अनिल विज को शिकस्त दी थी। उसके बाद कभी कांग्रेस को अंबाला कैंट में जीत नहीं मिली।

रिकॉर्ड विकास फिर भी 2977 से मिली जीत

अंबाला छावनी विधानसभा में पिछले दस सालों में अढ़ाई हजार करोड़ से ज्यादा के विकास कार्य होने का दावा किया जा रहा है। इतनी योजनाओं पर काम होने के बावजूद इस बार लोकसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया हारने से बच गईं। उन्हें यहां से महज 2977 वोट से ही जीत मिल पाई। बंतो कटारिया को यहां से 61177 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के वरूण चौधरी को 58200 वोट मिले। यहां वरूण चौधरी के प्रचार की कमान कांग्रेसी नेत्री चित्रा सरवारा ने संभाली हुई थी।

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